अयोध्या फैसला LIVE: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, विवादित जमीन रामलला की है, सुन्नी वक्फ बोर्ड को कही ओर जमीन मिलेगी
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट फैसला दे रहा है.फैसले के मद्देनज़र देशभर में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं. मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से पहले पूरे देश में सुरक्षा कड़ी कर दी गई. कई राज्यों और इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है. वहीं, यूपी के अलीगढ़ में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दिया गया है. इस मामले से जुड़ी पल-पल की अपडेट के लिए बने रहिए एबीपी न्यूज़ के साथ.
- अयोध्या पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई फैसला पढ़ रहे हैं. इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि 1949 में मूर्तियां रखी गईं.
- कोर्ट रूम में फैसले की कॉपी लाई गई, जिसके बाद फैसले की कॉपी पर सभी जजों ने दस्तखत किए.
- भूमि विवाद के मुख्य मुद्दई इकबाल अंसारी ने सभी से शांति सद्भाव क़ायम रखने की अपील करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फ़ैसला होगा वो उन्हें मंज़ूर है. उन्होंने कहा है कि हम हमेशा हिंदुओं से गले मिलते हैं. मैं पुजारियों और साधुओं से मिलता रहता हूं. हम आज संदेश देंगे कि यहां हिंदू और मुसलमान में कोई बंटवारा नहीं है. हम सब हिंदुस्तानी हैं.
- कोर्ट ने कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है. केंद्र सरकार 3 महीने में ट्रस्ट बनाए.
- सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देगा. मुस्लिम पक्ष के वकील जिलानी ने कहा है कि हम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं.
नई दिल्ली:अयोध्या/नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ शनिवार को सुबह 10:30 बजे फैसला पढ़ना शुरू किया। संविधान पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े की याचिकाएं खारिज कर दीं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है। हालांकि, सीजेआई ने कहा कि अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। अदालत ने 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक 40 दिन तक हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता प्रभात सिंह ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने हमारे दावे को ख़ारिज किया है. इस पर हम क्या कह सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान है. हमारी मांग है कि मंदिर बन. आम जनमानस की मांग है मंदिर बने. हम इसका सम्मान करते हैं.
कोर्ट ने कहा है यात्रियों के वृतांत और पुरातात्विक सबूत हिंदुओं के हक में हैं. 6 दिसंबर 1992 को स्टेटस को का ऑर्डर होने के बावजूद ढांचा गिराया गया. लेकिन सुन्नी बोर्ड एडवर्स पोसेसन की दलील साबित करने में नाकाम रहा है. लेकिन 16 दिसंबर 1949 तक नमाज हुई. सूट 4 और 5 में हमें सन्तुलन बनाना होगा हाई कोर्ट ने 3 हिस्से किये. यह तार्किक नहीं था.
- निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता प्रभात सिंह ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने हमारे दावे को ख़ारिज किया है. इस पर हम क्या कह सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान है. हमारी मांग है कि मंदिर बन. आम जनमानस की मांग है मंदिर बने. हम इसका सम्मान करते हैं.
- कोर्ट ने कहा है यात्रियों के वृतांत और पुरातात्विक सबूत हिंदुओं के हक में हैं. 6 दिसंबर 1992 को स्टेटस को का ऑर्डर होने के बावजूद ढांचा गिराया गया. लेकिन सुन्नी बोर्ड एडवर्स पोसेसन की दलील साबित करने में नाकाम रहा है. लेकिन 16 दिसंबर 1949 तक नमाज हुई. सूट 4 और 5 में हमें सन्तुलन बनाना होगा हाई कोर्ट ने 3 हिस्से किये. यह तार्किक नहीं था.
- कोर्ट ने कहा है कि फिर भी मुख्य गुंबद के नीचे गर्भगृह मानते थे. इसलिए रेलिंग के पास आकर पूजा करते थे. साल 1934 के दंगों के बाद मुसलमानों का वहां कब्ज़ा नहीं रहा. वह जगह पर अपना दावा साबित नहीं कर पाए हैं.
- कोर्ट ने कहा है कि अंग्रेज़ों ने दोनों हिस्से अलग रखने के लिए रेलिंग बनाई. 1856 से पहले हिन्दू भी अंदरूनी हिस्से में पूजा करते थे. रोकने पर बाहर चबूतरे की पूजा करने लगे.
- कोर्ट ने कहा है कि हिंदुओं के वहां पर अधिकार की ब्रिटिश सरकार ने मान्यता दी. 1877 में उनके लिए एक और रास्ता खोला गया. अंदरूनी हिस्से में मुस्लिमों की नमाज बंद हो जाने का कोई सबूत नहीं मिला.
- कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ विवादित ढांचे के नीचे एक पुरानी रचना से हिंदू दावा माना नहीं जा सकता. मुसलमान दावा करते हैं कि मस्ज़िद बनने से साल 1949 तक लगातार नमाज पढ़ते थे, लेकिन 1856-57 तक ऐसा होने का कोई सबूत नहीं है.
- कोर्ट ने कहा है कि हिन्दू अयोध्या को राम भगवान का जन्मस्थान मानते हैं. मुख्य गुंबद को ही जन्म की सही जगह मानते हैं. अयोध्या में राम का जन्म होने के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया. विवादित जगह पर हिन्दू पूजा करते रहे थे. गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन से हिन्दू दावा झूठा साबित नहीं हुआ. चबूतरा,भंडार, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि होती है. हिन्दू परिक्रमा भी किया करते थे. लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता.
- सुप्रीम कोर्ट में फैसला पढ़ा जा रहा है. कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया है. निर्मोही अखाड़ा सेवादार भी नहीं है. रामलला को कोर्ट ने मुख्य पक्षकार माना है. यानी दो में से एक हिंदू पक्ष का दावा खारिज कर दिया है.
- कोर्ट ने कहा है कि ASI यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं. 12वीं सदी से 16वीं सदी पर वहां क्या हो रहा था, साबित नहीं.
- कोर्ट ने कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस में अपने दावे को बदला. पहले कुछ कहा, बाद मे नीचे मिली रचना को ईदगाह कहा. साफ है कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बना था. नीचे विशाल रचना थी. वह रचना इस्लामिक नहीं थी. वहां मिली कलाकृतियां भी इस्लामिक नहीं थी. ASI ने वहां 12वीं सदी की मंदिर बताई. विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीज़ें इस्तेमाल हुईं. कसौटी का पत्थर, खंभा आदि देखा गया.
- कोर्ट ने कहा है कि निर्मोही अपना दावा साबित नहीं कर पाया है. निर्मोही सेवादार नहीं है. रामलला juristic person हैं. राम जन्मस्थान को यह दर्जा नहीं दे सकते. पुरातात्विक सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते. वह हाई कोर्ट के आदेश पर पूरी पारदर्शिता से हुआ. उसे खारिज करने की मांग गलत है.
- कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट हदीस की व्याख्या नहीं कर सकता. नमाज पढ़ने की जगह को मस्ज़िद मानने के हक को हम मना नहीं कर सकते. 1991 का प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट धर्मस्थानों को बचाने की बात कहता है. एक्ट भारत की धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है.
- जज ने कहा है कि कोर्ट को देखना है कि एक व्यक्ति की आस्था दूसरे का अधिकार न छीने. मस्ज़िद साल 1528 की बनी बताई जाती है, लेकिन कब बनी इससे फर्क नहीं पड़ता. दिसंबर को मूर्ति रखी गयी. जगह नजूल की ज़मीन है. लेकिन राज्य सरकार हाई कोर्ट में कह चुकी है कि वह ज़मीन पर दावा नहीं करना चाहती.
- शिया और सुन्नी केस में एक मत से फैसला आया है. ध्यान रहे ये मामला आयोध्या केस से अलग है.
कोर्ट ने कहा- रामजन्मभूमि कोई व्यक्ति नहीं
- अदालत ने यह भी कहा कि रामजन्मभूमि कोई व्यक्ति नहीं है, जो कानून के दायरे में आता हो।
- अदालत ने कहा कि आस्था के आधार पर फैसले नहीं लिए जा सकते हैं। ये विवाद सुलझाने के लिए सांकेतक जरूर हो सकते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल में राम चबूतरा और सीता रसोई में पूजा हुआ करती थी। इस बात के सबूत हैं कि हिंदुओं के पास विवादित जमीन के बाहरी हिस्से का कब्जा था।
निर्मोही अखाड़ा न तो सेवादार और ना ही श्रद्धालु: कोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा न तो सेवादार है और न ही भगवान रामलला के श्रद्धालु है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘लिमिटेशन’ की वजह से अखाड़े का दावा खारिज हुआ था।
खाली जमीन पर नहीं थी मस्जिद: सुप्रीम कोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। एएसआई के मुताबिक मंदिर के ढांचे के ऊपर ही मंदिर बनाया गया था।
- अदालत ने कहा कि हिंदू इसे भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं। उनकी अपनी धार्मिक भावनाएं हैं। मुस्लिम इसे मस्जिद कहते हैं। हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम केंद्रीय गुंबद के नीचे जन्मे थे। यह व्यक्तिगत आस्था की बात है।
चीफ जस्टिस बोले संतुलन बनाना होगा
- चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि अदालत को लोगों की आस्था को स्वीकार करना होगा। अदालत को संतुलन बनाना होगा।
- निर्मोही अखाड़े के दावे पर फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट पर भरोसा जताया। कोर्ट ने कहा कि इस पर शक नहीं किया जा सकता। साथ ही पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज करना मुश्किल है।
शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हम शिया वक्फ बोर्ड की विशेष याचिका को खारिज करते हैं। शिया वक्फ बोर्ड ने 1946 में फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
- अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी। अदालत के लिए धर्मशास्त्र के क्षेत्र में जाना सही नहीं होगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्व रिकॉर्ड में विवादित जमीन सरकारी जमीन के नाम पर दर्ज है।
संविधान पीठ का फैसला
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- मीर बकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई। धर्मशास्त्र में प्रवेश करना अदालत के लिए उचित नहीं होगा।
- चीफ जस्टिस ने कहा- हम सर्वसम्मति से फैसला सुना रहे हैं। इस अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विवादित जमीन रेवेन्यू रिकॉर्ड में सरकारी जमीन के तौर पर चिह्नित थी। शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे पर था। इसी को खारिज किया गया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज किया। निर्मोही अखाड़े ने जन्मभूमि के प्रबंधन का अधिकार मांगा था।
- चीफ जस्टिस ने कहा- विवादित ढांचा इस्लामिक मूल का ढांचा नहीं था। लेकिन आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह नहीं कहा था कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को ढहाया गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना को और बल दे: मोदी
फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया था- अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, वो किसी की हार-जीत नहीं होगा। देशवासियों से मेरी अपील है कि हम सब की यह प्राथमिकता रहे कि ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे।
आस्था के आधार पर मालिकाना नहीं- कोर्ट
अयोध्या विवाद : अब तक की बड़ी बातें
- सवा सौ साल पहले बाबरी मस्जिद के दरवाज़े के पास बैरागियों ने राम चबूतरा बनाया. साल1885 में महंत रघुबर दास की चबूतरे पर मंदिर बनाने की मांग, अदालत से ख़ारिज. साल 1949 में प्रदेश सरकार ने राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की कोशिश की, कोशिश नाकाम. साल1949 में ही 22-23 दिसंबर को ये संपत्ति कुर्क, वहां रिसीवर बिठा दिया गया.
- साल 1950 में 16 जनवरी को गोपाल दास विशारद कोर्ट गए, सिर्फ़ पुजारी को पूजा की इजाज़त. साल 1959 में निर्मोही अखाड़े ने अदालत में अपना दावा पेश किया. साल1961 में सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड अदालत पहुंचा, मस्जिद का दावा पेश किया. साल 1986 में 1 फ़रवरी को फ़ैज़ाबाद ज़िला जज ने ताला खुलवाया, सबको पूजा की इजाज़त दी.
- साल 1986 में कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फ़ैसला. 1989 में वीएचपी के देवकीनंजन अग्रवाल ने रामलला की तरफ़ से मंदिर का केस किया. साल 1989 के नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास. साल 1990 में 25 सितंबर से सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, 23 अक्टूबर को लालकृष्ण आडवाणी गिरफ़्तार. इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्रप्रदेश में दंगे भड़के.
- साल 1990 में कुछ कार सेवकों ने मस्जिद की गुंबद तोड़ी, भगवा फहराया, दंगे फिर भड़के. साल 1991 के जून महीने में लोकसभा चुनाव हुए और यूपी में बीजेपी की सरकार बनी. साल 1992 के नवंबर में कल्याण सिंह का अदालत में मस्जिद की हिफ़ाज़त का हलफ़नामा दिया. साल 1992 के 6 दिसंबर को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी. साल 2003 में हाई कोर्ट ने विवादित स्थल की खुदाई कराई ताकि दावों का सच पता लगे.
- साल 2010 में 30 सितंबर को इलाहाबाद कोर्ट के लखनऊ खंडपीठ से विवादित ज़मीन का बंटवारा रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को बराबर ज़मीन देना का फ़ैसला. इलाहाबाद कोर्ट के लखनऊ खंडपीठ के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट गए.
- साल 2019 के 8 मार्च को कोर्ट ने इस मामले में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति बनाई. मध्यस्थता समिति में अध्यक्ष जस्टिस ख़लीफ़ुल्ला, श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल. मध्यस्थता समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कर अपनी असमर्थता जताई.
- कई पक्षों ने मध्यस्थता समिति से दोबारा बातचीत करने का आग्रह किया सुप्रीम कोर्ट से पक्षकारों को आपस में समझौता और मध्यस्थता समिति से बातचीत का विकल्प दिया. भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पहले 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी करने की उम्मीद जताई थी. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अब 17 अक्टूबर तक ही सभी पक्ष अपनी बहस पूरी करें. सुप्रीम कोर्ट आज विवादित जमीन के मालिकाना हक पर सुनाएगा फैसला
- अयोध्या में पंचकोसी-चौदहकोसी परिक्रमा खत्म हुई
- शुक्रवार रात ही श्रद्धालुओं को बसों से रवाना किया
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अखाड़े का दावा लिमिटेशन से बाहर है.
अयोध्या के विवादित स्थल को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला थोड़ी देर में आने वाला है. पूरी दुनिया की नजर अयोध्या पर है कि वहां क्या माहौल है? अयोध्या में शांति है या लोग बेचैन हैं? आपको बता दें कि अयोध्या में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. अभी अयोध्या में पंचकोसी और चौदहकोसी परिक्रमा चल रही थी. कार्तिक मेले के चलते अल्पवास करने के लिए करीब 20 लाख लोग अयोध्या में आए थे. जिनमें से करीब 80 फीसदी लोग जा चुके हैं. इन श्रद्धालुओं को उनके जिले में भेजने के लिए हजारों बसों की व्यवस्था की गई थी.
अयोध्या में अल्पवास करने आए कुछ श्रद्धालुओं का मन था कि परिक्रमा के बाद वे कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करके जाएं. परिक्रमा पूरी हो चुकी थी, लेकिन जैसे ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खबर लोगों को लगी तो लोग अयोध्या से जाने लगे. तत्काल स्थानीय प्रशासन ने उत्तर प्रदेश परिवहन की करीब एक हजार बसों को लगाकर अयोध्या में मौजूद लाखों श्रद्धालुओं को उनके जिलों की तरफ शुक्रवार रात ही रवाना कर दिया. कुछ श्रद्धालु शनिवार सुबह तक रवाना किए गए है.
अयोध्या के सारे रास्ते सील, विवादित स्थल भी किले में तब्दील
अयोध्या शहर में अंदर आने के सारे रास्तों को बंद कर दिया गया. विवादित स्थल के चारों तरफ 2 किलोमीटर के क्षेत्रफल को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. इसे रामकोट मोहल्ला कहते हैं. इस मोहल्ले में सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ा दी गई है. अयोध्या के वरिष्ठ पत्रकार शिवकुमार मिश्रा ने बताया कि यहां अयोध्या में गाड़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लोग पैदल ही चल रहे हैं. सिर्फ दो पहिया चलाने की अनुमति है. लेकिन कुछ जगहों पर दोपहिया की भी अनुमति नहीं है.
शुक्रवार देर रात तक अयोध्या का बाजार खुला रहा, सामान्य जनजीवन
वासुदेवघाट मोहल्ले में रहने वाले शिक्षक राहुल सिंह बताते हैं कि अयोध्या में चारों तरफ सीआरपीएफ, आरएएफ समेत कई अर्धसैनिक बलों की करीब 45 कंपनियां तैनात की गई है. अयोध्या में इस फैसले को लेकर अब जितना संयम है, उतना मैंने पहले कभी नहीं देखा. यहां सभी जगहों पर शांति है. शुक्रवार रात 11 बजे तक तो लोग सब्जी मंडी से सब्जियां खरीद रहे थे. रात 12 बजे तक पेट्रोल पंप भी खुला हुआ था.
अयोध्या में शांति है, सुरक्षाबल थोड़ा ज्यादा बढ़ गए हैं
पत्रकार नितिन कुमार बताते हैं कि अयोध्या के सभी प्रमुख और बड़े मंदिरों के चारों तरफ, सभी चौक-चौराहों पर सुरक्षाबल तैनात हैं. बाजार शुक्रवार रात देर तक खुला था. शनिवार को भी खुलेगा. यहां लोगों के बीच काफी सौहार्द है. लोग शांति से रह रहे हैं. यहां के लोगों को फर्क नहीं पड़ता कि बाहर क्या होता है? अयोध्या में शांत रहने की परंपरा है. अयोध्या पहले भी शांत थी, अब भी है और आगे भी रहेगी.