चीन के जानलेवा कोरोना वायरस का भारत पर असर- जल्द महंगी हो सकती हैं रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली ये चीजें

अंग्रेजी के बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, चीन से भारत खाने-पीने के सामान खरीदता हैं. इसमें राजमा प्रमुख हैं. देश में घरेलू जरूरतों के लिए सालाना 50 फीसदी राजमा चीन से इंपोर्ट होता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारतीय कंपनियां दवा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को भी चीन से खरीदती हैं. ऐसे में सप्लाई रुकने का असर दवा कीमतों पर भी पड़ सकता हैं.

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मुंबई. चीन में फैले जानलेवा कोरोना का असर दुनियाभर के कारोबार पर दिखने लगा हैं. जहां एक और कच्चा तेल सस्ता होने से घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें घट रही हैं. वहीं, कई रोजमर्रा की चीज़े अब महंगी होने लगी हैं. अंग्रेजी के बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, चीन से भारत खाने-पीने के सामान खरीदता हैं. इसमें राजमा प्रमुख हैं. देश में घरेलू जरूरतों के लिए सालाना 50 फीसदी राजमा चीन से इंपोर्ट होता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारतीय कंपनियां दवा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को भी चीन से खरीदती हैं. ऐसे में सप्लाई रुकने का असर दवा कीमतों पर भी पड़ सकता हैं.

भारत में महंगी हो सकती हैं ये चीजें

(1) खाने-पीने की चीजों पर होगा असर- अखबार में छपी खबर के मुताबिक, चीन के डलियन पोर्ट से शिपमेंट नहीं आने की वजह से दुनियाभर में राजमे के दाम 8 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतें 1100 डॉलर प्रति क्विंटल हो गई हैं. वहीं, अभी भी चीन में अभी भी कारोबारी गतिविधियां रुकी हुई है. रिपोर्ट्स में बताया गया हैं कि भारत पहुंचने वाले 300 कंटेनर बंदरगाह पर फंसे हुए हैं. घरेलू मार्केट में खेंप पहुंचते ही एक महीने के अंदर कीमतों में उछाल आएगा.

(2) महंगी हो सकती हैं दवाइयां- वीएम पोर्टफोलियो के रिसर्च हेड विवेक मित्तल ने न्यूज18 हिंदी को बताया की दवा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की सप्लाई चीन से रुक गई हैं. ऐसे में कंपनियों को अन्य देशों से महंगा कच्चा माल खरीदना पड़ सकता हैं. इससे शुगर और ब्लेड प्रेशर के इलाज में काम आने वाली दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं.

(3) एसी-फ्रिज और टीवी भी हो सकते हैं महंगे- उनका कहना हैं कि कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियां भी दाम बढ़ा सकती हैं. क्योंकि एजी और फ्रिज के भी पार्ट्स चीन से आयात होते हैं. साथ ही, चीन का शहर वुहान ऑटो हब भी हैं. भारतीय ऑटो कंपनियों को अब घरेलू ऑटो एसेंलरी कंपनियों से प्रोडक्ट खरीदने पड़ेंगे. ऐसे में इन भारतीय कंपनियों को फायदा होगा. लेकिन ऑटो कंपनियों की लागत बढ़ने की आशंका बनी हुई है.इंडस्ट्री संस्थाओं और ट्रेडर्स का कहना है कि जब तक स्थिति साफ नहीं होती उससे पहले आगामी कुछ समय तक कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है.

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