भड़काऊ भाषण पर FIR का आदेश देने वाले जस्टिस मुरलीधर ने ट्रांसफर पर तोड़ी चुप्पी, फेयरवेल पर कही ये बात

जस्टिस मुरलीधर (Justice Murlidhar) ने कहा कि नई जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं. उन्होंने कहा कि मुझे इस ट्रांसफर से कोई दिक्कत नहीं है. इसकी जानकारी मुझे 17 फरवरी को ही मिल गई थी.

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट में 14 साल सेवा देने के बाद जस्टिस मुरलीधर को गुरुवार को फेयरवेल दी गई. दिल्ली हाईकोर्ट परिसर में दिए गए इस विदाई समारोह में बड़ी तादाद में वकील पहुंचे.जस्टिस मुरलीधर का पंजाब और दिल्ली हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया है. दिल्ली हिंसा के मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मुरलीधर के नेतृत्व वाली पीठ ने भाजपा के तीन नेताओं – अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के नफरत भरे भाषणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में दिल्ली पुलिस की नाकामी पर नाराजगी प्रकट की थी, जिसके बाद 27 फरवरी की रात उनके तबादले की अधिसूचना आई थी.

 जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि मुझे बतौर न्यायाधीश भी कभी-कभी बहस की जरूरत महसूस होती थी. उन्होंने कहा कि कई बार कानून से जुड़े विषयों पर वह वकीलों के साथ बौद्धिक चर्चा करते थे.

इस मौके पर जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि नई जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं. उन्होंने कहा कि उन्हें 17 फरवरी को ही इस बारे में सूचित कर दिया गया था और इससे उन्हें कोई समस्या नहीं है. दिल्ली उच्च न्यायालय में अपने विदाई समारोह में न्यायमूर्ति मुरलीधर ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे से 17 फरवरी को उन्हें सूचना मिली कि कॉलेजियम ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में उनके स्थानांतरण की अनुशंसा की है. उन्होंने विदाई समारोह में मौजूद लोगों के समक्ष कहा कि उन्हें संदेश प्राप्त हुआ और उन्होंने जवाब दिया कि अगर दिल्ली उच्च न्यायालय से उनका तबादला हो रहा है तो उन्हें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय जाने में कोई दिक्कत नहीं है.

 जस्टिस मुरलीधर का पंजाब और दिल्ली हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया है. दिल्ली हिंसा के मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मुरलीधर के नेतृत्व वाली पीठ ने भाजपा के तीन नेताओं - अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के नफरत भरे भाषणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में दिल्ली पुलिस की नाकामी पर नाराजगी प्रकट की थी, जिसके बाद 27 फरवरी की रात उनके तबादले की अधिसूचना आई थी.

जस्टिस मुरलीधर ने कहा जब न्याय को जीतना होता है, तो यह जीतता ही है… सत्य के साथ रहें- न्याय होगा.जस्टिस मुरलीधर ने इस कार्यक्रम में बताया कि वह दुर्घटना के चलते वकील बने. उन्होंने बताया कि उन्हें अपने दोस्त के वकील पिता की बाइंड की हुई मोटी रपट काफी प्रभावित करती थीं. ऐसे में जब उनके दोस्त ने बताया कि वह लॉ करने जा रहा है तो उन्होंने भी एमएससी की जगह लॉ करने का फैसला किया.

जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि मुझे बतौर न्यायाधीश भी कभी-कभी बहस की जरूरत महसूस होती थी. उन्होंने कहा कि कई बार कानून से जुड़े विषयों पर वह वकीलों के साथ बौद्धिक चर्चा करते थे जस्टिस मुरलीधर ने युवा वकीलों को सलाह देते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि जूनियर वकील बहस करने के अवसर मिलें.

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