तीस हजारी हिंसा / सीसीटीवी फुटेज: डीसीपी मोनिका हाथ जोड़ रही थीं, उग्र वकील उनसे बदसलूकी कर रहे थे

वीडियो सामने आने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। दूसरी ओर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग करने वाली वकीलों की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने वकीलों को सलाह दी कि वे पुलिस से मध्यस्थता के लिए अपने अच्छे अधिकारियों को भेजें।

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  • 2 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच झड़प हुई, कुछ वकील और पुलिसकर्मी घायल हुए
  • 4 नवंबर को कड़कड़डूमा और साकेत कोर्ट में वकीलों ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की
  • 5 नवंबर को दिल्ली पुलिसकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया, वकीलों ने भी हड़ताल की

नई दिल्ली. पुलिस और वकीलों के बीच 2 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसा के दौरान वकीलों ने नॉर्थ डीसीपी मोनिका भारद्वाज से बदसलूकी की थी। इसी घटना का एक सीसीटीवी फुटेज शुक्रवार को सामने आया। इसमें साफ दिख रहा है कि हिंसा की सूचना के बाद डीसीपी भारद्वाज पुलिस कर्मियों के साथ कोर्ट परिसर पहुंचीं, वहां वकीलों की भीड़ उनकी ओर दौड़ी और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इस दौरान डीसीपी भारद्वाज वकीलों के सामने हाथ जोड़ते नजर आईं।

वीडियो सामने आने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। दूसरी ओर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग करने वाली वकीलों की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने वकीलों को सलाह दी कि वे पुलिस से मध्यस्थता के लिए अपने अच्छे अधिकारियों को भेजें।

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अलग से एफआईआर दर्ज की जाए: महिला आयोग

महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने कहा, ‘‘ हम दिल्ली के पुलिस आयुक्त और बार काउंसिल को पत्र लिख रहे हैं कि वीडियो में पहचान लिए गए लोगों के खिलाफ अलग से एफआईआर दर्ज की जाए। मैंने कल वीडियो देखा। ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थिति नियंत्रित करने गई एक महिला अधिकारी के साथ वकीलों ने मारपीट और बदसलूकी की। ये किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है।’’

कानून जानने वाले इसे कैसे तोड़ सकते हैं: शर्मा
शर्मा ने कहा,‘‘ ये जानना दुखद है कि वकील खुद झड़प का हिस्सा बने। ऐसे में वे लोगों के लिए कैसे काम करेंगे‌? कानून को अच्छी तरह जानने वाले लोग कानून तोड़ सकते हैं? उन्होंने कानून अपने हाथ में क्यों लिया। इस प्रकार की घटनाएं पुलिस सेवा में जाने की इच्छुक महिलाओं के लिए डराने वाला है। अगर तथाकथित शिक्षित लोग इस प्रकार बर्ताव करते हैं, तो उनके वकालत करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।’’

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