भोपाल. मध्यप्रदेश में पोषण आहार को लेकर सियासत तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में टेक होम राशन और पोषण आहार में बड़े स्तर पर धांधली हो रही है. शिवराज सिंह ने कहा कि हमारी सरकार ने तय किया था कि ये कार्य निजी कंपनी के हाथ मे नहीं रहेगा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पोषण आहार का कार्य महिला स्वा. सहायता समूह को दिया था. कमलनाथ सरकार ने भी यही फैसला किया लेकिन प्रदेश के मुख्य सचिव ने अपनी मर्जी से कैबिनेट के फैसले की 11वें बिंदु को बदल दिया इससे सरकार पर सवाल खड़े होते हैं.
एक अफसर कैबिनेट के फैसले को कैसे बदल सकता है: शिवराज
शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि पोषण आहार सरकार के द्वारा ही संचालित हो इसलिए हमने 7 संयंत्र अपने कार्यकाल में बनाए. जिन्हें देवास, धार, होशंगाबाद ,मंडला और अन्य जिलों में स्थापित किया गया. फैसले के अनुसार एमपी एग्रो को किसी भी निजी कंपनी या ठेकेदारों को इस काम में सम्मिलित करने की इजाजत नहीं है. सीएम कमलनाथ की कैबिनेट ने भी यह फैसला लिया था लेकिन यहां नया खेल हुआ. आदेश के 11 वें बिंदु को प्रदेश के मुख्य सचिव ने गायब कर दिया. सरकार जवाब दे ये किसकी मर्जी से किया गया. एक अफसर की इतनी मजाल कैसे कि वो कैबिनट के फैसले को पलट दे.
मुख्य सचिव ने कहा कुछ भी गलत नहीं हुआ
सरकार के मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने शिवराज सिंह के आरोप पर कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री से इस प्रक्रिया को समझने में भूल हो गयी है. कैबिनेट के फैसले पहले विभागों के पास जाते हैं उसके बाद ही मुख्य सचिव दफ्तर से आदेश जारी होते हैं और मेरी सहमति असहमति का कोई सवाल नहीं है. कैबिनेट के फैसले को यथावत जारी करना होता है.
मंत्री बोले सरकार ही देखेगी पोषण आहार का काम
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आरोपों के उलट मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार कमलनाथ सरकार पोषण आहार निजी हाथों में नहीं सौंपेगी. इसके लिए सीएम कमलनाथ ने भी आदेश जारी किए हैं. मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रदेश कुपोषण मिटाने के लिए वचनबद्ध है.