नमस्ते ट्रम्प / राष्ट्रपति ट्रम्प बोले- भारत व्यापार में हमें बड़ी चोट पहुंचा रहा, लोग पसंद करें या नापसंद अमेरिका को हमेशा आगे रखेंगे

ट्रम्प ने कहा- ऊंचे टैरिफ के चलते भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ रहा 'मैं प्रधानमंत्री मोदी को पसंद करता हूं और इस दौरे पर हमारे बीच बिजनेस की बात होगी' गुड्स और सर्विसेज सेक्टर में अमेरिका- भारत के बीच 2018 में 142.6 अरब डॉलर का व्यापार हुआ

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वॉशिंगटन/अहमदाबाद. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत दौरे से ठीक पहले ऊंचे टैरिफ को लेकर शिकायत की है। उन्होंने कोलारेडो में हुई रैली में गुरुवार को कहा- भारत अमेरिका को ऊंचे टैरिफ रेट के जरिए पिछले कुछ सालों से व्यापार में बड़ी चोट पहुंचा रहा है। उन्होंने अपने समर्थकों को कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को पसंद करता हूं और इस दौरे पर हमारे बीच बिजनेस की बात होगी। हालांकि, उन्होंने साफ कर दिया कि दोनों देशों के बीच बातचीत में वे अमेरिका को पहले रखेंगे। ट्रम्प 24 फरवरी को दो दिन के भारत दौरे पर आ रहे हैं। वह सबसे पहले अहमदाबाद पहुंचेंगे। इसके बाद उनका आगरा और दिल्ली में कार्यक्रम है। उनके साथ पत्नी मेलानिया, बेटी इवांका और दामाद जेरेड कुश्नर भी होंगे।

ट्रम्प के दौरे को लेकर रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारत-अमेरिका के बीच बड़ी ट्रेड डील से पहले यह दोनों देश बड़े व्यापारिक समझौते की तरफ बढ़ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने लास वेगास में हुए कार्यक्रम में भी यह बात दोहराई कि मैं भारत जा रहा हूं और वहां दोनों देशों के बीच एक बड़ी डील की संभावना है। लेकिन, इशारा किया कि अगर डील अच्छी नहीं हुई तो बातचीत पर ब्रेक लग सकता है। इसलिए हम इस पर राष्ट्रपति चुनाव के बाद आगे बढ़ेंगे।

दोनों देशों के बीच पिछले साल 142.6 अरब डॉलर का व्यापार

दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में सर्विस सेक्टर का बड़ा योगदान है। गुड्स एंड सर्विसेज सेक्टर में दोनों देशों के बीच जो व्यापार है, वह अमेरिका के कुल वर्ल्ड ट्रेड का 3% है। गुड्स और सर्विसेज में अमेरिका और भारत के बीच 2018 में 142.6 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 83.9 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि 58.7 अरब डॉलर का आयात किया। अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट के अनुसार भारत को गुड्स और सर्विसेज के निर्यात से अमेरिका में 1.97 लाख नौकरियां पैदा होती हैं। चीन के बाद अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव की प्रमुख वजहें

जीएसपी से हटाना : जीएसपी प्रोग्राम के तहत अमेरिका 129 विकासशील देशों को व्यापार में छूट प्रदान करता है। 2018 में इस प्रोग्राम से फायदा लेने वाले देशों में भारत पहले नंबर पर था।

वीजा मुद्दा : अमेरिका ने एच1-बी वीजा देने पर शिकंजा कसा है। वीजा फीस को दोगुना करने के साथ योग्यता के लिए सालाना आय को भी बढ़ा दिया गया है। इससे भारतीयों के लिए अमेरिका में अवसर कम हुए हैं।

डेटा लोकजाइजेशन : डिजिटल क्षेत्र में भारत डेटा लोकलाइजेशन को लेकर विदेशी आईटी कंपनियों पर लगातार दबाव बना रहा है। गूगल, अमेजन, फेसबुक, फ्लिपकार्ट समेत सभी बड़ी कंपनियां भारत के इस कदम का विरोध कर रही हैं।

कस्टम ड्यूटी बढ़ाने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई
पिछले साल अमेरिका के कुछ तरह के स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने के बाद भारत और अमेरिका के बीच खटास बढ़नी शुरू हुई थी। इसके अलावा अमेरिका ने भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफ्रेंसेज (जीएसपी) प्रोग्राम से भी बाहर कर दिया था। इस प्रोग्राम के तहत अमेरिका विकासशील देशों को निर्यात में छूट देता है। इस प्रोग्राम के तहत भारत ने अमेरिका को करीब 600 करोड़ डॉलर के उत्पादों का निर्यात किया था।

हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर टैरिफ कम होने की संभावना 
अमेरिका के इस कदम के बाद भारत ने जून 2019 में बादाम, अखरोट, सेब और स्टील समेत 28 प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ा दिया था। इससे अखरोट पर ड्यूटी 120%, काबुली चने और कुछ दालों पर ड्यूटी 70% बढ़ गई। ट्रम्प ने हार्ले डेविडसन मोटरबाइक पर ज्यादा टैरिफ का भी मुद्दा उठाया था। अमेरिका को आईटी प्रोडक्ट्स पर लगने वाली ड्यूटी पर आपत्ति है। मेडिकल उपकरणों की कीमत नियंत्रण पर भी अमेरिका को ऐतराज है। डेटा लोकलाइजेशन को लेकर अमेरिकी कंपनियां लगातार शिकायत कर रही हैं।

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