कश्मीर पर नहीं मान रहा तुर्की, भारत दे सकता है ये बड़ा झटका

एर्दोगन ने गुरुवार को पाकिस्तान की संसद में कश्मीर पर कहा था कि इस क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए इस मुद्दे का तत्काल समाधान निकालने की जरूरत है. तुर्की कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने में भारत और पाकिस्तान की मदद करने के लिए तैयार है.

0 999,016

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन के कश्मीर मुद्दे पर टिप्पणी को लेकर भारत ने सोमवार को तुर्की के राजदूत को समन किया और कड़ा विरोध दर्ज कराया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि भारत तुर्की के सामने अपनी नाराजगी जाहिर करने के अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है. बता दें कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने पाकिस्तान के हालिया दौरे में कश्मीर की स्थिति पर चिंता जताई थी और कश्मीरियों के संघर्ष की तुलना प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तुर्की लोगों के संघर्ष से कर दी थी.

एर्दोगन ने गुरुवार को पाकिस्तान की संसद में कश्मीर पर कहा था कि इस क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए इस मुद्दे का तत्काल समाधान निकालने की जरूरत है. तुर्की कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने में भारत और पाकिस्तान की मदद करने के लिए तैयार है.

  • एर्दोगन ने ये भी कहा था कि कश्मीर मुद्दा जितना पाकिस्तान के करीब है, उतना ही तुर्की के भी. भारत ने तुर्की को चेतावनी भी दी है कि इस तरह के बयानों से द्विपक्षीय संबंधों को झटका लग सकता है.
  • सोमवार को भारत ने तुर्की राजदूत सकीर ओजकान तोरूनलर को विदेश मंत्रालय ने समन किया और डिमार्श (विरोध पत्र) जारी किया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, भारत ने तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन की कश्मीर पर टिप्पणी को लेकर कड़ा विरोध जताया है. इन घटनाक्रमों का हमारे द्विपक्षीय रिश्तों पर गंभीर असर हो सकता है.
  • रवीश कुमार ने बयान में कहा, इस तरह के बयान ना तो इतिहास की समझ को दिखाते हैं और ना ही कूटनीति की. उन्होंने कहा कि भारत ने तुर्की की पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को सही ठहराने की कोशिशों को भी खारिज कर दिया है. कुमार ने कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति का बयान ऐतिहासिक घटनाक्रमों से छेड़छाड़ से वर्तमान की अधूरी तस्वीर खींचने की कोशिश है.

तुर्की के लगातार भारत विरोधी रुख की वजह से मोदी सरकार दूसरे सख्त कदम भी उठा सकती है. कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि भारत तुर्की कंपनी TAIS के साथ 2.3 अरब डॉलर की डील से भी पैर पीछे खींच सकता है. बता दें कि इस डील के तहत तुर्की कंपनी भारतीय नौसेना के लिए पांच जहाज बनाने में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड की मदद करने वाली है. TAIS  को जहाजों की डिजाइन, तकनीकी मदद उपलब्ध कराने और परियोजना के लिए जरूरी उपकरण की आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी जानी थी.

TAIS ने प्रोजेक्ट के लिए सबसे कम बोली लगाई थी. हालांकि, भारत ने पिछले साल ही इस डील के लिए तुर्की को मना करने पर विचार किया लेकिन अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका.

सूत्रों का कहना है कि तुर्की के शीर्ष नेताओं ने लगातार कश्मीर मुद्दे में हस्तक्षेप कर भारत के विरोध को नजरअंदाज किया है क्योंकि वे खुद को दुनिया भर में मुस्लिम देशों के नेता के तौर पर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.

विश्लेषकों का कहना है कि कश्मीर मुद्दा बार-बार उठाना तुर्की की योजना के अनुरूप है क्योंकि तुर्की खुद को मुस्लिमों का नेतृत्व करने वाले देशों के एक विकल्प के तौर पर पेश करना चाहता है. वो ये दिखाना चाहते हैं कि कश्मीर जैसे मुद्दों को उठाने पर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.

Turkish president’s Pakistan visit

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.