कुपवाड़ा के डीसी रहे राजीव रंजन समेत 2 आईएएस गिरफ्तार, 2 साल में 30 हजार फर्जी लाइसेंस बनाए

आरोप: आईएएस अधिकारियों ने आर्म्स लाइसेंस बनाने के लिए नियमों को ताक पर रखा, 8-10 लाख रुपए लिए खुलासा: पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान समेत अन्य राज्यों के लोगों के फर्जी कागजों पर लाइसेंस बनाए शक: ऑल इंडिया परमिट वाले लाइसेंस आतंकियों-गैंगस्टरों ने बनवाए होंगे ताकि वे देशभर में कहीं भी जा सकें

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दिल्ली. फर्जी कागजात और बिना वेरिफिकेशन किए हजारों आर्म्स लाइसेंस जारी करने के आरोप में सीबीआई ने कश्मीर काडर के 2010 बैच के आईएएस राजीव रंजन को सोमवार को चंडीगढ़ में गिरफ्तार कर लिया। वे कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के डीसी रह चुके हैं। वहीं, देर रात 2013 से 2015 तक कुपवाड़ा के डीएम रहे इतरित हुसैन को भी गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।

सीबीआई के हवाले से दी खबर के अनुसार 2016 से 2017 तक कुपवाड़ा में तैनाती के दौरान राजीव रंजन ने करीब 30,000 आर्म्स लाइसेंस जारी किए। उन्होंने प्रति लाइसेंस 8-10 लाख रुपए लिए। ये लाइसेंस कश्मीरियों को ही नहीं बल्कि चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान समेत अन्य राज्यों के लोगों को भी फर्जी कागजातों पर कश्मीरी बताकर दिए थे। अब सीबीआई पता लगा रही है कि ये लाइसेंस किन लोगों को बांटे गए। आशंका है कि ज्यादातर लाइसेंस आतंकियों व गैंगस्टरों ने बनवाए ताकि वे बिना रोक टोक कहीं भी हथियार लेकर आ जा सकें।

देश के कई शहरों में हो चुकी है छापेमारी

बता दें कि इससे पहले पिछले साल दिसंबर में जम्मू-कश्मीर के कई जिलों समेत नोएडा और गुरुग्राम में भी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने छापेमारी की थी. यह छापेमारी जम्मू-कश्मीर में करीब 2 लाख शस्त्र लाइसेंस जारी करने के मामले में की गई थी.

आरोप है कि नियमों की अनदेखी करके बाहरी लोगों को शस्त्र लाइसेंस जारी किया गया था. इस धांधली में कई अधिकारिरयों के शामिल होने के आरोप लगे थे. मामले की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई ने पिछले साल दिसंबर में श्रीनगर, जम्मू, कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा, पुलवामा समेत नोएडा और गुडगांव के 13 ठिकानों पर छापेमारी की थी.

क्या है हथियार लाइसेंस फर्जीवाड़ा

सीबीआई का यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों से लगभग 2 लाख आर्म्स लाइसेंस जारी करने के आरोपों से संबंधित दो मामलों में चलाया गया था. यह भी आरोप है कि नियमों का उल्लंघन करते हुए तत्कालीन अफसरों ने जम्मू-कश्मीर के गैर-निवासियों को हथिय़ारों के लाइसेंस जारी किए थे.

राजीव रंजन की गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर सरकार से इजाजत ली, क्योंकि वे कश्मीर काडर के हैं। वे इन दिनों मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन जम्मू में तैनात हैं। अब सीबीआई उन्हें सोमवार को कश्मीर लेकर जाएगी और जेएंडके कोर्ट में पेश कर दोबारा रिमांड हासिल करेगी।

राजस्थान से जुड़े हैं तार: दो साल पहले पकड़ा गया था रंजन का भाई
फर्जी हथियार लाइसेंस मामले के तार राजस्थान से भी जुड़े हुए हैं। पुलिस ने रंजन के भाई ज्योति रंजन को 2017 में गिरफ्तार कर फर्जी हथियार लाइसेंस पकड़े थे। उस समय डीजीपी रहे ओपी गिल्होत्रा ने शक जताया था कि इसमें राजीव रंजन का भी हाथ हो सकता है। श्रीगंगानगर में 2007 में फर्जी हथियार लाइसेंस के मामले सामने आए थे। उस समय करीब आधा दर्जन केस दर्ज हुए। इसके साथ ही तत्कालीन दाे-तीन आईएएस की सुपरविजन मामले में लापरवाही मानी गई थी। संबंधित शाखा के दाे लिपिकाें और एक सहायक कर्मचारी पर भी विभागीय कार्रवाई की गई थी। पूरे मामले कई आर्मी अफसर भी लिप्त माने गए। जम्मू से यहां आकर फर्जी दस्तावेजाें के आधार पर लाइसेंस जारी करवा लिए थे। यहां शहर के कुछ हथियार विक्रेताओं की भूमिका भी जांच के दायरे में रही थी।

कई अन्य आईएएस अफसरों पर भी शक
हथियार लाइसेंस रैकेट में कई आईएएस अफसर सीबीआई के रडार पर हैं। जांच एजेंसी ने पिछले दिनों कुछ अफसरों के घराें व दफ्तराें पर भी छापेमारी की थी। इनमें उधमपुर की पूर्व डीएम यशा मुदगिल, किश्तवाड़ के पूर्व डीएम सलीम मोहम्मद, पुलवामा के पूर्व डीएम जहांगीर अहमद मीर और डोडा के पूर्व डीएम फारूक अहमद खान भी शामिल हैं।

 

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