नई दिल्ली। जेडीयू और नीतीश कुमार से अलग हो चुके प्रशांत किशोर अपनी अलग सियासी लकीर खिंचने के फैसले से मंगलवार को परदा हटाएंगे. प्रशांत किशोर पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विस्तार से अपनी राजनीतिक दशा और दिशा पर बात करेंगे. बिहार में इसी साल आखिर में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में पीके की राज्य में भूमिका काफी अहम मानी जा रही है, जिसके लिए उन्होंने बाकायदा खासा प्लान बना रखा है, जिसके तहत ही वह सियासी रण में उतरेंगे.
- हालांकि एक बात साफ है कि बिहार में प्रशांत एक मैनेजर के तौर पर किसी के सारथी नहीं बनेंगे बल्कि एक राजनीतिक योद्धा के तौर पर खुद मैदान में उतरकर नीतीश कुमार से दो-दो हाथ करेंगे. पीके ने 2015 में नीतीश कुमार के लिए नारा गढ़ा था-बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है, अब प्रशांत उन्हीं नीतीश कुमार को चुनौती देने जा रहे हैं.
- जेडीयू के पूर्व सांसद और पार्टी से निष्कासित पवन वर्मा भी प्रशांत किशोर के साथ उनकी नई राजनीतिक मुहिम में शामिल हो सकते हैं. माना जा रहा है कि पवन वर्मा भी मंगलवार को पीके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहेंगे. बता दें कि नीतीश कुमार ने पार्टी विरोधी बयानों के लिए प्रशांत किशोर के साथ-साथ पूर्व सांसद पवन वर्मा को भी पार्टी से निकाल दिया था. इन दोनों नेताओं ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ स्टैंड लिया था और नीतीश कुमार से अपनी विचाराधारा को स्पष्ट करने की बात कही थी.
- प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरा जन्म बिहार में हुआ है ऐसे में मेरा यहां से गहरा नाता है. हमने देश भर में भले ही राजनीतिक मैनेजर के तौर पर काम किया हो, लेकिन बिहार में मैंने एक पॉलिटिक्ल एक्टिविस्ट के तौर पर अपना सियासी सफर शुरू किया था. ऐसे में एक बात साफ तौर पर समझ लीजिए कि बिहार में मेरी भूमिका एक मैनेजर की नहीं होगी बल्कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर ही होगी.
बिहार के लिए पीके का रोड मैप
सूत्रों की मानें तो पिछले कई महीनों से प्रशांत किशोर की टीम बिहार में एक नए राजनीतिक विकल्प बनाने की संभावनाओं पर काम कर रही है. बिहार के हर जिले में उनकी कंपनी आईपैक के कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में लोगों से बात की जिनमें हर उम्र, वर्ग और जाति के लोग शामिल हैं, जिनके जरिए प्रशांत किशोर राज्य में सियासी प्लान बना रहे हैं.
प्रशांत किशोर की टीम ने अपनी मुहिम में सबसे ज्यादा जोर हर जाति और धर्म के युवाओं पर दिया गया और करीब पांच लाख युवाओं से बातचीत का एक विस्तृत लेखा-जोखा तैयार किया है. बताया गया है कि एक लाख युवाओं ने अपने प्रोफाइल भेजकर बिहार में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक बदलाव के लिए प्रशांत किशोर की सियासी मुहिम से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है.
प्रशांत किशोर ने बताया कि बिहार के युवा जाति और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति से परेशान हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि हर जाति धर्म और वर्ग के युवा अन्य राज्यों की तरह ही बिहार को भी विकास और बदलाव के रास्ते पर देखना चाहते हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लिए हमने जो भी खासा प्लान बना रखा है, वो आने वाले दो तीन महीनों में लोगों को साफ दिखाई देगा.
‘हम हार के लिए नहीं, जीतने के लिए चुनाव लड़ते हैं’
प्रशांत किशोर ने आगे बताया कि पिछले छह सालों में उत्तर प्रदेश को छोड़कर मैं रणनीतिकार के रूप कोई भी चुनाव नहीं हारा हूं. इससे एक बात साफ है कि मैं चुनाव हारने के लिए नहीं बल्कि जीतने के लिए उतरता हूं. साथ ही उन्होंने कहा था कि मैं राजनीति से दूर नहीं जाऊंगा बल्कि राजनीतिक सक्रियता को अब और आगे बढ़ाने जा रहा हूं. इसके अलावा आगे की रणनीति का खुलासा मंगलवार को विस्तार से किया जाएगा और बताया जाएगा कि हम किस प्लान के तहत काम करेंगे.