सोनभद्र: सोने के खजाने पर जहरीले सांपों की फौज का पहरा,कैसे होगी खुदाई

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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 3 हजार टन सोने का भंडार होने का जब से पता चला है तब से देश ही नहीं विदेश में भी सोनभद्र सुर्खियों में है और लोग वहां मिले अकूत सोने के भंडार के बारे में जानने को बेहद उत्सुक हैं. जहां एक तरफ सोने के भंडार मिलने से यूपी समेत पूरा देश बेहद खुश है वहीं डराने वाले बात यह है कि उस खजाने के पीछे जहरीले और खतरनाक सांपों का बसेरा है. ये सांप उस खजाने पर कुंडली मारकर बैठे हैं.

सोनभद्र: सोने के खजाने पर जहरीले सांपों की फौज का पहरा,कैसे होगी खुदाई

भू-वैज्ञानिकों को सोनभद्र में दो जगहों पर सोने का भंडार होने की जानकारी मिली है. अब जिस जगह सोने की खादान होने का पता चला है वहां बड़ी संख्या में जहरीले सांपों के होने की मौजूदगी सामने आ रही है. ये सांप किसी फौज की तरह खजाने के आसपास बहुतायत संख्या में हैं. बताया जा रहा है कि वहां दुनिया के सबसे जहरीले प्रजाति के तीन तरह के सांपों की संख्या सबसे ज्यादा है.

सांपों की इस जहरीली प्रजाति में कोबरा, करैत और रसेल वाइपर मुख्य हैं. ये सांप सबसे ज्यादा सोनभद्र के सोन पहाड़ी के दुद्धी तहसील के महोली विंढमगंज चोपन ब्लॉक में हैं.

  • बता दें कि दुनिया के सबसे जहरीले सांप के तौर पर प्रसिद्ध रसेल वाइपर की प्रजाति पूरे देश में सिर्फ सोनभद्र जिले में ही पाई जाती है. सोने के अयस्क के पास सांपों की मौजूदगी को लेकर सोनभद्र जिले के वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि खजाना निकालते वक्त जब वन विभाग से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लिया जाएगा तो उस वक्त सहीं आंकड़ा सामने आ पाएगा कि वहां जहरीले सांप की संख्या कितनी है.

सोनभद्र में सोने के खदान से अभी नहीं निकल पाएगा सोना, फंसा ये पेच

  • हालांकि सोनभद्र के डीएफओ ने बताया कि इससे पहले उस जगह और आसपास से रसेल वाइपर, कोबरा और करैत जाति के कई सांप मिल चुके हैं.
  • बता दें कि सोने के अकूत भंडार के सामने आने के बाद सरकार ने खदानों को लीज पर देने की प्रकिया तेज कर दी है. खजाने के खनन की निलामी से पहले जिओ टैगिंग की कार्रवाई शुरू कर दी गई है और उस पूरे इलाके का हवाई सर्वेक्षण भी कराया जा रहा है. इसके लिए राज्य सरकार ने दो हेलीकॉप्टरों की मदद ली है.
  • हवाई सर्वेक्षण का मकसद सुरक्षा के अलावा यह भी है कि कहीं सोने का भंडार वाली जमीन वन विभाग की तो नहीं है. अगर ऐसा होता है तो वहां खनन और खुदाई से पहले जिसे भी नीलामी के जरिए इसका ठेका मिलेगा उसे वन विभाग से एनओसी लेनी होगी.

जानकारों के मुताबिक राज्य सरकार ने खजाने का पता चलने के बाद इस पर काम तो शुरू कर दिया है लेकिन खजाने के लिए शुरू होने वाली खुदाई को लेकर पेच फंसा हुआ है, जिसकी वजह से अभी यहां खुदाई में वक्त लग सकता है.

सोनभद्र में सोने के खदान से अभी नहीं निकल पाएगा सोना, फंसा ये पेच

दरअसल सोने का भंडार सोनभद्र के जिस इलाके में है वहां जमीन चिन्हित कर सरकार और जीएसआई खनन की तैयारियां कर रही और इसके लिए एक सात सदस्ययी टीम रिपोर्ट तैयार कर रही है. पेच इस बात को लेकर फंसता हुआ नजर आ रहा है कि टीम ने जमीन का जो सर्वेक्षण किया है उसमें 95 फीसदी जमीन वन विभाग की है जबकि 5 फीसदी पर अन्य लोगों का कब्जा है. सोनभद्र के जिस सोन पहाड़ी पर सोना होने की जानकारी मिली है और जहां खनन होना है वो जमीन फॉरेस्ट रिजर्व के तहत हैं. अब इस संबंध में अंतिम फैसला स्थानीय प्रशासन को नहीं बल्कि राज्य सरकार को मुख्यालय स्तर पर लेना होगा.

सोनभद्र में सोने के खदान से अभी नहीं निकल पाएगा सोना, फंसा ये पेच

बता दें कि सोनभद्र में करीब 3 हजार टन सोना मिलने का अनुमान है. जिस पहाड़ी में सोना मिला है, उसका रकबा 108 हेक्टेयर बताया जा रहा है. ई-टेंडरिंग से इसकी नीलामी का आदेश भी जारी कर दिया गया है. भूतत्व और खनिकर्म निदेशालय ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की.

सोनभद्र के जिला खनन अधिकारी केके राय ने कहा कि भूतत्व और खनिकर्म विभाग और जियोलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) की टीम इस कार्य में लगी हुई है.

जिले के कई भू-भागों में हेलीकॉप्टर से भू-भौतिकीय सर्वे जारी है. इस सर्वेक्षण में विद्युती चुम्बकीय और स्पेक्ट्रोमीटर उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है. इन उपकरणों का कुछ भाग हेलीकॉप्टर के नीचे लटका रहता है जो कि जमीन की सतह से 60-80 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए सर्वेक्षण करता है.

 

 

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