लखनऊ. अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Ram Janmbhumi Teerth Kshetra Trust) का ऐलान कर दिया है. उधर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन तय कर दी है. इस बीच बाबरी एक्शन कमेटी जल्द ही मस्जिद के अवशेष की मांग को लेकर कोर्ट में अपील करने की तैयारी में है. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (Babri Masjid Action Committee) सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर बाबरी मस्जिद के मलबे को मुसलमानों को सौंपने की गुजारिश करेगी.
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) का कहना है कि कमेटी इसे लेकर निर्णय ले चुकी है. अब बस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की भी राय की जरूरत है. जफरयाब जिलानी ने कहा कि इस संबंध में बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी से संपर्क करने की कोशिश की गई है, लेकिन चूंकि उनकी तबियत ठीक नहीं है, लिहाजा अभी तक बोर्ड की राय नहीं मिल सकी है. लेकिन फिर भी हमारी कोशिश है कि मंदिर निर्माण से पहले ही हम वहां से मलबा हटवा लें. उन्होंने कहा कि हमारी वकील राजीव धवन से बातचीत हो गई है, बस बोर्ड की सहमति का इंतजार है.
बाबरी मस्जिद का नहीं हो सकता अनादर
बाबरी मस्जिद कमेटी के संयोजक और वकील जिलानी ने शरियत का हवाला देते हुए कहा की मस्जिद की सामग्री किसी दूसरी मस्जिद या भवन में नहीं लगाई जा सकती. न ही इसका अनादर किया जा सकता है. इतना ही नहीं कोर्ट ने भी अपने फैसले में मलबे के संबंध में कोई फैसला नहीं किया है. इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देंगे.
क्यूरेटिव पिटिशन का ही विकल्प बचा
जिलानी ने कहा कि न्यायालय ने वर्ष 1992 में बाबरी के विध्वंस को सिरे से असंवैधानिक माना है इसलिए इसके मलबे और दूसरी निर्माण सामग्री जैसे पत्थर, खंभे आदि को मुसलमानों के सुपुर्द किया जाना चाहिए. इसके लिए प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा. मलबे के संबंध में कोर्ट के निर्णय में कोई स्पष्ट आदेश नहीं है. ऐसे में मलबे को हटाने के समय उसका अनादर होने की आशंका है.