अमेरिका-तालिबान के बीच आज होगा शांति समझौता, 30 देशों में पहली बार भारत भी होगा गवाहों में शामिल

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने शुक्रवार को घोषणा की कि अमेरिका तालिबान के साथ इस ऐतिहासिक शांति समझौते (Peace Deal) पर हस्ताक्षर करने वाला है.

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वाशिंगटन. अमेरिका (America) और तालिबान (Taliban) के बीच एक अहम शांति समझौता आज शाम को होने जा रहा है, यह समझौता अफगानिस्तान (Afghanistan) के कतर में होगा. अमेरिका, अफगानिस्तान में पिछले एक हफ्ते में हिंसा में आई कमी की स्थिति बने रहने पर शनिवार को तालिबान के साथ इस ऐतिहासिक शांति समझौते (Peace Deal) पर हस्ताक्षर करने वाला है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की. इसके साथ ही करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता भी साफ हो गया है.

समझौते के गवाह के तौर पर 30 देश शामिल होंगे. इसकी खास बात यह है कि यह पहला मौका होगा जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल होगा.

तालिबानी प्रतिनिधियों और अमेरिकी अधिकारियों के बीच समझौते को लेकर लंबी चर्चा हुई। (फाइल)

ट्रंप के निर्देश पर हो रहा समझौता
ट्रंप ने एक बयान में कहा, “जल्द ही, मेरे निर्देश पर, विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे जबकि रक्षा मंत्री मार्क एस्पर अफगानिस्तान की सरकार के साथ संयुक्त घोषणा-पत्र जारी करेंगे. अगर तालिबान और अफगानिस्तान सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर पाती है तो हम अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ सकेंगे और अपने सैनिकों को घर वापस ला पाएंगे.

शांति के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है
ट्रंप ने कहा कि ये प्रतिबद्धताएं अलकायदा, आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी संगठनों से मुक्त नये अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति स्थापित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम को दर्शाती हैं. साथ ही कहा कि अपने भविष्य के लिए सोचने का काम अंतत: अफगानिस्तान के लोगों पर निर्भर है. हम अफगान लोगों से शांति स्थापित करने और उनके देश के लिए नया भविष्य बुनने के अवसर का लाभ लेने की अपील करते हैं.

उन्होंने याद दिलाया कि करीब 19 वर्ष पहले अमेरिकी सैनिक 9/11 हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों के खात्मे के लिए अफगानिस्तान गए थे. अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते के दौरान गवाहों में भारत भी शामिल हो रहा है. हस्ताक्षर से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला शुक्रवार को काबुल पहुंचे और शांतिपूर्ण व स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का निर्बाध समर्थन व्यक्त किया. विदेश सचिव ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री हारून चाखनसुरी से बातचीत की और विकास को लेकर उसकी प्रतिबद्धता की भी जानकारी दी.

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