पटना: जेडीयू और आरजेडी के बीच पोस्टर की लड़ाई अब राजनीतिक हथकंडा नहीं बल्कि अपशब्दों का अखाड़ा बनती जा रही है. पिछले एक महीने से जेडीयू और आरजेडी के समर्थक एक दूसरे पर पोस्टर और होर्डिंग्स के ज़रिए नीचा दिखाने के लिए नए नए स्लोगन लगा रहे हैं, पर अब यह बुरा रूप लेते जा रहा है. हालांकि पोस्टर में आरोप लगाने वालों का नाम कहीं नहीं होता है लेकिन तस्वीर और लिखे हुए शब्द सब कुछ साफ कर देते हैं.दोनों पार्टी के नेता इसे अपना बैनर बताने से परहेज़ करते हैं लेकिन निशाने पर एक दूसरे को लेकर अपनी भड़ास निकालते हैं.
ताजा पोस्टर जेडीयू का सामने आया है जिसमें लालू के ”जिन्न” को दिखाया गया है. लालू अति पिछड़ी जातियों को ”जिन्न” कहा करते थे. जिन्न एक समय में लालू के समर्थन थे अब वो नीतीश के साथ हैं. तो दूसरी तरफ़ लालू के समर्थकों में नीतीश को बिहार का हत्यारा करार दे दिया. आरजेडी नेता ने सफाई देते हुए कहा कि नीतीश ने कुर्सी की खातिर बिहार की हत्या की.
आरजेडी नेता विजय प्रकाश ने कहा, ” स्वाभाविक रूप से जो इन 15 सालों में उन्होंने लोगों को ठगने का काम किया है उसपर हमारा सवाल है कि आपको कुर्सी से इतना प्यार क्यों है कि आप हमेशा दल बदलते हैं, जो आपको अपमानित करता है, आपके डीएनए पर सवाल उठाता है, उसके गोद में बैठने का काम आप कर रहे हैं. इसलिए कहा गया है कि ”कुर्सी के प्यारे बिहार के हत्यारे”… यानि बिहार को बीमार बना दिया गया है.
विजय प्रकाश ने जेडीयू पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार विकासहीन स्थिति में है फिर भी आप कुर्सी के लोभ में उनके साथ हैं. बता दें कि इस मामले को लेकर आरजेडी के तरफ से पोस्टर जारी किया गया है. इस पोस्टर में जेडीयू पर बीजेपी के कब्जे को भी दिखाया गया है.
इस पोस्टर पर विजय प्रकाश ने कहा कि स्वभाविक रूप से बीजेपी जेडीयू पर कब्जा कर चुकी है. आप देख रहे हैं कि जो हाथ मिलाने से दूर भागते थे, खाना खिलाने से पहले थाली खींच लेते थे वो आज उनके नेतृत्व में जाकर चुनावी सभा कर रहे हैं. जिसको कभी नरेंद्र मोदी महकते थे वो अब तीसरे चौथे पायदान के लोग भी उनके साथ महबूबा के तरह दोस्ती कर रहे हैं.
विजय प्रकाश ने कहा कि आज बिहार बलात्कार, हत्या से लिप्त है. पूरे बिहार में कोई जिला ऐसा नहीं जहां लूट, हत्या और बलात्कार नहीं हो रहा हो उसके बाद भी ये सुनने को तैयार नहीं हैं. बिहार की आवाम में भी गुस्सा है और लोग इन्हें देखना नहीं चाहते हैं. इन्हें सुशील मोदी ने कुर्सी के चारो तरफ बांध रखा है और ये बंधे हुए ही रहेंगे. इनकी हैसियत खत्म हो गई है. अब ये केवल कुर्सी पर बैठे मूकदर्शक मात्र हैं क्योंकि अब बीजेपी का राज चलेगा, आगे आदेश भी बीजेपी का ही चलेगा. अब तो अफसर भी इनकी नहीं सुनता वहीं बीजेपी के छोटे कार्यकता की बात भी अफसर सुनते हैं.
जेडीयू के पोस्टर पर विजय प्रकाश बोले कि उनको शायद पता नहीं है कि जिसका जिन्न रहता है उसी के बात को मानता है. ये शायद नीतीश कुमार और जदयू के लोगों को पता नहीं है, इनके अनर्गल प्रलाप करने से कुछ होने वाला नहीं है. इन्होंने 15 साल में कौन से काम किये, महागठबंधन की तिलांजलि देकर जिसके गोद में बैठे हैं तो बताएं की क्या काम किये, अगर किये हैं तो बताएं कि क्या सेंट्रल यूनिवर्सिटी मिली? बिहार को स्पेशल पैकेज में क्या मिला? इन सवालों को अपने पोस्टर में जारी क्यों नही करते जिस कारण आप धोखा देकर गए.
आरजेडी नेता ने कहा कि अब बिहार की जनता दिग्भ्रमित नहीं होने वाली है. अब तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लोग मन बना चुके हैं क्योंकि नौजवानों में उबाल है और वो समझ गए हैं कि नीतीश निकम्मे और बेकार साबित हुए हैं और अब ये किसी के हाथ की कठपुतली बन चुके हैं. अब इससे बिहार चलने वाला नहीं है.
पोस्टर वार के खराब रूप पर जेडीयू के प्रवक्ता नेक्या कहा…
राजीव रंजन ने कहा कि ” ये जेडीयू का कोई अधिकारिक पोस्टर नहीं है. बिहार के करोड़ो लोग लालू राबड़ी के शासन काल से आहत रहे हैं. उन्हें कहीं न कहीं उस कालखंड से नाराजगी है और गाहे बगाहे जब भी नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत प्रहार हुआ है,उनके शासन के उपलब्धि को नकारा गया है तो ये बिहार के जनता की प्रतिक्रिया आई है. मुझे ऐसा लगता है कि बिहार की जनता को ये डर है कि कहीं गलती से आरजेडी व तेजस्वी यादव के हाथों में चाभी न चली जाए.
एक एक्सपेरिमेंट के तहत उन्हें एकबार मौका मिला पर अब इसकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए अब हमारी पार्टी से ज्यादा जनता अब सजग है इसलिए जो इसप्रकार का पोस्टर दिख रहा शुभचिंतकों का उसकी वजह सिर्फ यहीं है. जिन्न को लेकर जेडीयू का कहना है कि हमे काम पर भरोसा है और जिन अतिपिछड़े के लिए जो कुछ शब्दों का प्रयोग किया जाता है उससे हमारी पार्टी सहमत नहीं है. वो समाज के उस आखिरी पायदान पर खड़े हैं जिन्होंने लोकतंत्र के जड़ो को मजबूत करने का काम किया है.
आज वो दौर नही है कि मतदान केंद्रों पर कुछ दबंग लोगों का कब्जा हो जाये और कुछ लोग ही वोट करें. आज सभी लोग समान रूप से वोट करते हैं और अतिपिछड़े की एक बड़ी संख्या हैं जो तय करते है कि सत्ता की चाभी किसके पास में हो. आरजेडी के लोगो को अतिपिछड़े लोगों ने पहचाना क्योंकि उनके नाम पर ही वे सत्ता में आये लेकिन लालू यादव को कभी भी परिवार, भ्रष्टाचार से अलग हटकर काम करते नहीं देखा और शायद इसीलिए उनका भरोसा नीतीश कुमार के साथ है.