नई दिल्ली: अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब यह साफ है कि विवादित स्थल पर राम मंदिर बनेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर के निर्माण को लेकर ट्रस्ट के गठन का आदेश भी दिया है . यह ट्रस्ट 3 महीने में बनाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अलग-अलग पक्ष ट्रस्ट बनाने को लेकर अपने अपने सुझाव सामने रख रहे हैं.
इन्हीं में से एक पक्ष विश्व हिंदू परिषद भी रहा है जिसने 1990 के दशक से लेकर अब तक लगातार राम मंदिर आंदोलन को लेकर एक मुहिम चलाई है. विश्व हिंदू परिषद का साफ तौर पर कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्रस्ट बनाने का काम सरकार का है और उनकी अब तक सरकार से इस बारे में कोई बात नहीं हुई है.
लेकिन इसके साथ ही विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने ट्रस्ट बनाने को लेकर सरकार को कुछ सुझाव जरूर दिए हैं. इन सुझावों के मुताबिक ट्रस्ट में ऐसे लोगों को होने चाहिए जो मंदिर में आए चंदे को निजी उपयोग के लिए न छुए. मंदिर के चंदे का सदुपयोग होना चाहिए. वहां पर सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर ना की उस पैसे का किसी तरह से निजी उपयोग होना चाहिए. मंदिर के चंदे का सरकारी खजाने से कोई संबंध नहीं होना चाहिए. वह पैसा मंदिर के आसपास के इलाके और शहर को और ज्यादा विकसित और सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर खर्च किया जाए. चंपत राय का कहना है कि सरकार का कोई सदस्य ट्रस्ट में नहीं होना चाहिए क्योंकि अगर सरकार का कोई सदस्य ट्रस्ट में होगा तो उससे सरकार की धर्मनिरपेक्षता की छवि को लेकर भी सवाल उठेंगे.
सरकार के पास के ट्रस्ट बनाने के लिए 3 महीने का वक्त है और ऐसे में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अलग-अलग पक्ष अब इस ट्रस्ट में कौन होना चाहिए या नहीं इसको लेकर सरकार को सुझाव भी दे रहे हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि मंदिर के संचालन और रखरखाव का काम ट्रस्टी देखेगा. ऐसे में राम मंदिर बनाने की शुरुआत का सबसे पहला कदम ट्रस्ट बनाने से ही शुरू होगा.