नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच खुलने जा रहे करतारपुर गलियारे के खुलने में अब भले ही चंद दिन बचे हों लेकिन इसको लेकर दोनों मुल्कों के बीच मतभेदों के कांटे अब भी बरकरार हैं. गलियारे के उद्घाटन के बाद भारत से जाने वाले पहले जत्थे को लेकर जहां भारत को पाकिस्तान से अब भी मंजूरी का इंतज़ार है. वहीं पाक ने अभी तक तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और मेडिकल सुविधाओं पर कोई जानकारी भारत के साथ साझा नहीं की है. इतना ही नहीं, यात्रा के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी प्रधानमंत्री इमरान खान ने बयान ने विवादों को सुलझाने की बजाए और उलझा दिया है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भले ही बीते दिनों करतारपुर तीर्थयात्रा के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता खत्म करने का बयान देकर दिया हो लेकिन द्विपक्षीय समझौते की शर्तों में बदलाव का न तो कोई प्रस्ताव भेजा है और न ही इसके लिए कोई पहल की है. ऐसे में पाक प्रधानमंत्री के बयान ने आम लोगों के बीच भ्रम ही अधिक फैलाया है. जबकि ज़मीनी तौर पर न तो उनकी सरकार की कोई मंशा नज़र आई है और न ही स्थिति में कोई बदलाव है. यानी करतारपुर यात्रा के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता पहले की तरह बरकरार है.
हालांकि करतारपुर गलियारा खोलने की पेशकश से लेकर इसके निर्माण में पहल करने वाला भारत इस मामले में पाकिस्तानी रवैये को लेकर चिंतित तो है लेकिन कदम पीछे खींचने के किसी गुंजाइश को सूत्र सिरे से खारिज करते हैं. हालांकि उद्घाटन तैयारियों से जुड़े सरकारी सूत्रों के मुताबिक करतारपुर परियोजना को लेकर बीते एक साल के दौरान पाकिस्तान का रवैया सहयोग-साझेदारी का कम और पैंतरेबाज़ी का ज़्यादा नज़र आता है.
करतारपुर गलियारे के उद्घाटन को लेकर दोनों मुल्कों ने 9 नवम्बर की तरीखों का ऐलान कर दिया हो. लेकिन सरहद के दोनों तरफ होने वाले आयोजनों में तालमेल कम ही दिखाई देता है. भारत की तरफ से पाकिस्तान को 9 नवम्बर को करतारपुर साहिब दर्शन के लिए जाने वाले पहले जत्थे की फेहरिस्त सौंप दी गई. लेकिन इस फेहरिस्त को लेकर कोई जवाब सीमा पार से भारत को अभी तक नहीं मिला है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने इस यात्रा से पहले भारत की किसी एडवांस टीम को इंतज़ामों का जायजा लेने से लिए आने की इजाजत भी नहीं दी.
गौरतलब है कि 9 नवम्बर को जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीमा के इस तरफ डेरा बाबा नानक पर करतारपुर गलियारे के लिए बने नए पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग का उद्घाटन करेंगे. वहीं पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री इमरान खान करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के लिए बनी सुविधाओं का स्वागत करेंगे. उद्घाटन के बाद पहले जत्थे के रूप में पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और हरसिमरत कौर बादल, सूबे के कई सांसद, विधायक समेत कई गणमान्य व्यक्तियों के जाने का कार्यक्रम है. प्रस्तावित योजना के मुताबिक पहले जत्थे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रवाना करेंगे.
हालांकि अभी तक पाकिस्तान की तरफ से भारत की तरफ से प्रस्तावित जत्थे के लिए मंजूरी नहीं मिली है. इतना ही नहीं बताया जाता है कि भारत सरकार की तरफ से भेजी गई सिफारिशों को नजरअंदाज करते हुए पाक ने तीर्थयात्रियों के पहले दल का नेतृत्व शिरोमणी अकाली दल दिल्ली के परमजीत सिंह सरना की अगुवाई में स्वीकारने का मन बना लिया.
इतना ही नहीं पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के नाम को लेकर भी अभी सस्पेंस बाकी है. भारत की तरफ से जाने वाले पहले जत्थे में उनका नाम शामिल नहीं है. वहीं पकिस्तान ने अपनी तरफ होने वाले आयोजन में शरीक होने के लिए न्यौता ज़रूर भेजा है. लेकिन पाकिस्तान जाने के लिए सिद्धू को विदेश मंत्रालय से मंजूरी हासिल करनी होगी जो अभी तक उन्हें नहीं दी गई है. ऐसे में उनके पाकिस्तान जाने को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं है.
इस बीच करतारपुर गलियारे को लेकर 20 डॉलर फीस को लेकर भारत का ऐतराज़ अब भी बरकरार है. गौरतलब है कि गत 24 अक्टूबर को भारत ने तीर्थयात्रियों से फीस वसूली की ज़िद के बावजूद पाकिस्तान के साथ समझौते पर दस्तखत तो किए पर अपना ऐतराज़ भी जताया था. भारत की तरफ से समझौता दस्तावेज़ पर दस्तखत करने वाले गृह मंत्रालय के अधिकारी एससीएल दास ने कहा था इस मामले पर भारत की आपत्तियां बरकरार हैं और वो पाकिस्तान से शुल्क वसूली की ज़िद छोड़ने का आग्रह करता रहेगा.