महाराष्ट्र / फ्लोर टेस्ट की मांग पर सुप्रीम कोर्ट 10:30 बजे फैसला सुनाएगा, राकांपा अजित पवार पर फैसला ले सकती है
राकांपा-कांग्रेस और शिवसेना की याचिका पर सुनवाई पूरी, विपक्षी दलों ने विधायकों के हलफनामों के साथ नई अर्जी दाखिल की थी केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- अजित पवार के गवर्नर को दिए पत्र में 54 विधायकों के हस्ताक्षर थे फडणवीस की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा- एक पवार हमारे साथ थे, दूसरे विपक्ष के; वे हॉर्स ट्रेडिंग में शामिल रहे, हम नहीं
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच विपक्षी दलों (शिवसेना, राकांपा-कांग्रेस) की याचिका पर मंगलवार सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने सोमवार को डेढ़ घंटे सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। विपक्ष ने 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है। केंद्र की ओर से कहा गया कि फ्लोर टेस्ट सबसे बेहतर है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह 24 घंटे में ही हो। इस पर राकांपा-कांग्रेस के वकील ने कहा कि जब दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट चाहते हैं तो इसमें देरी क्यों हो रही है? राकांपा-कांग्रेस ने सुनवाई के दौरान 154 विधायकों के समर्थन पत्र सौंपने के लिए अर्जी लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी। इस पर विपक्षी दलों को हलफनामा वापस लेना पड़ा था।
जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (केंद्र), कपिल सिब्बल (शिवसेना), अभिषेक मनु सिंघवी (राकांपा-कांग्रेस), मुकुल रोहतगी (देवेंद्र फडणवीस), मनिंदर सिंह (अजित पवार) ने दलीलें पेश की थीं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के द्वारा राष्ट्रपति शासन हटाने और शपथ ग्रहण कराने के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र में विपक्षी दल आगे की रणनीति तय करेंगे। उधर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार को लेकर राकांपा प्रमुख शरद पवार फैसला ले सकते हैं। क्योंकि, सोमवार को राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल अजित को मनाने के लिए गए थे। बाहर निकलकर भुजबल ने सिर्फ इतना ही कहा कि अजित से उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर वापस पार्टी में लौटने की अपील की है।
होटल हयात ने विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन
सोमवार रात को विपक्षी दलों के 162 विधायकों ने मुंबई के ग्रैंड हयात होटल में एक साथ पहुंच शक्ति प्रदर्शन किया। इसमें तीनों पार्टियों के प्रमुख नेता शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, राकांपा प्रमुख शरद पवार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे और प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोराट शामिल हुए।
उद्धव बोले- सत्ता में जय नहीं, सत्यमेव जयते होना चाहिए
- होटल हयात में विधायकों को संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा- अब हमारे दोस्त बढ़ गए हैं। सत्ता में जय नहीं, सत्यमेव जयते होना चाहिए। हम सिर्फ 5 साल कुर्सी पर बैठने नहीं आए, बल्कि 25-30 साल के लिए आए हैं। हमारी संख्या इतनी ज्यादा है कि वह एक फोटो में नहीं आ सकती।
- राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा- फ्लोर टेस्ट वाले दिन मैं 162 से ज्यादा विधायक लेकर आऊंगा। यह गोवा नहीं महाराष्ट्र है।
अपडेट्स
- अजित पवार मुख्यमंत्री फड़णवीस की एक अहम मीटिंग में नहीं पहुंचे। वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों के साथ सूखा, बाढ़ और आपदा प्रबंधन को लेकर आयोजित बैठक में फडणवीस के बगल वाली कुर्सी खाली थी। इसके बाद से अजित के रुख को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
- सोमवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की गैर-मौजूदगी में राजभवन में मौजूद अधिकारी को विपक्षी दलों के नेताओं ने 162 विधायकों के समर्थन वाला पत्र सौंपा। राकांपा नेता जयंत पाटिल ने कहा कि 162 विधायकों की किसी भी वक्त राज्यपाल के समक्ष परेड करा सकते हैं।
NCP प्रवक्ता नवाब मलिक बोले- शरद पवार इशारा कर दें तो बीजेपी साफ हो जाएगी
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे महीने भर पहले ही आ गए हैं लेकिन सियासी ड्रामा अभी तक खत्म नहीं हुआ है. बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार के समर्थन का दावा करते हुए सीएम पद की शपथ भी ले ली है. तो वहीं अजित को डिप्टी सीएम की शपथ दिलाई गई है. लेकिन अब बहुमत साबित करने को लेकर सभी पार्टियां अलग-अलग दावे कर रही हैं. विधायकों के जोड़ तोड़ की खबरें भी खूब चर्चा में हैं. इस बीच एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने बड़ा बयान दिया है.
नवाब मलिक ने कहा है कि ”अगर शरद पवार साहब इशारा कर दें तो बीजेपी साफ हो जाएगी. बीजेपी लोकतंत्र की हत्या करना चाहती है. अगर शरद पवार इशारा कर देंगे तो सभी विधायक साफ हो जाएंगे.”
बता दें कि महाराष्ट्र के इतिहास में सोमवार को एक अभूतपूर्व सियासी घटनाक्रम देखा गया. संख्या बल दिखाने के लिए अब तक राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड होती रही है, लेकिन शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से एक होटल में अपने 162 विधायकों की सार्वजनिक परेड आयोजित की. ऐसा बीजेपी व उसके सहयोगी अजित पवार गुट के 170 विधायकों का संख्या बल होने के दावे को गलत साबित करने के लिए किया गया. बीजेपी के बहुमत के दावे के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए परेड के बाद संयुक्त फोटो सेशन भी हुआ.
शिवसेना ने BJP से पूछा- बहुमत है तो ‘ऑपरेशन लोटस’ की क्या जरूरत, राज्यपाल पर भी बोला हमला
मुंबई: महाराष्ट्र में राजनीतिक गहमा गहमी के बीच शिवसेना ने बीजेपी और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर हमला बोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि अगर बीजेपी के पास बहुमत है तो चांडाल चौकड़ी वाले ‘ऑपरेशन लोटस’ की क्या जरूरत है? वहीं राज्यपाल को लेकर शिवसेना ने कहा है कि एक भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया था, तो वहीं दूसरे भगत सिंह ने अंधेरे में लोकतंत्र का वध कर दिया.
सामना में लिखा है, ‘’शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी इन तीनों पार्टियों ने मिलकर राजभवन में 162 विधायकों का पत्र प्रस्तुत किया है. ये सभी विधायक राजभवन में राज्यपाल के समक्ष खड़े रहने को तैयार हैं. इतनी साफ तस्वीर होने के बावजूद राज्यपाल ने किस बहुमत के आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई? इन लोगों ने जाली कागज पेश किए और संविधान के रक्षक भगतसिंह नामक राज्यपाल ने आंख बंद करके उन पर विश्वास किया.’’ शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ उसे ‘चाणक्य-चतुराई’ या ‘कोश्यारी साहेब की होशियारी’ कहना भूल होगी.
विधायकों का अपहरण करना, ये कैसी चाणक्य नीति- शिवसेना
संपादकीय में आगे लिखा है, ‘’एक भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया था, यह तो हम जानते हैं. वहीं दूसरे भगतसिंह के हस्ताक्षर से रात के अंधेरे में लोकतंत्र और आजादी को वध स्तंभ पर चढ़ा दिया गया.’’ बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा गया है, ‘’विधायकों का अपहरण करना और उन्हें दूसरे राज्य में ले जाकर कैद रखना, ये कैसी चाणक्य नीति है?
शिवसेना ने की शरद पवार की तारीफ
शिवसेना ने कहा, ‘’अजीत पवार का सारा खेल खत्म हो गया तब उन्होंने कहा कि ‘शरद पवार ही हमारे नेता हैं और मैं राष्ट्रवादी का हूं.’ ये हार की मानसिकता है. शरद पवार ने दो बार कांग्रेस छोड़ी और बड़ी हिम्मत के साथ अपनी नई पार्टी खड़ी की. 50 सालों तक संसदीय राजनीति में टिके रहना आसान नहीं है. कई गर्मियां-बरसात और तूफान झेलकर वे खड़े रहे.’’
चांडाल चौकड़ी वाले ‘ऑपरेशन लोटस’ की क्या जरूरत– शिवसेना
शिवसेना ने लिखा, ‘’सरकार कोई भी बनाए. जिसके पास बहुमत है उसे ये अधिकार है लेकिन इसके लिए संविधान, राजभवन और सरकारी नियमों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए, जिससे इन संस्थाओं पर से लोगों का विश्वास उठ जाए. फडणवीस के पास बहुमत था तो बहुमत का आंकड़ा बनाने के लिए नई चांडाल चौकड़ी वाले ‘ऑपरेशन लोटस’ की क्या जरूरत थी? उस चौकड़ी का एक सदस्य तो सीधे कहता है, ‘बाजार में विधायक खुद को बेचने के लिए तैयार हैं.’’