अयोध्या में राम मंदिर का रास्ता तैयार, लेकिन मस्जिद की जमीन को लेकर रार

अयोध्या का संत समाज पहले से ही मांग कर रहा था कि मुस्लिमों को दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन अयोध्या के सांस्कृतिक सीमा के बाहर दी जाए. जिसके बाद रौनाही में मस्जिद निर्माण के लिए जमीन दी गई है.

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अयोध्या. अयोध्या (Ayodhya) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्णय के बाद मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने ट्रस्ट बना दिया है, तो वहीं उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने मुस्लिम समाज को दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन को भी मंजूरी दे दी है. हालांकि मुस्लिम पक्ष राज्य सरकार द्वारा दी गई जमीन को लेकर नाखुश नजर आ रहा है. दरअसल, संत  समाज पूर्व से ही मांग कर रहे थे कि मुस्लिमों को दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन अयोध्या के सांस्कृतिक सीमा के बाहर दी जाए. जिसके बाद रौनाही में मुस्लिम समाज को जमीन दी गई.

रौनाही में मस्जिद की जमीन दिए जाने से नाखुश हैं मुसलमान

मुस्लिम समाज रौनाही में दी गई जमीन को स्वीकार नहीं कर रहा है. उधर संत समाज के लोगों ने मस्जिद के लिए रौनाही में आवंटित की गई जमीन का स्वागत किया है. संत समाज ने कहा है कि योगी सरकार को साधुवाद है, लेकिन बाबर के नाम पर अयोध्या ही नहीं पूरे देश में मस्जिद स्वीकार नहीं है. बाबर के नाम पर एक भी ईंट स्वीकार नहीं की जाएगी. इसका संत समाज पुरजोर विरोध करेगा. उधर बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जमीन देने की घोषणा की गई है. जमीन दी जा रही है. हम हिंदुस्तान के संविधान और कानून में आस्था रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया तो सौहार्द के साथ हिंदू और मुसलमानों को इसका परिचय देना चाहिए. हिंदू अपना मंदिर बनाएं, मुस्लिम मस्जिद बनाएं. इसमें किसी का विरोध नहीं होना चाहिए. रही बात बाबर की तो बाबर हमारा कोई मसीहा नहीं था. हमें बाबर के नाम पर मस्जिद नहीं बनानी है.

अयोध्या के भीतर ही मिले जमीन

इकबाल अंसारी रौनाही में मस्जिद के लिए जमीन दिए जाने पर नाखुश दिखे. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में ही जमीन देने के लिए कहा है. लिहाजा मस्जिद की जमीन अयोध्या के भीतर ही दी जानी चाहिए. हमें जमीन मिली चाहिए और जमीन अयोध्या में मिले, मस्जिद के मलबे से हमें कोई लेना-देना नहीं. अंसारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कर दिया है, इसलिए राम मंदिर बनने पर हमें एतराज नहीं है. हम मलबे की बात भी नहीं करते हैं. हम यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मस्जिद के लिए जमीन देने की बात कही है और वही हमें  मिलनी चाहिए.

बता दें कि सरकार ने जो जमीन मस्जिद के लिए आवंटित की है ,वह अयोध्या के सांस्कृतिक परिक्षेत्र से बाहर है. करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर मस्जिद के लिए जमीन चिन्हित की गई है. इसी को लेकर मुस्लिम पक्ष नाराज दिख रहा है.

 

 

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