दिल्ली हिंसा: उपद्रव के बाद नहीं रहा कोई ठिकाना, हिंदू दोस्तों ने खोला दिल का दरवाजा

हिंसाग्रस्त अशोक नगर में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार को हिंदू पड़ोसियों ने शरण दी और उनकी रक्षा की. इस इलाके में 40 मुस्लिम परिवार बीते काफी वर्षों से साथ-साथ रहते आए हैं

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नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के उत्तर-पूर्वी इलाके में कई दिनों तक हिंसा (Delhi Violence) का दौर चला. इस दौरान यहां उपद्रवियों ने कई घरों को आग लगा दी. इस घटना में जब दोनों समुदायों के लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे बन रहे थे. तो भी चंद लोगों ने अपनी नेकी से सांप्रदायिक ताकतों को हराने का काम किया. हिंसाग्रस्त अशोक नगर में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार को हिंदू पड़ोसियों ने शरण दी. इस इलाके में 40 मुस्लिम परिवार रहते हैं.

मंगलवार को उन्मादी भीड़ ने यहां घरों और दुकानों को जलाना शुरू कर दिया. माहौल बिगड़ता देख यहां रहने वाले हिंदू अपने पड़ोसियों को बचाने के लिए आगे आए. अपने दिल का दरवाजा खोलते हुए उन्होंने अपने घरों में इन सबको शरण दी. इससे जाहिर होता है कि लोगों ने सांप्रदायिकता के ज़हर को नकारने का काम किया.

सैकड़ों की भीड़ ने किया धार्मिक स्थल पर हमला
बताया जा रहा है कि करीब एक हजार लोगों की उन्मादी भीड़ हिंसाग्रस्त बड़ी मस्जिद इलाके के पास इस कॉलोनी में दाखिल हो गई. इस दौरान वो वहां की मस्जिद में घुस गए. घटना के दौरान 20 लोग मस्जिद के अंदर प्रार्थना कर रहे थे.

अपने जले हुए घर के बाहर खड़े मोहम्मद तैय्यब ने बताया कि जब ये घटना हुई वो मस्जिद में मौजूद थे. इस दौरान भीड़ वहां पहुंची और उसने नारे लगाना शुरू कर दिया. हम सभी अपनी जान बचाने के लिए भाग गए. इस दौरान भीड़ ने मस्जिद में तोड़-फोड़ की और वहां आग लगा दी.

संपत्ति का नुकसान नहीं करने की हुई अपील
स्थानीय लोगों ने उपद्रवियों से बार-बार अपील की कि वो संपत्ति का नुकसान ना करें लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. बताया जा रहा है कि इसे अंजाम देने वाले ज्यादातर लोग बाहरी थे. यहां रहने वाले राशिद का कहना है कि दुकानों को निशाना बनाने के बाद भीड़ घरों की तरफ बढ़ी. राशिद के मुताबिक यहां आस-पास केवल छह मुस्लिम परिवार रहते थे. ये लोग निश्चित तौर पर ये बात जानते थे, क्योंकि उन्होंने किसी और घर को टारगेट नहीं किया. उन्होंने कुछ भी नहीं छोड़ा और सबकुछ लूट लिया.

हिंदू दोस्तों ने की मदद
राशिद के अनुसार, ‘हमें लगा कि अब सड़क पर रहना पड़ेगा. लेकिन इस दौरान हमारे हिंदू दोस्तों ने हमारी मदद की. वो हमारे साथ हमेशा खड़े रहे. हम 25 साल से साथ रहते आए हैं. इस दौरान हमारी हिंदू पड़ोसियों के साथ कभी कोई विवाद नहीं हुआ. वहीं यहां रहने वाले पिंटू का कहना है कि हम इनके साथ हर परिस्थिति में खड़े रहेंगे. हम हिंदू हैं, लेकिन हम लोगों और उनकी संपत्ति का नुकसान करने की सोच भी नहीं सकते. यहां इन परिवारों की दुकानों को जलाया गया है. उनका घर और जीविका दोनों को खत्म कर दिया गया है. इस विषम परिस्थिति में हम इन्हें छोड़ नहीं सकते हैं.

एक-दूसरे की कर रहे हैं मदद
अशोक नगर की गली नंबर 5 में रहने वाले नीरज कुमार का कहना है कि हिंसा की घटना के बाद हम एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसमें शामिल किसी उपद्रवी की हम पहचान नहीं कर सके. हम एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचा सकते.

ऐसा नहीं है कि इस घटना में केवल मुसलमानों का नुकसान हुआ है. यहां हिंदुओं की दुकानों को भी टारगेट कर उन्हें जलाया और लूटा गया. नीरज ने बताया कि बुधवार को जब वो यहां आए तो उन्हें इसकी  जानकारी हुई.

एक-दूसरे की मदद कर राख होने से बचाईं 50 दुकानें

मौजपुर-बाबरपुर मेट्रो स्टेशन से चंद कदम दूर कर्दमपुरी-कबीर नगर के सामने विजय पार्क का इलाका। यहां मंगलवार को जमकर पथराव हुआ और गोलियां चलीं। यहां की सड़क अभी भी ईंट-पत्थरों से लाल है। लेकिन इलाके के लोगों ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल दी है। इस मिसाल की बदौलत ही कम से कम 50 दुकानों को जलने से बचा लिया गया।

यहां रहने वाले करीम चौधरी ने बताया, मंगलवार सुबह 11:30 बजे अचानक मौजपुर और कबीर नगर की तरफ से लोगों का हुजूम आने लगा। दोनों ओर से पत्थरबाजी शुरू हो गई। उपद्रवियों ने प्रॉपर्टी को निशाना बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले दो दुकानों पर हमला हुआ। यह दोनों समुदायों की थी। एक की फर्नीचर की दुकान थी तो दूसरे का क्लिनिक। भीड़ और भी दुकानों को निशाना बनाना शुरू कर चुकी थी। लेकिन वक्त रहते स्थानीय हिंदू-मुस्लिम लोगों ने मोर्चा संभाल लिया।

लोगों के मुताबिक, उपद्रवियों की भीड़ में अधिकतर पहचान में नहीं आ रहे थे। वह बाहर से आए थे। ऐसे में लोगों ने एक-दूसरे की मदद की। मिठाई की दुकान चलाने वाले मुकेश ने कहा, हमने करीब 9 महीने पहले ही यहां शोरूम खोला है। हमारे अधिकतर ग्राहक मुस्लिम हैं। कभी लगा ही नहीं कि हम यहां सुरक्षित नहीं है। इतना प्यार कि पूछिये मत। लेकिन मंगलवार को जो कुछ हुआ, उससे दुख हुआ। उनके शोरूम में तोड़फोड़ की गई। काफी नुकसान हुआ है। कुछ मुस्लिम भाइयों ने मदद की, वरना तो भीड़ तबाही बरपाने आई थी।

‘…पर नहीं आई पुलिस’
लोगों ने बताया कि मंगलवार को यहां जो कुछ हुआ, उसमें पुलिस की बहुत बड़ी लापरवाही थी। हम मौके पर ही थे। जब पत्थरबाजी हो रही थी, तो पुलिस मौजपुर चौक पर थी। कोई भी इधर नहीं आया। काफी देर तक यहां पत्थरबाजी होती रही। गोलियां चलती रहीं। बाद में जब हालात काबू से बाहर होने लगे, तब जाकर फोर्स आई। अगर पहले ही फोर्स आ जाती, तो यह सब नहीं होता। उन्होंने बताया कि उपद्रवियों ने तो बिजली तक काट दी थी। शायद उनका इरादा रात में लूटपाट और कत्लेआम का था। पर लोगों ने मीटिंग करके दंगाइयों के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

जब हिंदुओं को बचाने के लिए बोले मुस्लिम… हमारी लाश से गुजरना होगा

जमाने से हिंदू-मुस्लिम साथ रहते आ रहे हैं। कभी नहीं लगा कि हम एक-दूसरे से अलग हैं। खाना-पीना, त्योहार, खुशियां, गम सभी में एक-दूसरे के साथ शामिल होते हैं। पता नहीं क्यों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं।’ भागीरथी विहार के रहनेवाले सुनील जैन आज इतना कुछ बता पा रहे हैं, तो अपने मुस्लिम पड़ोसियों की वजह से। भीड़ तो उनकी गली में घुसकर जान लेने को आमादा थी। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि जान लेने आए शैतानों को लौटना पड़ा।

वाकया भागीरथी विहार की गली नंबर-4 का है। मुस्तफाबाद रोड पर बसे इस इलाके में कई हिंदू परिवार रहते हैं। सुनील जैन ने बताया, सैंकड़ों लोगों की भीड़ ने गली में घुसने की कोशिश की। हम खौफ में थे। तभी गली के रहनेवाले हासिम, डॉक्टर फरीद और इरफान सहित कई और मुस्लिम ढाल बनकर गली के मेन गेट पर खड़े हो गए। उन्होंने उपद्रवियों से कहा, इस गली में रहनेवाले हिंदुओं तक पहुंचने के लिए उन्हें उनकी लाश से गुजरना होगा।

यह सुनकर भीड़ में मौजूद शैतानों के हौसले ठंडे पड़ गए। हालांकि उपद्रवी गली के बाहर डटे रहे। गली के गेट को तोड़ डाला, लेकिन मकसद में कामयाब नहीं हो पाए। सुनील जैन ने कहा, अगर मुस्लिम उनकी मदद के लिए आगे नहीं आते, तो उनकी गली में रहने वाला कोई भी हिंदू परिवार आज जिंदा नहीं होता। कुछ ऐसा ही यमुना विहार इलाके में भी हुआ। नॉर्थ-ईस्ट के पॉश इलाकों में गिने जानेवाले यमुना विहार के ‘सी-12’ में रहने वाले दिनेश सिंह ने बताया कि वह डीटीसी में जॉब करते हैं। उनका ब्लॉक रोड नंबर-66 से सटा है।

रोड के बराबर से बहने वाली ड्रेन नंबर-1 से कबीर नगर कॉलोनी सटी हुई है। उन्होंने बताया, सैकड़ों उपद्रवी रोड नंबर-66 पर पहुंच गए थे। उनमें से कुछ यहां बन रहे फुट ओवर ब्रिज पर चढ़ गए और यमुना विहार सी-12 के घरों पर पथराव शुरू कर दिया। लोगों ने बताया कि उपद्रवियों ने पथराव के साथ-साथ पेट्रोल बम से भी हमला किया। इससे उनके ब्लॉक में पार्किंग में खड़ी पांच कारें जल गईं। भीड़ कॉलोनी में घुसती, उससे पहले कॉलोनी के मुस्लिमों ने भीड़ को रोक दिया। हिंदू परिवारों को बचाने के लिए वह रातभर कॉलोनी के गेट पर डटे रहे।

 

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