नई दिल्ली. जानलेवा कोरोना वायरस (Coronavirus Impact on India) का असर अब दुनियाभर की कंपनियों के कारोबार पर दिखने लगा है. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग के मुताबिक, कोरोना वायरस की वजह से चीन में हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए ओयो होटल्स (Oyo Hotels) जल्द ग्लोबल स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी करने की तैयारी में है. कंपनी 5000 से 25,000 लोगों की छंटनी कर सकती है. आपको बता दें कि इससे पहले जनवरी में भी ओयो रूम्स ने 5 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी की थी. वहीं भारत में कार्यरत 10 हजार कर्मचारियों में से 12 फीसदी की छंटनी की. जिन विभागों में छंटनी हुई है उनमें सेल्स, सप्लाई और ऑपरेशन शामिल हैं.
आपको बता दें कि ‘ओरावल’ नाम से शुरू हुई वेबसाइट का नाम साल 2013 में ओयो रूम्स किया गया. इसकी शुरुआत रितेश अग्रवाल ने की थी. बेहद कम समय में इस स्टार्टअप को पहचान और सॉफ्टबैंक का समर्थन भी मिल गया.
ओयो में सॉफ्टबैंक ने विजन फंड के जरिए 1.5 बिलियन डॉलर (10,650 करोड़ रुपये) इन्वेस्ट किए हैं. कंपनी की वैल्यू फिलहाल एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी जा रही है. वहीं ओयो रूम्स के पास एक लाख से अधिक कमरे हैं.
कोरोना का भारत पर असर
चीन में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण का भी बुरा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. इससे पहले दुनिया की अर्थव्यस्था को सार्स, इबोला, जीका जैसे वायरस भारी चोट पहुंचा चुके हें. जहां तक भारत पर कोरोना के प्रभाव की बात करें तो चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. कारोबारी साल 2018-19 में चीन के साथ भारत का व्यापार 92 अरब डॉलर से अधिक का रहा.
केयर रेटिंग्स ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत जिन सामानों का चीन से बड़े पैमाने पर आयात करता है उसके लिए जल्द ही दूसरे आयात स्रोत की खोज कर पाना कठिन होगा. साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती से भारत का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है.
सर्वाधिक बुरा असर देश के विमानन उद्योग पर पड़ सकता है. संक्रमण के कारण भारतीय विमानन कंपनियों ने चीन और हांगकांग की अपनी उड़ानें रद कर दी हैं. रिपोर्ट में केयर रेटिंग्स के हवाले से कहा गया है कि चीन और हांगकांग की उड़ानें रद किए जाने से भारतीय विमानन कंपनियों को प्रति उड़ान 55-72 लाख रुपये का नुकसान हो सकता है.
भारत से निर्यात होने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं में से करीब 6-8 फीसदी चीन जाती हैं. इसके साथ ही भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों की कुल मांग के करीब 50-60 फीसदी की पूर्ति चीन से होती है. कारोबारी साल 2019 में चीन से होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स आयात का अनुपात घटकर करीब 37 फीसदी रह गया, जो इससे एक साल पहले 57 फीसदी था. इस लिहाज से देश के इलेक्ट्रॉनिक्स आयात पर असर तो होगा, लेकिन यह थोड़ा कम होगा.