पटियाला. पिछले 3 दशकों से पंजाब के विभिन्न वर्गों को मुफ्त बिजली देने के बाद बड़े स्तर पर घाटे में चल रहे पंजाब स्टेट पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड ने फ्री बिजली देने से तौबा कर ली है। गुरुवार को बोर्ड ने बड़ा फैसला लेते हुए पंजाब के एससी/बीसी वर्ग में क्रीमीलेयर के लिए मुफ्त बिजली की सुविधा बंद कर दी है। इसे लेकर पंजाब राज्य बिजली निगम (पावरकॉम) ने बाकायदा सर्कुलर भी जारी किया है।
चीफ इंजीनियर कमर्शियल की तरफ से जारी सर्कुलर के मुताबिक पंजाब सरकार की तरफ से एससी व बीसी वर्ग के उन उपभोक्ताओं को 200 यूनिट मुफ्त बिजली की सुविधा दी जाती है, जिनका घरेलू लोड 1 किलोवाट तक है।
जानकारों के मुताबिक पावरकॉम के इस फैसले से सरकार के 500 करोड़ बचेंगे, हालांकि फिलहाल किसी भी अधिकारी ने इस आंकड़े की पुष्टि नहीं की है। विभागीय पत्र के मुताबिक यह सहूलत सिर्फ एससी और बीसी वर्ग के आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों को ही मिलेगी जिनका घरेलू लोड 1 किलोवाट तक होगा। बता दें कि पंजाब में इस समय बिजली की महंगी दरों का मुद्दा गर्माया हुआ है। गुरुवार को विधानसभा में भी अकाली दल ने इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा है। कांग्रेस सरकार महंगी बिजली को लेकर आम आदमी पार्टी का भी विरोध झेल रही है।
संवैधानिक पदों पर तैनात रहे ये लोग आएंगे दायरे में
पॉवरकॉम के ताजा सर्कुलर के मुताबिक इस लेयर में संवैधानिक पदों पर तैनात रहे पूर्व व मौजूदा अफसर, पूर्व और मौजूदा मंत्री, राज्य मंत्री, लोक सभा मैंबर, राज्य सभा मेंबर, विधायक, काउंसलर मेंबर, पूर्व व मौजूदा मेयर, जिला पंचायतों के मौजूदा व पूर्व चेयरमैन, सभी मौजूदा व सेवा मुक्त अफसर, सभी पेंशनर्ज जिनकी पेंशन 10 हजार रुपए महीना या इससे ज्यादा है, डॉक्टर्स, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि वर्ग जो कि ज्यादा हाई सोसाइटी में आते हैं, के लिए 200 यूनिट मुफ्त बिजली की सहूलियत बंद कर दी गई है।
अब आर्थिक तौर पर पिछड़ों को देना होगा एफिडेविट
क्रीमीलेयर की 200 यूनिट बिजली की सुविधा बंद होने के बाद अब यह सुविधा लेने के इच्छुक लोगों को एफिडेविट देकर बताना होगा कि उसने पिछले साल इनकम टैक्स अदा नहीं किया और टैक्स के दायरे में भी नहीं आता है। इसके अलावा वह हर माह 10 हजार रुपए तक या इससे ज्यादा की पेंशन नहीं लेता व किसी रजिस्टर्ड संस्था जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, वकील के पेशे से नहीं जुड़ा है। पावरकॉम ने फरवरी 2018 में भी एक लाख ऐसे उपभोक्ताओं को बिजली बिल भेजे थे, जो इस कैटेगरी में लाभार्थी थे, परन्तु उनकी बिजली खपत सालाना 3000 यूनिट से ज्यादा पाई गई थी।