2010 में हुई एनपीआर प्रक्रिया अब 2020 में होगी अपडेट, जानिए हर एक पहलू
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिहाज से निवासी हर उस व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में बीते 6 महीने या उससे अधिक समय से रह रहा है अथवा 6 महीने या उससे ज्यादा वक्त तक रहना चाहता है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर भारत के सामान्य नागरिकों का एक रजिस्टर है. इसे नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिक पंजीकरण और पहचान पत्र) नियमावली 2003 के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. भारत के सभी नागरिकों के लिए NPR में पंजीयन अनिवार्य है.
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिहाज से निवासी हर उस व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में बीते 6 महीने या उससे अधिक समय से रह रहा है अथवा 6 महीने या उससे ज्यादा वक्त तक रहना चाहता है. भारत के जनसंख्या आयुक्त कार्यालय के मुताबिक एनपीआर का उद्देश्य एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है. जिसमें भारत के सभी सामान्य निवासियों की जानकारियां हों. उसमें जनसांख्यकीय और बायोमेट्रिक जानकारियां हो सकती हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक जनगणना 2011 से पहले अप्रैल से सितंबर 2010 के बीच एनपीआर के लिए आंकड़े जमा करने का काम किया गया. इसमें घर-घर जाकर हाउसिंग और हाउस लिस्टिंग का काम भी किया गया. इसी दौरान सामान्य निवासियों की जानकारियां भी जमा की गईं.
10 अगस्त, 2011 को संसद में पूछे एक सवाल के जवाब में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, सरकार ने देश में रहने वाले सभी लोगों की विशिष्ट जानकारियों को जमा कर एक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) बनाने का फैसला किया है. एनपीआर में निवासियों के डेमोग्राफिक और बायोमेट्रिक आंकड़े जमा करना निर्धारित है. इसके तहत 5 वर्ष से अधिक आयु वाले हर निवासी के परिवार से जुड़ी जानकारी, फोटोग्राफ ,10 उंगलियों के निशान, आइरिस (आंखों की पहचान) डेटा आदि जमा करना शामिल है. देश में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी निवासियों को रेसिडेंट आईडेंटिटी( स्मार्ट) कार्ड देने की प्रक्रिया को भी इसी एनपीआर योजना का हिस्सा बनाया गया.
सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ मशवरा कर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में निवासियों से जुड़ी सूचनाओं के सामाजिक मूल्यांकन की प्रक्रिया भी तय की गई. यानि NPR की सूचनाओं पर आपत्तियों की समाहित करने के लिए समाज के स्तर पर उनका मूल्यांकन किया जाए. यह काम ग्राम सभाओं और वार्ड कमेटियों को दिया गया कि वो एनपीआर में निवासियों से जुड़ी जानकारियों की जांच करें.
23 फरवरी, 2011 को राज्यसभा में दिए एक जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया कि बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की एक पायलट परियोजना 12 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में चलाई गई. इसके तहत आंध्र प्रदेश, असम, दिल्ली, गोवा, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी के करीब 30.96 लाख आबादी पर इस तरह की तकनीक के साथ परीक्षण किया गया. इस प्रक्रिया में 18 वर्ष से अधिक आयु के उन सभी नागरिकों को स्मार्ट कार्ड दिए गए जो अपनी नागरिकता का प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर पाए. पायलट परियोजना में 12.50 लाख स्मार्ट पहचान पत्र जारी किए गए.
बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान कार्ड के इस डेटाबेस को 1 साल तक अपडेट भी किया गया और 31 मार्च 2009 को यह पायलट परियोजना बंद कर दी गई. हालांकि इस जवाब में गृहमंत्रालय ने पायलट परियोजना से मिले अनुभवों का हवाला देते हुए संसद को यह जरूर बताया कि नागरिकता के निर्धारण की प्रक्रिया काफी जटिल, समय खपाऊ और पेचीदा है.
इसकी बड़ी वजह यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शादीशुदा महिलाओं और भूमिहीन कामगारों से जुड़ा दस्तावेजी आधार बहुत कमजोर है. बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान कार्ड संबंधी पायलट परियोजना से मिले अनुभवों के बाद ही सरकार ने देश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने का फैसला किया. जिसमें विशिष्ट पहचान वाले सभी निवासियों से जुड़ी जानकारियां होंगी. इस कड़ी में जनगणना 2011 से पहले अप्रैल से सितंबर 2010 के बीच एनपीआर के लिए जरूरी हाउसिंग और हाउस लिस्टिंग का डाटा जमा कर लिया गया.
12 मार्च, 2012 को संसद में दी जानकारी में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया था कि जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक जानकारियों वाले एनपीआर डेटाबेस में दोहराव को रोकने के लिए इसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को भेजा जाएगा ताकि आधार से इसका मिलान हो सके. इसके साथ ही एनपीआर पर आपत्तियों और दावे आमंत्रित करने के लिए आधार नम्बर सहित सामान्य निवासियों के स्थानीय रजिस्टर (एलआरयूआर) को स्थानीय क्षेत्रों में प्रकाशित करना भी शामिल है. एलआरयूआर को सामाजिक पड़ताल के लिए ग्राम सभा/वार्ड समिति के समक्ष रखने का प्रावधान है.
साथ ही दावों और आपत्तियों से संबंधित कार्य पटवारी, तहसीलदारों और कलेक्टरों/डीएम जैसे राजस्व अधिकारी द्वारा देखे जाने की भी व्यवस्था की जाएगा जिन्हें क्रमश: स्थानीय रजिस्ट्रारों, उप जिला रजिस्ट्रारों और जिला रजिस्ट्रारों के रुप में पदनामित किया गया है. संवेदनशील क्षेत्रों में राज्य/संघ राज्यक्षेत्र की सरकारें जांच के लिए अतिरिक्त उपाय कर सकती हैं तथा वे सत्यापन की प्रक्रिया में स्थानीय पुलिस थानों या ग्राम चौकीदारों को शामिल करने के लिए स्वतंत्र हैं.
राज्यसभा में 8 मई 2013 को एनपीआर परियोजना की प्रगति के बारे में पूछे गए सवाल पर तत्कालीन गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह का जवाब था कि, पूरे देश के लिए एनपीआर तैयार करने हेतु घर-घर जाकर गणना करने के माध्यम से जनसांख्यिकीय आंकड़ों के संग्रहण का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है. एनपीआर की सभी भरी हुई अनुसूचियां अर्थात लगभग 27 करोड़ पन्नों की स्कैनिंग का कार्य कर लिया गया है.
इसमें 117 करोड़ से अधिक जनसंख्या के आंकड़ों के डिजिटाइजेशन का काम भी पूरा किया जा चुका है. इस कड़ी में 14.05 करोड़ से अधिक जनसंख्या के बायोमेट्रिक नामांकन का कार्य पूरा हो गया है. साथ ही 9.73 करोड़ व्यक्तियों के बायोमेट्रिक आंकड़े भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को भेजे जा चुके हैं तथा एनटीआर के तहत नामांकित 5.5 करोड़ व्यक्तियों के आधार संख्या अंक भी तैयार कर लिए गए हैं. इसी जवाब में मंत्रालय ने सदन को बताया कि पूरे देश में एनपीआर तैयार करने के लिए 6649.05 करोड़ रुपये की राशि के लिए स्वीकृत प्रदान की जा चुकी है और इस काम के 2014-15 में पूरा हो चुका है.
साल 2015 से बाद संसद में एनपीआर पर दिए जवाबों में केंद्रीय गृह मंत्रालय संसद को एनपीआर सूचनाओं को अद्यतन बनाने यानि अपडेट करने के बारे में भी बताता रहा है. 4 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में दिए एक जवाब में गृह मंत्रालय ने कह चुका है कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को अपडेट करने का काम एक अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के बीच किया जाएगा.
इसमें जनगणना 2021 के लिए हाउसिंग और हाउस लिस्टिंग अभियान को भी पूरा किया जाएगा. वहीं लोकसभा में 3 दिसंबर 2019 को दिए गृह मंत्रालय के जवाब के मुताबिक गनगणना 2021 पर जहां 8754.23 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. वहीं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने के लिए 3941.35 करोड़ रुपए का खर्च आएगा.
जनसंख्या आयुक्त कार्यालय के अनुसार एनपीआर के लिए निम्नांकित जनसांख्यकीय जानकारियां जरूरी हैं.
- व्यक्ति का नाम
- घर के मुखिया से सम्बंध
- पिता का नाम
- माता का नाम
- पति या पत्नी का नाम(विवाहित हैं तो)
- जन्मतिथि
- लिंग
- वैवाहिक स्थिति
- जन्म का स्थान
- राष्ट्रीयता(जो घोषित की हो)
- सामान्य निवास का पता
- मौजूदा पते पर रिहाइश की अवधि
- स्थाई पता
- रोजगार
- शैक्षणिक योग्यता