500 और 1,000 रुपये के नोट को अवैध करार दिए जाने के बाद बेची ज्वैलरी का देना होगा हिसाब

अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल केंद्र सरकार कॉरपोरेट टैक्स और इनकम टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर रेवेन्यू टारगेट से चूक सकती है. ऐसे में सरकार अब चालू वित्त वर्ष में अपना रेवेन्यू बढ़ाने के लिए अन्य विकल्पों पर फोकस कर रही है.

नई दिल्ली. साल 2016 में केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी (Demonetization) को लेकर उठाए गए कदम के बाद अब कई भारतीय ज्वेलर्स को सरप्राइज टैक्स नोटिस भेजा गया है. ज्वेलर्स को यह नोटिस नोटबंदी के ठीक बाद उनके द्वारा ग्राहकों को बेची गई ज्वेलरी को लेकर भेजा गया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में इस पूरे मामले पर जानकारी दी है. दरअसल, 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री द्वारा 500 और 1,000 रुपये के नोट को अवैध करार दिए जाने के बाद बड़े स्तर पर लोगों ने इन करेंसी से ज्वेलरी खरीदी थी.

मुंबई के एक ज्वेलर का कहना है कि नोटबंदी के ऐलान के बाद उन्होंने अपना पूरा स्टॉक प्रीमियम दर पर एक ही दिन में बेच दिया था. इस बिक्री से उन्हें मात्र 1 दिन में ही जितना मुनाफा हुआ, उतना अमूमन दो सप्ताह की बिक्री से होता है.अब तीन महीने पहले उन्हें एक टैक्स नोटिस भेजा गया, जिसमें कहा गया है कि वो इस दौरान हुई कमाई के सोर्स के बारे में जानकारी दें. इस नोटिस में उन्हें आदेश दिया गया है कि इस एक रात में हुए उनकी कुल कमाई की जानकारी सरकार को देनी होगी.

क्या है कानूनी प्रावधान
सरकार को इस बात का संदेह है कि इसके लिए कालेधन का इस्तेमाल किया गया था. इस ज्वेलर ने टैक्स नोटिस के खिलाफ अपील भी की लेकिन ​कानूनी प्रावधानों के आधार पर उन्हें इस दौरान कमाए हुए कुल पूंजी का 20 फीसदी हिस्सा जमा करना होगा. इस ज्वेलर ने रॉयटर्स को बताया, ‘अगर वो यह केस हार जाते हैं तो उन्हें इस रकम को चुकाने के लिए अपना कारोबार बंद करना पड़ सकता है.’

सरकार की झोली में आ सकते हैं 500 अरब रुपये
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के सचिव सुरेंद्र मेहता का कहना है कि करीब 15 हजार ज्वेलर्स को ऐसा टैक्स नोटिस भेजा जा चुका है. उन्होंने बताया कि टैक्स अथॉरिटीज, जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर से इस प्रकार 500 अरब रुपये की उम्मीद कर रही हैं. मेहता ने कहा, ‘अगर ऐसा होता है तो लंबी अवधि में इस इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि इस 20 फीसदी को चुकाने के लिए कारोबारियों को क्रेडिट लेना पड़ सकता है. अगर ज्वेलर्स केस हार जाते हैं तो संभव है कि उन्हें लोन डिफॉल्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. इसका सीधा असर सप्लायर्स और बैंकों पर पड़ेगा.’

ज्वेलर्स से जुटाया जाना है 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये
टैक्स अथॉरिटीज के नजरिए से देखें तो उन्हें इस पूरे मामले की जांच करने के लिए समय चाहिए था. लेकिन यह मानना मुश्किल है कि ज्वेलर्स के कुल रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के तौर पर मांग लिया जाए. रॉयटर्स ने दो टैक्स अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि इस साल टैक्स डिपार्टमेंट ने हजारों ऐसे लोगों को टैक्स नोटिस भेजा है, जिसमें ज्वेलर्स से 1.5-2 लाख करोड़ रुपये जुटाया जाना है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी सीबीडीटी और वित्त मंत्रालय ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं किया है.

सरकार जुटा पाएगी अधिक राजस्व
माना जा रहा है कि इससे सरकार को राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगा. पहले ही अनुमान लगाया जा चुका है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार के बाद कॉरपोरेट और इनकम टैक्स कलेक्शन लक्ष्य से कम रह सकता है. अगर ऐसा होता है तो पिछले दो दशक में यह पहला ऐसा मौका है, जब सरकार को कॉरपोरेट और इनकम टैक्स कलेक्शन के जरिए आने वाला राजस्व लक्ष्य से कम होगा.

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