नई दिल्ली. इंफोसिस (Infosys) व्हिसलब्लोअर (Whistleblower) मामले में कंपनी के चेयरमैन नंदन नीलेकणी ने कहा कि भगवान भी इंफोसिस के नंबर बदल नहीं सकते हैं. व्हिसलब्लोअर्स के आरोपों जवाब देते हुए उन्होंने ये बात कही. बता दें कि एक व्हिसलब्लोअर ने Infosys के सीईओ (CEO) सलिल पारेख और सीएफओ (CFO) निलंजन रॉय पर गंभीर आरोप लगते हुए दावा किया था कि कंपनी ने अपना मुनाफा और आमदनी बढ़ाने के लिए अनैतिक कदम उठाए हैं.
Moneycontrol में छपी खबर के मुताबिक, एक एनालिस्ट कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए नीलेकणि ने कहा कि उन्हें व्हिसलब्लोअर द्वारा लगाए गए आरोपों पर अपमान महसूस हुआ. लेकिन उन्होंने कहा कि वह जांच को प्रभावित नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, हम व्हिसलब्लोअर शिकायतों को बहुंत गंभीरता से लेते हैं. ऑडिट कमेटी ने एक संरक्षक के रूप में सेवा करते हुए, एक बाहरी टीम को जांच करने के लिए लाया गया है.
नंदन नीलेकणी ने कहा, ये आरोप कंपनी की छवि खराब करने के लिए की गई थी. मैंने अपने सह-संस्थापकों के साथ पूरी जिंदगी कंपनी को दिया है. उन्होंने मिलकर यह संस्थान बनाया है जो आज भी निस्वार्थ भाव से काम कर रही है. उन्होंने कहा, इस लेवल पर मौजूदा हालात को देखें तो पहली नजर में कोई सबूत नहीं मिलता. गुमनाम लोगों ने कंपनी के खिलाफ जो शिकायत की है उसकी जांच चल रही है. कंपनी अभी इन शिकायतों की विश्वसनीयता तय नहीं कर पाई है.
नीलेकणी ने कहा कि ऑडिट कंपनी ने एक एक्सटर्नल लॉ फर्म को हायर किया है जो गुमनाम लोगों के शिकायतों की जांच करेगी. जांच के बाद जो रिपोर्ट आएगी, हम उसे सबके साथ शेयर करेंगे.
क्या है मामला?
बता दें कि कंपनी में काम करने वाले कुछ गुमनाम कर्मचारियों ने 17 सितंबर को बोर्ड को एक खत लिखा था, जिसमें कंपनी के CEO सलिल पारेख और CFO निलंजन रॉय के खिलाफ पिछली दो तिमाहियों (अप्रैल-सितंबर) में मैनेजमेंट और अकाउंटिंग में कई तरह की गड़बड़ियां करने का आरोप लगाया था. दोनों पर आरोप था कि उन्होंने शॉर्ट टर्म प्रॉफिट बढ़ा हुआ दिखाने और खर्चों को कम दिखाने के लिए अनियमतिताएं की थीं. बोर्ड से कोई जवाब न आने पर व्हिसलब्लोअर्स ने 3 अक्टूबर को US के व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन प्रोग्राम के पास खत भेजा.