कोटा सरकारी अस्पताल में एक और बच्ची ने दम तोड़ा, 34 दिन में 105 नवजातों की मौत; किरकिरी होने पर मंत्री के स्वागत में बिछा ग्रीन कारपेट हटाया
जिन मासूमों की मौत हुई, उनके परिजन बोले- जेके लोन अस्पताल में मंत्री के लिए ग्रीन कारपेट बिछाने से क्या बीत रही, हमसे पूछें भास्कर ने राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा से पूछा था- जयपुर से कोटा 4 घंटे दूर, वहां अब तक क्यों नहीं गए; मंत्री बोले- जयपुर से ही सिस्टम सुधार रहा हूं अस्पताल पहुंचने पर मंत्री रघु शर्मा का भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध किया, पुलिस ने सभी को हिरासत में लिया
कोटा (राजस्थान). राजस्थान के कोटा के अस्पताल में मासूम बच्चों की मौत को लेकर सरकारी तंत्र किस कदर असंवेदनशील है, इसकी एक तस्वीर सामने आई है. जिस जेके लोन अस्पताल में मासूम बच्चों की मौत हो रही है, वहां आज राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के स्वागत के लिए ग्रीन कारपेट बिछाया गया. हालांकि मंत्री तब तक अस्पताल में पहुंचे नहीं थे. लेकिन जब इस पर विवाद हुआ तो ग्रीन कारपेट को हटा दिया गया.
मंत्री दौरे से पहले रंग रोगन जारी
स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के हॉस्पिटल पहुंचने के पहले वार्डों का रंग रोगन करवाया जा रहा है. हॉस्पिटल में साफ सफाई का काम जोरों पर है. डिलीवरी के फौरन बाद महिलाओं को रखने वाले वार्ड में बल्ब लगाया गया है. पहले इस वॉर्ड में बल्ब नहीं लगा हुआ था.
पहले जच्चा को बिना गद्दे जमीन पर लिटाया जा रहा था जो कि आज सुबह से सभी को बेड पर शिफ्ट कर दिया गया है. मंत्री के दौरे से पहले खिड़की की जालियों पर पर्दे लगाए गए हैं.
हर्षवर्धन ने दिया हरसंभव मदद का भरोसा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि उन्होंने इस बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री से बात की है. उनके मुताबिक, केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार को बच्चों के इलाज में हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि बाल रोग विशेषज्ञ की एक टीम को भी राजस्थान के लिए रवाना किया गया है, ताकि वहां बच्चों की मौत रोकी जा सके.
बच्चों का मौत पर राजनीति शुरू
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीएसपी प्रमुख मायावती ने राजस्थान के कोटा नवजात शिशुओं की मौत को लेकर राजस्थान सरकार और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर निशाना साधा. वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार बीमार शिशुओं की मौत पर पूरी तरह संवेदनशील है और इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए.
सोनिया गांधी नाराज
मामले के राजनीतिक तूल पकड़ने के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के राज्य प्रभारी अविनाश पांडे से बच्चों की मौत और अशोक गहलोत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी ली.
गहलोत की सफाई
सोनिया की नाराजगी के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सफाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया,” जेके लोन अस्पताल, कोटा में हुई बीमार शिशुओं की मृत्यु पर सरकार संवेदनशील है. इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. कोटा के इस अस्पताल में शिशुओं की मृत्यु दर लगातार कम हो रही है. हम आगे इसे और भी कम करने के लिए प्रयास करेंगे. मां और बच्चे स्वस्थ रहें यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.”
जेके लोन सरकारी अस्पताल में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे। शुक्रवार सुबह यहां एक और नवजात ने दम तोड़ दिया। जिस बच्ची की मौत हुई, उसका 15 दिन पहले ही जन्म हुआ था। माता-पिता उसका नाम भी नहीं रख पाए थे। अस्पताल में पिछले 34 दिन में 105 मौतें हो चुकी हैं। इसके बावजूद प्रशासन बेशर्म है। जयपुर से 4 घंटे की दूरी होने के बावजूद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने गुरुवार तक यहां का दौरा नहीं किया था। शुक्रवार को वे अस्पताल पहुंचे तो प्रशासन ने रातों-रात अस्पताल का कायाकल्प कर दिया। सभी वार्ड में सफाई और पुताई हो गई। बेड पर नई चादरें बिछा दी गईं। मंत्री के स्वागत में ग्रीन कारपेट बिछा दिया गया। लेकिन जब किरकिरी हुई तो इसे हटा लिया।
अस्पताल में सुबह 8 बजे ही सभी डॉक्टर अपने कमरों में पहुंच गए। मरीजों और उनके परिजन से कहा गया कि वे स्वास्थ्य मंत्री के सामने सबकुछ अच्छा ही बताएं। मंत्री की आवभगत के लिए अस्पताल के मेन गेट पर बिछाए गए ग्रीन कारपेट पर मरीजों और उनके परिजन ने आपत्ति जताई। मरीजों का कहना था कि मंत्रीजी यहां किसी उद्घाटन समारोह में आ रहे हैं या अस्पताल की समस्याएं दूर करने? जिन मासूमों की मौत हुई, उनके परिजन बोले- जेके लोन अस्पताल में मंत्री के लिए ग्रीन कारपेट बिछाने से क्या बीत रही, हमसे पूछें। जेके लोन कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला इसी क्षेत्र से सांसद हैं।
मंत्री दौरा अपडेट: मंत्री रघु शर्मा के दौरे के चलते 10 भाजपा कार्यकर्ता विरोध के लिए अस्पताल पहुंचे थे, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में लिया। वहां कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद थे। पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है।
बच्ची की दादी ने कहा- डॉक्टर कहते रहे कि सही कर देंगे
शुक्रवार सुबह जिस बच्ची की मौत हुई, उसकी दादी अनारा देवी ने बताया, ”बेटे ओम प्रकाश और बहू रेखा के घर 15 दिन पहले बेटी हुई थी। बच्ची का जन्म पास के गांव रूपाहेड़ा में ही हुआ था। तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से उसे जेके लोन अस्पताल में रेफर किया गया था। बच्ची का ठीक से इलाज नहीं हुआ। इस अस्पताल में न जाने कितने ही बच्चे मर गए। डॉक्टर फिर भी कहते रहे कि सही कर देंगे। फिर भी सही नहीं हुई। बीमारी के बारे में हम तो जानते नहीं। डॉक्टर ही जानता है।” जब भास्कर ने डॉक्टरों से इस बारे में पूछा तो उनका कहना था कि बच्ची प्री-मैच्योर थी।
भास्कर ने मंत्री से पूछा था- अब तक कोटा क्यों नहीं गए?
पिछले महीने जेके लोन अस्पताल में बच्चे लगातार दम तोड़ते रहे, लेकिन मंत्री रघु शर्मा खुद कोटा जाने की बजाए जयपुर में बयानबाजी कर पिछली भाजपा सरकार के वक्त बच्चों की मौतों का आंकड़ा बताते रहे। जब 25 दिसंबर के बाद आंकड़ा अचानक बढ़ने लगा तो उन्होंने सिर्फ एक जांच कमेटी को कोटा भेजकर इतिश्री कर ली। इसकी रिपोर्ट पर सिर्फ कुछ डॉक्टरों को इधर-उधर किया गया। गुरुवार को भास्कर ने जब रघु शर्मा से पूछा कि जयपुर से कोटा 4 घंटे की दूरी पर है, अब तक क्यों नहीं गए? तो जवाब था- जयपुर से ही सिस्टम में सुधार कर रहा हूं। कोटा तो कभी भी चला जाऊंगा।
भास्कर पड़ताल : जिन अस्पतालों में बच्चों का होता है इलाज, वहां 44 वेंटीलेटर, 1430 वार्मर खराब
प्रदेश में हर साल 28 दिन से कम उम्र में ही 34 हजार से ज्यादा बच्चे दम तोड़ देते हैं। यदि एक वर्ष तक की उम्र में जाएं तो यह आंकड़ा 41 हजार से अधिक तक चला जाता है। स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्चों के लिए काम आने वाले 230 में से 44 वेंटीलेटर तो खराब हैं। वहीं प्रदेश भर में 1430 वार्मर खराब हैं। नतीजतन हर उम्र के प्रति सप्ताह 490 से अधिक बच्चेदम तोड़ रहे हैं।
सरकारी अस्पताल | कितने वेंटीलेटर खराब |
बीकानेर | 6 |
अजमेर | 4 |
भरतपुर | 5 |
जयपुर | 6 |
जोधपुर | 7 |
उदयपुर | 5 |
काेटा | 11 |
(आंकड़ा 21 दिसंबर 19 तक)
हर दिन 180 बच्चे रेफर हो रहे
जिला अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में सुविधाएं नहीं होने की वजह से मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों (जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर, अजमेर) में हर दिन औसतन 180 बच्चे रेफर होकर आते हैं। प्रदेश के एक करोड़ 72 लाख बच्चों के लिए 124 डॉक्टर्स की सख्त जरूरत है। सरकारी अस्पताल संचालक मशीनों के खराब होने की जानकारी ई-उपकरण पोर्टल पर नहीं देते। वजह यह कि निजी लैब संचालकों से उनकी सांठगांठ होती है। कई सरकारी अस्पतालों में सुपर स्पेशलिटी का एक भी डॉक्टर नहीं है। किसी बच्चे को कार्डियो, न्यूरो और नेफ्रो सम्बन्धी बीमारी होती है तो उसके लिए इलाज संभव नहीं है।
उच्च स्तरीय दल में शामिल इन डॉक्टर्स की टीम भी कोटा आएगी
- डॉ. कुलदीप सिंह, अध्यक्ष-बाल चिकित्सा विभाग एवं डीन एकेडमिक एम्स, जोधपुर
- डॉ. दीपक सक्सेना, वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक, राजस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, भारत सरकार
- डॉ. अरुण सिंह, प्रोफेसर, निओनेटोलॉजी, एम्स, जोधपुर
- डॉ. हिमांशु भूषण, सलाहकार, एनएचएसआरसी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री
टीम इन बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौपेंगी
विशेषज्ञों का दल राज्य सरकार के साथ मिलकर कोटा मेडिकल कॉलेज में मातृ, नवजात शिशु और बाल चिकित्सा देखभाल सेवाओं, क्लिनिकल प्रोटोकॉल, सेवाएं प्रदान करने, कर्मचारियों और उपकरणों की उपलब्धता की समीक्षा करेगा और कमियों के विश्लेषण के आधार पर संयुक्त कार्य योजना बनाएगा ताकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राज्य चिकित्सा शिक्षा विभाग के जरिए कोटा मेडिकल कॉलेज को वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके।