निर्भया केस / केंद्र ने हाईकोर्ट से कहा- दोषी पवन जानबूझकर दया याचिका दाखिल नहीं कर रहा, यह कानूनी आदेश को कुंठित करने का मंसूबा

पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा दोषियों की फांसी पर रोक लगाए जाने के खिलाफ केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की केंद्र ने कोर्ट में कहा- न्याय की खातिर दोषियों की फांसी में जरा भी देरी नहीं होनी चाहिए, इसका अमानवीय असर पड़ेगा

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नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा निर्भया के दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में रविवार के दिन भी इस मामले पर विशेष सुनवाई हुई। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषी पवन जानबूझकर दया याचिका दाखिल नहीं कर रहा है। यह सब कानूनी आदेश को कुंठित करने का सोचा-समझा मंसूबा है। हाईकोर्ट ने शनिवार को इस मामले में चारों दोषियों के साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन और डीजी जेल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।

तुषार मेहता ने कहा- दोषी पवन जानबूझकर दया याचिका या क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल नहीं कर रहा है। यह सुनियोजित अकर्मण्यता है। अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रहता है, तब पवन भी क्यूरेटिव और दया याचिका दाखिल कर सकता है। ऐसे में दूसरों को भी फांसी नहीं होगी। यह जानबूझकर कानूनी आदेश को कुंठित करने का सोच-समझा मंसूबा है।

केंद्र ने कहा था- दोषियों ने लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग किया

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शनिवार को कहा था- दोषी कानूनी प्रकिया का फायदा उठा रहे हैं। वे एक-एक कर कानूनी बचाव के रास्ते अपना रहे हैं, ताकि इस जघन्य अपराध की सजा से बच सकें। दोषियों ने फांसी टालने को लेकर शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इसमें कोई भी वजह ऐसी नहीं थी, जिसकी न्यायिक जांच की जा सके। यह केस इतिहास में ऐसे जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा, जिसमें दोषियों ने लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद भी दोषी फांसी टालने के लिए बार-बार कोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं। अगर ऐसे ही प्रक्रिया का पालन होता रहा तो केस कभी खत्म ही नहीं होगा।

केंद्र ने कहा था- दोषियों ने लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग किया

मेहता ने कहा- दोषियों ने फांसी टालने को लेकर शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इसमें कोई भी वजह ऐसी नहीं थी, जिसकी न्यायिक जांच की जा सके। यह केस इतिहास में ऐसे जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा, जिसमें दोषियों ने लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद भी दोषी फांसी टालने के लिए बार-बार कोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं। अगर ऐसे ही प्रक्रिया का पालन होता रहा तो केस कभी खत्म ही नहीं होगा।

तिहाड़ जेल ने कहा था- अलग-अलग फांसी दे सकते हैं
दरअसल, शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाई थी। अदालत इस मामले पर सुनवाई कर रही थी कि गुनहगारों को डेथ वॉरंट के हिसाब से 1 फरवरी (शनिवार) को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाए या नहीं। इस दौरान दोषियों में शामिल अक्षय, पवन और विनय की याचिका पर तिहाड़ प्रशासन ने कहा था कि दोषियों को अलग-अलग फांसी दे सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि इस देश की अदालतें कानूनी उपायों में जुटे किसी भी दोषी से आंख मूंदकर भेदभाव नहीं कर सकतीं।

वकील ने कहा- दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं
दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा था- एक दोषी की याचिका लंबित होने से बाकी दोषियों को फांसी देना गैर-कानूनी होगा। अभी दोषियों के पास दया याचिका समेत कानूनी विकल्प हैं। वहीं, निर्भया की मां आशा देवी ने कहा था- 7 साल पहले उनकी बेटी के साथ अपराध हुआ और सरकार बार-बार दोषियों के सामने झुक रही है।

दोषी अक्षय ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी, मुकेश-विनय की खारिज हुईं
शनिवार को दोषी अक्षय ठाकुर ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दया याचिका भेज दी। इसी दिन दोषी विनय शर्मा की दया याचिका भी खारिज हो गई। राष्ट्रपति दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका 17 जनवरी को ठुकरा चुके हैं। इस फैसले की न्यायिक समीक्षा को लेकर लगाई याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में खारिज हुई। अब मुकेश के पास फांसी से बचने का कोई रास्ता नहीं है। सिर्फ दोषी पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के विकल्प हैं। शुक्रवार को उसने गैंगरेप के वक्त नाबालिग होने का दावा खारिज होने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पवन की रिव्यू पिटीशन ठुकराई।

चारों दोषियों की अभी क्या स्थिति

  • मुकेश सिंह और विनय शर्मा के दोनों विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो चुके हैं।
  • अक्षय ठाकुर की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो चुकी है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन।
  • पवन गुप्ता ने न तो क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है और न ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है।

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