नई दिल्ली. जब पूूरी दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती शुरू हुई, तब शाहीन बाग में बिल्कुल सन्नाटा पसरा था। वही शाहीन बाग, जिसका पूरे चुनाव में भारी शोर था। दिन चढ़ने और रुझानों के नतीजों में बदलने के बाद भी यहां शांति कायम रही। सुबह करीब 8 बजे यहां करीब 40-50 महिलाएं थीं। दिन चढ़ने के साथ उनकी संख्या बढ़ती गई। न कोई नारेबाजी हुई, न भाषणबाजी। शाहीन बाग रोड पर बने प्रदर्शन पंडाल में दोपहर 12 बजे तक करीब 300 महिलाएं जमा हो चुकी थीं। सभी ने मुंह पर काली पट्टी बांध रखी थी। हाथों में पोस्टर भी था- ‘आज मौन धरना है। शांत रहें, हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं करते।’
कुछ प्रदर्शनकारियों से जब भास्कर ने चुनाव नतीजों पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की तो उन्होंने मुंह पर उंगली दिखाकर चुप रहने का इशारा किया। हालांकि, उनकी आंखों की चमक कह रही थी कि नतीजों ने सब कह दिया है। शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में 15 दिसंबर से धरना चल रहा है।
प्रदर्शन पंडाल में अनेक महिलाओं ने बच्चों को गोद में बैठा रखा था। पंडाल के दोनों तरफ काफी दूर तक अन्य दिनों की तुलना में काफी कम भीड़ थी। पंडाल के बाहर कुछ लोग समूहों में खड़े होकर न्यूज चैनलों पर चल रही काउंटिंग की कवरेज का मोबाइल पर लाइव प्रसारण देख रहे थे, लेकिन वे भी आपस में कोई बात करते नहीं दिखे। हालांकि आज भीड़ और शोर न होने के चलते प्रदर्शन स्थल पर लगे बैनर-पोस्टर पर लिखे नारे ज्यादा मुखर होते दिखे। शायद बाकी दिनों में नारे और भाषणों के शोर में इन पर ध्यान कम जा पाया।
तेरे गुरुर को जलाएगी वो आग हूं, आकर देख मुझे मैं शाहीन बाग हूं
यदि आप नोएडा की ओर से शाहीन बाग पहुंचते हैं तो धरनास्थल से ठीक पहले लोहे से बना भारत का कोई 20-25 फीट ऊंचा नक्शा खड़ा है। इस पर लिखा है- हम भारत के लोग सीएए, एनपीआर, एनआरसी को नहीं मानते। जगह-जगह संविधान की प्रस्तावना का पाठ लिखा है। तीन-चार युवाओं की टीम लगातार हिंदी, उर्दू और इंग्लिश में नारों के पोस्टर तैयार करती है। फुटओवर ब्रिज पर लगे तिरंगे रंग के एक विशाल पोस्टर पर लिखा है-‘जिन्हें नाज है हिंद पर, वो कहां हैं? यहां हैं.. यहां हैं.. यहां हैं..।’ ‘तेरे गुरुर को जलाएगी वो आग हूं, आकर देख मुझे मैं शाहीन बाग हूं।’ प्रदर्शन स्थल के आसपास फोल्डिंग पलंग बिछाकर तिरंगा झंडे, बिल्ले, टोपी, सिर की पट्टी और नारे लिखे प्रिंटेड पोस्टर की दुकानें सजा रखी हैं। पीले रंग के पुलिस बैरीकैड पर प्रदर्शनकारियों ने काली स्याही से लिख दिया है-‘नो सीएए’। शाहीन बाद के बस स्टैंड की तस्वीर भी पूरी तरह से बदल चुकी हैै। इसे फातिमा शेख सावित्री बाई फुले पुस्तकालय में तब्दील कर दिया गया। ‘भेदभाव, जातिवाद, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भुखमरी, पक्षवाद से चाहिए आजादी’ लिखा एक लंबा बैनर फुटओवर से नीचे लटका दिखता है।