नई दिल्ली. भाजपा ने पहला चुनाव 1984 में लड़ा था। तब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने का वादा किया था। 5 साल बाद 1989 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और यूनिफॉर्म सिविल कोड भी भाजपा के मूल वादों की फेहरिस्त में जुड़ गया। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 पिछले साल अगस्त में हट चुका है और अब राम मंदिर बनने का रास्ता भी साफ हो चुका है। भाजपा अपने इन दो राष्ट्रीय मुद्दों को पूरा करने के बाद हुए चार में से तीन विधानसभा चुनाव हार चुकी है। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना का गठबंधन जीता, पर शिवसेना ने अलग होकर कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार बना ली। हरियाणा में भाजपा को सत्ता मिली, लेकिन अधूरी। जजपा की मदद से सरकार बनानी पड़ी। नवंबर में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। इसके बावजूद भाजपा दिसंबर में झारखंड में हार गई। दिल्ली में वोटिंग से तीन दिन पहले सरकार ने राम मंदिर ट्रस्ट का गठन कर अपने मुद्दे की सवारी करने की कोशिश की, पर सत्ता नहीं मिल पाई।
2019 में 303 सीटें जीतीं
मई 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अनुच्छेद 370 हटाने और यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का वादा किया। उसके घोषणापत्र में राम मंदिर का भी जिक्र था। पहली बार जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए को भी हटाने की बात की। इस चुनाव में भाजपा को 303 सीटें मिलीं।
महाराष्ट्र में शिवसेना ने भाजपा को सरकार नहीं बनाने दी, हरियाणा में जजपा से गठबंधन करना पड़ा
2019 में सरकार बनने के तीन महीने के भीतर ही सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया। इसके बाद नवंबर में राम मंदिर पर भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। फैसला भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिया, लेकिन इसे सरकार की उपलब्धि से जोड़ा गया। अनुच्छेद 370 हटने के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए।
- महाराष्ट्र आते-आते गया: यहां भाजपा-शिवसेना की गठबंधन सरकार थी। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद शिवसेना ने कहा कि ढाई-ढाई साल के लिए सीएम पद साझा करने का करार था। भाजपा ने इससे मना कर दिया। भाजपा से गठबंधन तोड़ राकांपा-कांग्रेस के साथ मिलकर शिवसेना ने सरकार बना ली।
- हरियाणा जाते-जाते बचा: भाजपा हरियाणा में सरकार बनाने के लिए जरूरी 46 सीटों में 6 सीटों से पीछे रह गई थी। आखिरकार 10 सीटों वाली जजपा के साथ चुनाव बाद गठबंधन करके सरकार बनानी पड़ी।
- झारखंड हारे: राम मंदिर पर फैसले के बाद झारखंड में चुनाव हुए। यहां भाजपा ने 370 और राम मंदिर का जिक्र किया। इसके बावजूद भाजपा हार गई और झामुमो के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी।
- दिल्ली: यहां विधानसभा चुनाव से ठीक तीन दिन पहले राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने ट्रस्ट का गठन किया, लेकिन उसका फायदा नहीं मिला और भाजपा दिल्ली में फिर हार गई।
1984 में पार्टी ने पहला चुनाव लड़ा, 2 सीटें जीतीं
1980 में बनी भाजपा ने 1984 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भाजपा ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का वादा किया था। पार्टी सिर्फ 2 सीट जीत सकी। इसके बाद 1989 के चुनावों में भाजपा ने घोषणा पत्र में राम मंदिर और समान नागरिक संहिता को भी शामिल किया और इससे वह 85 सीटें जीतने में कामयाब रही। 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकालकर राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत की, जिससे 1991 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें बढ़कर 120 पर पहुंच गईं।
1999 के चुनाव में न राम मंदिर, न 370 की बात; पहली बार 5 साल सरकार चलाई
1991 के बाद 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता की बात की। लेकिन 1999 के चुनाव में पार्टी ने इन तीनों मुद्दों को घोषणापत्र में नहीं रखा। यह पार्टी का पहला चुनाव था, जब उसके घोषणापत्र से यह तीनों मुद्दे गायब थे। लेकिन इन मुद्दों का जिक्र न करने का फायदा भाजपा को मिला और पहली बार उसने केंद्र में 5 साल की सरकार चलाई। इस चुनाव में पार्टी ने 182 सीटें जीती थीं, लेकिन 22 दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसके बाद 2004 और 2009 के चुनाव में भाजपा ने फिर तीनों वादों को घोषणापत्र में जोड़ा, लेकिन दोनों बार सत्ता से दूर रही।
2014 में भाजपा ने तीनों वादे किए, इसके बाद एनडीए को जमकर फायदा हुआ
2014 के आम चुनावों में भाजपा ने इन तीनों वादों को घोषणापत्र में जोड़ा। राष्ट्रवाद और हिंदूवाद की लहर बनाई, जिसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी पहली बार 282 सीटों के साथ बहुमत में आई। इस चुनाव के बाद भाजपा और एनडीए को जमकर फायदा हुआ। पार्टी ने उसके बाद जम्मू-कश्मीर, झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में सरकार बनाईं। दिसंबर 2017 तक भाजपा और उसके सहयोगी दलों की 19 राज्यों में सरकारें थीं, लेकिन उसके एक साल बाद पार्टी चुनाव हारती गई। फिलहाल, 16 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार है।