हेट स्पीच: जब CJI बोले- हमने दंगे देखे हैं, नेताओं की गिरफ्तारी से भी भड़क जाती है हिंसा
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (CJI SA Bobde) ने कहा, 'दंगों का हमें भी अनुभव है. कई बार नेताओं की तुरंत गिरफ्तारी से भी हिंसा भड़कती है. 1993 में मुंबई में शाखा प्रमुखों को गिरफ्तार किया गया और उसके बाद हिंसा भड़क गई थी. मुंबई में हुई हिंसा दिल्ली से भी ज्यादा बड़ी थी.'
नई दिल्ली. बीजेपी के तीन नेताओं पर भड़काऊ भाषण (Hate Speech) देने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. पूर्व आईएएस अफसर और सोशल एक्टिविस्ट हर्ष मंदर ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. वहीं, हिंसा पीड़ितों की ओर से पेश हुए सीनियर वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि अगर इन नेताओं को भड़काऊ भाषण के मामले में पहले ही गिरफ्तार कर लिया जाता, तो दिल्ली में शायद हिंसा नहीं भड़कती. इस पर प्रधान न्यायाधीश (SA Bobde) ने कहा कि कई बार नेताओं की तुरंत गिरफ्तारी से हिंसा कम नहीं, बल्कि भड़क जाती है.
सीजेआई एसए बोबडे ने कहा, ‘दंगों का हमें भी अनुभव है. कई बार नेताओं की तुरंत गिरफ्तारी से भी हिंसा भड़कती है. 1993 में मुंबई में शाखा प्रमुखों को गिरफ्तार किया गया और उसके बाद हिंसा भड़क गई थी. मुंबई में हुई हिंसा दिल्ली से भी ज्यादा बड़ी थी.’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गोंजाल्विस की दलील पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि हम मौके को देखते हुए ज़रूरी कार्रवाई कर रहे हैं, पर इनकी मंशा सिर्फ तीन नेताओं के खिलाफ एफआईआर करने की है.
इसके बाद सीजेआई ने कॉलिन गोंजाल्विस से कहा कि हम मानते हैं कि कपिल मिश्रा के भाषण भड़काऊ हैं, लेकिन आपकी आपत्ति हाईकोर्ट के किस आदेश पर है. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट द्वारा 13 अप्रैल तक सुनवाई टालना सही नहीं है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच के सभी रिकॉर्ड ट्रांसफर करते हुए हाईकोर्ट से शुक्रवार को सुनवाई करने के लिए कहा है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस केस को जिस तरह 13 अप्रैल तक के लिए टाल दिया यह उचित नहीं है. हमारी समझ से इस केस में इतनी देरी न्यायोचित नहीं है और इसकी सुनवाई शुक्रवार को होनी चाहिए.