30 साल पहले चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने तैयार किया था मंदिर का डिजाइन, अब कहा- इसे बनने में लगेंगे करीब तीन साल

गुजरात के आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने कहा कि मुझे अशोक सिंघल अयोध्या लेकर गए थे और उन्होंने मुझे मंदिर बनाने के लिए डिजाइन तैयार करने के लिए कहा था.

नई दिल्ली: अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब तय है कि राम मंदिर बनेगा. अब सवाल उठता है कि राम नगरी में मंदिर की भव्यता कैसी होगी और इसका काम कब तक पूरा होगा. विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) का कहना है कि मंदिर के लिए काफी तैयारियां पहले से हो चुकी हैं. वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा कि राम जन्मभूमि न्यास ने मंदिर निर्माण के लिये काफी तैयारियां कर रखी हैं. मंदिर का डिजाइन तैयार है और इसके मुताबिक बड़े पैमाने पर पत्थर भी तराश लिये गये हैं.

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वीएचपी ने 30 साल पहले गुजरात के आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा से राम मंदिर का मॉडल बनवाया था. चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि उन्होंने जो डिजाइन बनाई है, वैसा मंदिर निर्माण होने में तकरीबन तीन साल का समय लग सकता है.

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चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने कहा, ”30 साल की मेहनत है. अशोक सिंघल मुझे अयोध्या ले गए थे और उन्होंने कहा था कि ये देखिए यहां भव्य मंदिर बनना है. उन्होंने कहा कि बड़ा प्लान बनाइए. ” उन्होंने कहा कि नागर शैली का मंदिर है. 270 फीट लंबा है, 145 फीट चौड़ा है और 145 फीट ऊंचा है. गर्भगृह, चौकी, सीता मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, भरत मंदिर और गणेश मंदिर है. चार द्वार हैं. कथाकुंज, स्टाफ का रूम आदि भी बनाया गया है.

सोमपुरा ने कहा, ”30 साल पहले मैंने पैर से जमीन मापी थी और उसी के आधार पर मंदिर का डिजाइन तैयार किया था. मंदिर बनने में तीन साल लगेगा. यह मंदिर बाकी मंदिरों से अलग होगा. अष्टकोणीय मंदिर होगा.”

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बता दें कि वीएचपी ने राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में 1990 में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिये पत्थरों को तराशना शुरू किया था. राम जन्मभूमि न्यास विश्व हिन्दू परिषद के सदस्यों का स्थापित ट्रस्ट है. इस ट्रस्ट की स्थापना अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के उद्देश्य से 18 दिसंबर 1985 को की गई थी.

 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसले में एक सदी से अधिक पुराने मामले को निपटाते हुए अयोध्या में विवादित स्थल रामलला को सौंपने का फैसला किया. साथ में व्यवस्था दी कि पवित्र नगरी में मस्जिद के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन अब केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगी, जो इसे सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट को सौंपेंगे.

 

पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाया जाना चाहिए. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसला दिया और कहा कि हिन्दुओं का यह विश्वास निर्विवाद है कि संबंधित स्थल पर ही भगवान राम का जन्म हुआ था तथा वह प्रतीकात्मक रूप से भूमि के मालिक हैं.

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