अलर्ट / पाकिस्तान के लश्कर और जैश ने भारत और अफगानिस्तान में हमले की साजिश रची: अमेरिका
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सरकार लश्कर ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को देश में धन जुटाने, लड़ाकों को भर्ती करने और उनके प्रशिक्षण को रोकने में पूरी तरह विफल रही और पिछले साल जुलाई में लश्कर से संबंधित उम्मीदवारों को आम चुनाव में हिस्सा लेने की इजाजत दी। इसमें कहा गया है कि 2018 में पाकिस्तान में कई आतंकवादी हमले हुए। इस दौरान आतंकी समूहों ने आम नागरिकों, पत्रकारों, स्थानीय नेताओं, सुरक्षा बलों, पुलिस और स्कूलों को निशाना बनाया।
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रिपोर्ट के मुताबिक, लश्कर और जैश के आतंकियों को प्रशिक्षण, फंड और संसाधन दिए जा रहे हैं
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‘लश्कर-ए-तैयबा के उम्मीदवारों को पिछले साल जुलाई में आम चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई’
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‘पाकिस्तान में सैन्य अदालतें पारदर्शी नहीं, इनका इस्तेमाल लोगों को चुप कराने के लिए होता है’
वॉशिंगटन. पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद भारत और अफगानिस्तान में हमले की साजिश रच रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह जारी अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया। रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान ने इन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं की। इन समूहों के आतंकियों को प्रशिक्षण, फंड देकर संगठित किया जा रहा है। भारत में ये संगठन आतंकी हमले करते रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से होने वाले हमलों के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। भारत ने अपनी सीमा में आतंकवादी संगठनों के अभियानों का पता लगाने, उन्हें खत्म करने और उन पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव डालना जारी रखा है। रिपोर्ट में पाकिस्तान पर अफगानी तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे संगठनों को देश में प्रतिबंधित न करने का आरोप भी लगाया गया है।
2018 में नागरिकों, पत्रकारों, नेताओं और स्कूलों को निशाना बनाया
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सरकार लश्कर ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को देश में धन जुटाने, लड़ाकों को भर्ती करने और उनके प्रशिक्षण को रोकने में पूरी तरह विफल रही और पिछले साल जुलाई में लश्कर से संबंधित उम्मीदवारों को आम चुनाव में हिस्सा लेने की इजाजत दी। इसमें कहा गया है कि 2018 में पाकिस्तान में कई आतंकवादी हमले हुए। इस दौरान आतंकी समूहों ने आम नागरिकों, पत्रकारों, स्थानीय नेताओं, सुरक्षा बलों, पुलिस और स्कूलों को निशाना बनाया।
अल्पसंख्यकों के खिलाफ कई हमले हुए
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को आतंकवादी समूहों से खतरों का सामना करना पड़ता है। इनके खिलाफ कई घातक हमले किए जाते हैं। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान में सैन्य अदालतें पारदर्शी नहीं हैं और इनका इस्तेमाल समाज के बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ताओं को चुप कराने के लिए होता है।