नई दिल्ली: दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के कारण हाल बुरा है. दिल्ली सरकार ने ऑड ईवन योजना शुरु की है. सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक ऑड ईवन का नियम लागू रहेगा. प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त नजर आ रहा है और पंजाब, हरियाणा, यूपी के मुख्य सचिवों को तलब किया है.
सोमवार को दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. कोर्ट ने कहा है कि पराली जलाने की किसी भी घटना के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जायेगा. कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों को अपने सामने पेश होने के लिए भी कहा है.
फिलहाल दिल्ली में ट्रकों के दाखिल होने पर भी रोक लगा दी है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ऑड इवन पॉलिसी पर भी सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी EPCA की रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह बताया गया कि इस साल हरियाणा ने पराली जलाने पर काफी हद तक लगाम लगाई है. लेकिन पंजाब ने इस मसले पर बेहद गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया है.
सैटेलाइट तस्वीरों से यह साफ हो रहा है कि खासतौर पर दक्षिणी पंजाब में बड़े पैमाने पर पराली जलाई गई है. जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “हम कई सालों से इस मसले पर निर्देश दे रहे हैं. लेकिन राज्य सरकारें हमारे निर्देशों के पालन में नाकाम रही हैं. इन सरकारों का मकसद सिर्फ चुनाव जीतना है. लोगों के जीवन के अधिकार का हनन हो रहा है. उनके स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा है. घर के अंदर भी हवा शुद्ध नहीं है. लेकिन सरकारों का ध्यान इस तरफ नहीं है.”
कोर्ट ने आगे कहा, “यह परेशान करने वाली बात है कि हर साल 10 से 15 दिनों तक दिल्ली के लोगों का दम घोटा जाता है. पर इस बारे में कोई कुछ नहीं कर रहा है. हम ऐसी स्थिति को जारी नहीं रहने दे सकते. पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं होती हैं. हम यह साफ कर देना चाहते हैं अब से ऐसी एक भी घटना अगर होती है तो उसके लिए मुख्य सचिव से लेकर ग्रामपंचायत तक एक एक सरकारी अधिकारी को इसके लिए जिम्मेदार माना जाएगा. उस पर कोर्ट सख्त कार्रवाई करेगा.”
सुप्रीम कोर्ट ने यह जानना चाहा है कि राज्य सरकारों ने पराली जलाने वालों के खिलाफ करवाई क्यों नहीं की. कोर्ट ने कहा, “हमें बताया जा रहा है कि खरीफ की फसलों को देर से बोने के चलते, बाद में रबी की फसल लगाने के लिए समय नहीं मिलता. इसलिए, किसान फसल के अवशेष जलाते हैं. हम यह कहना चाहते हैं कि जिन लोगों को दूसरों का जीवन खतरे में डालने में संकोच नहीं होता, हमें उनसे कोई सहानुभूति नहीं है. उनके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाए. इस काम में ग्राम प्रधानों को भी भागीदार बनाया जाए. अगर वह अपने गांव में ऐसी घटना रोकने में असफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए.
कोर्ट ने EPCA की सिफारिशों के आधार पर दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश फिलहाल रोकने, दिल्ली NCR में हर तरह का निर्माण कार्य रोकने और डीजल जनरेटर का इस्तेमाल फिलहाल बंद करने का भी आदेश दिया है. साथ ही, धूल पर नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर स्प्रिंकलर के इस्तेमाल का भी आदेश कोर्ट ने दिया. आज कोर्ट ने दिल्ली सरकार की और ऑड इवन पॉलिसी पर सवाल उठाए.
2 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, “हमें यह बताया गया है कि थ्री व्हीलर भी बहुत ज्यादा प्रदूषण करते हैं. लोगों को घर से कार निकालने से तो रोका जा रहा है. लेकिन वह इसके बदले टैक्सी, थ्री व्हीलर या टू व्हीलर का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे प्रदूषण कैसे रुकेगा? दिल्ली सरकार के पास क्या आंकड़े हैं? उसकी क्या नीति है? जरूरत इस बात की है कि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए. सिर्फ कुछ कारों को घर से निकालने से रोक देना हल नहीं हो सकता. शुक्रवार तक दिल्ली सरकार हमें इस बारे में अपनी नीति बताए.”
कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी यह कहा है कि वह हर साल बनने वाले इस स्थिति पर लगाम लगाने के लिए रोडमैप पेश करे. कोर्ट ने इसके लिए 3 हफ्ते दिए हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की, “इस तरह की स्थिति 1 दिन क्या 1 घंटे के लिए भी स्वीकार नहीं की जा सकती. दिल्ली में रहने वाले करोड़ों लोगों को यहां से बाहर तो नहीं भेजा जा सकता. दुनिया के किसी भी देश में इस तरह की स्थिति बर्दाश्त नहीं की जाती. आखिर भारत में ही ऐसा क्यों हो रहा है?”
एनजीटी ने भी लिया संज्ञान
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली-एनसीआर में खराब होती एयर क्वालिटी का सोमवार को संज्ञान लिया और दिल्ली सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधिकारियों से मंगलवार को उसके सामने पेश होने को कहा.
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस ए के गोयल की बेंच ने बंद कमरे में हुई सुनवाई के बाद दिल्ली के मुख्य सचिव, डीपीसीसी अध्यक्ष, सीपीसीबी के सदस्य सचिव और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के संबंधित सचिव को पेश होने को कहा है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्य, इमारत गिराना और कूड़ा जलाने पर रोक लगाने का सोमवार को निर्देश दिया. उसने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वहां पराली जलाए जाने की कोई घटना नहीं हो.