शाहीन बाग / वार्ताकारों ने सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी, 26 फरवरी को होगी सुनवाई

याचिकाकर्ता ने रिपोर्ट की कॉपी मांगी, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि पहले वे इसका अध्ययन करेंगे मध्यस्थ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने लगातार 4 दिन प्रदर्शनकारियों से चर्चा की थी शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सैकड़ों लोग 15 दिसंबर से धरने पर बैठे हैं

नई दिल्ली. शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत करने के लिए नियुक्त मध्यस्थों ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को दी गई रिपोर्ट की कॉपी न तो याचिकाकर्ता को दी गई और न ही केंद्र सरकार व दिल्ली पुलिस का पक्ष रखने वाले वकीलों को। जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ ने रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद 26 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई करने करने की बात कही।

शाहीनबाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन का सोमवार को 72वां दिन है। प्रदर्शन के चलते बंद सड़कों को खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल याचिका दायर हुई थी। कोर्ट की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े ने चार दिन तक प्रदर्शनकारियों से चर्चा की थी। वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों को सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़कर सुनाया था और रास्ता खोलने के लिए वैकल्पिक स्थान पर प्रदर्शन की सलाह दी थी। दूसरी तरफ, प्रदर्शनकारियों ने मध्यस्थों से कहा था कि सुरक्षा के मद्देनजर धरना स्थल के आसपास स्टील शीट से घेराबंदी की जाए। साथ ही यहां हुई घटनाओं की जांच की कराई जाए।

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कोर्ट ने रिपोर्ट की कॉपी देने की मांग ठुकराई

याचिकाकर्ता ने मध्यस्थों की तरफ से सौंपी गई सीलबंद रिपोर्ट की कॉपी देने की मांग की, लेकिन बेंच ने यह कहते हुए उनकी मांग खारिज कर दी कि वह पहले खुद इसे पढ़ेंगे। रिपोर्ट सौंपते हुए वार्ताकार रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा- मैं यह मौका पाकर बहुत खुश हूं और और इससे मुझे सकारात्मक अनुभव हासिल हुआ है।

हबीबुल्लाह ने पुलिस को ठहराया दोषी

इसके पहले रविवार को पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने हलफनामा दायर किया। धरने की वजह से आ रही समस्याओं के लिए उन्होंने दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग में शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है। धरना स्थल पर पुलिस ने सड़क पर बेवजह बैरिकेड्स लगा रखे हैं, इसकी वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। इसके अलावा भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने भी हलफनामा दायर कर बंद सड़कों के लिए पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन को लोगों का अधिकार कहा था

सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को इस बात पर चिंता जताई थी कि शाहीन बाग वाली सड़क बंद होने से लोग परेशान हो रहे हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को दूसरे स्थान पर जाने का सुझाव दिया था, जहां कोई सार्वजनिक स्थान इसके चलते बंद न हो। हालांकि, कोर्ट ने इनके प्रदर्शन के अधिकार को जायज ठहराया था। कोर्ट ने कहा था- लोगों को शांतिपूर्वक और कानूनी रूप से विरोध करने का मौलिक अधिकार है। हम केवल शाहीन बाग में रास्ता बंद होने से परेशान हैं, क्योंकि इससे अराजक स्थिति पैदा हो सकती है।

शुक्रवार को 2 घंटे के लिए खोला गया था रास्ता
सीएए के विरोध में शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के बीच शुक्रवार को वहां का रास्ता केवल 2 घंटे के लिए खोला गया था। पुलिस ने नोएडा और फरीदाबाद को जोड़ने वाले रास्ते से बैरिकेडिंग हटाई थी। प्रदर्शनकारी 15 दिसंबर से सड़क पर धरना दे रहे हैं। इससे नोएडा-फरीदाबाद की ओर जाने वाले रास्ते बंद हैं। प्रदर्शनस्थल के आसपास कई दुकानें बंद हैं। कुछ दिन पहले स्थानीय नागरिक प्रदर्शन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर जल्द रास्ता खोलने की मांग की थी। उन्होंने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा था कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य जिम्मेदारों को निर्देश दिए जाएं।

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