नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) की 4 से 6 फरवरी तक चली समीक्षा बैठक के बाद ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ हैं. वहीं, पॉलिसी के बाद RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा हैं कि प्याज की कीमतों में कमी हैं. जनवरी-मार्च तिमाही में दामों के और गिरने का अनुमान हैं. लेकिन दाल, दूध की बढ़ी कीमतों आगे भी आम आदमी की टेंशन बढ़ाती रहेंगी. उन्होंने कहा, बजट में हुई इनकम टैक्स कटौती से डिमांड बढ़ सकती हैं. आरबीआई गवर्नर का मानना हैं कि छोटी अवधि में महंगाई बढ़ सकती है.
कब कम होगी महंगाई- रिजर्व बैंक ने जनवरी से मार्च तिमाही में महंगाई में हल्की बढ़ोत्तरी का अनुमान जताया है. वहीं, अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर 5 से 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि जनवरी में सीपीआई इनफ्लेशन क्या रह सकता है, इस पर कोई अनुमान नहीं दिया है. खाने-पीने की वस्तुओं के रेट ज्यादा बढ़ने की वजह से दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी पर पहुंच गई. यह साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा है.
रेपो रेट में कटौती ना होने की वजह से फिलहाल होम लोन की दरों में भी कोई राहत नहीं मिलेगी. ज्यादातर बैंकों ने होम लोन की दर को रेपो रेट से लिंक कर दिया है ताकि रेपो रेट में कमी का फायदा उन्हें जल्दी मिले. लेकिन इस बार लोन लेने वाले ग्राहकों को कोई राहत नहीं मिलेगी.
RBI गवर्नर ने कहा- देश में आर्थिक सुस्ती दूर होने के सकेंत मिले- पिछले कुछ दिनों से आ रहे आर्थिक आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि देश की इकॉनमी अब धीर-धीरे पटरी पर लौट रही है और सुस्ती के बादल छंट रहे हैं. उन्होंने कहा-मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और सर्विस सेक्टर के ग्रोथ आंकड़ों में सुधार आया हैं. कई इकोनॉमिक इंडिकेटर्स इस बात का संकेत दे रहे हैं कि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा हैं.
अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा महंगाई दर का अनुमान 0.30% बढ़ाया
जनवरी-मार्च 2020 | 6.5% |
अप्रैल-सितंबर 2020 | 5.4%-5% (पिछला अनुमान 5.1%-4.7% था) |
अक्टूबर-दिसंबर 2020 | 3.2% |
अकोमोडेटिव आउटलुक बरकरार
कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए दूध और दाल जैसी वस्तुओं के रेट बढ़ सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर आरबीआई ने महंगाई दर का अनुमान बढ़ाया। हालांकि, दिसंबर के उच्च स्तर (7.35%) से नीचे आने की उम्मीद जताई है। आरबीआई ने कहा कि चालू तिमाही में नई फसल आने से प्याज की कीमतें घटने के आसार हैं।आरबीआई नीतियां बनाते समय खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। मध्यम अवधि में आरबीआई का लक्ष्य रहता है कि खुदरा महंगाई दर 4% पर रहे। इसमें 2% की कमी या बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन, दिसंबर में यह 6% की अधिकतम रेंज से भी ऊपर पहुंच गई। आरबीआई ने मौद्रिक नीति को लेकर इस बार भी अकोमोडेटिव नजरिया बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि रेपो रेट में आगे कटौती संभव है। आरबीआई ने कहा है कि ग्रोथ बढ़ाने के लिए जब तक जरूरी होगा तब तक अकोमोडेटिव आउटलुक रखा जाएगा।
ग्रोथ बढ़ाने के लिए ब्याज दरों के अलावा दूसरे उपाय भी हैं: आरबीआई गवर्नर
जीडीपी ग्रोथ में कमी को देखते हुए यह उम्मीद की जाती है कि आरबीआई प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कटौती करे। ताकि कर्ज सस्ते हों तो मांग बढ़े और आर्थिक विकास दर में तेजी आए। आरबीआई ने पिछले साल लगातार 5 बार रेपो रेट घटाया भी था, लेकिन खुदरा महंगाई दर में इजाफे को देखते हुए लगातार दूसरी बार रेपो रेट स्थिर रखा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों के अलावा दूसरे तरीके भी हैं।
छोटे कारोबारियों के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग योजना का समय 9 महीने बढ़ाया
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सरकार के सुझावों के मुताबिक छोटे और मध्यम कारोबारियों के कर्ज की वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की समय सीमा मार्च 2020 से बढ़ाकर दिसंबर 2020 तक करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों को रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने से लोगों को मौद्रिक नीति का ज्यादा फायदा मिल रहा है। छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में सामंजस्य की जरूरत है। आरबीआई की पॉलिसी से कुछ दिन पहले ऐसी रिपोर्ट आई थी कि सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कमी कर सकती है।
कोरोनावायरस के असर से निपटने के लिए आकस्मिक योजना की जरूरत
आरबीआई गवर्नर ने सरकार को सुझाव दिया है कि अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस के संभावित असर को देखते आकस्मिक योजना तैयार कर लेनी चाहिए। वायरस का संक्रमण फैसले की वजह से पर्यटकों की आवाजाही और अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा। इसकी वजह से जनवरी के आखिर में शेयर बाजारों में बिकवाली हुई और कच्चे तेल के बाजार में भी गिरावट आई।