महाराष्ट्र / राज्य राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है: भाजपा; शिवसेना का जवाब- क्या यह विधायकों को धमकी है

‘‘महाराष्ट्र की राजनीति फिलहाल एक मजेदार शोभायात्रा बन गई है। राज्य की सरकार तो नहीं लेकिन विदा होती सरकार के बुझे हुए जुगनू रोज नए मजाक करके महाराष्ट्र को कठिनाई में डाल रहे हैं।’’

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  • शुक्रवार को भाजपा नेता और वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा था- महाराष्ट्र राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है
  • शिवसेना सांसद संजय राउत ने पूछा- क्या मुनगंटीवार का यह बयान राज्य के चुने हुए विधायकों को धमकी है?
  • राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा- जनता ने हमें विपक्ष के लिए चुना, हम वहां ही बैठेंगे

मुंबई. महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। शनिवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। राउत ने कहा कि भाजपा क्या विधायकों को धमकी दे रही है? शुक्रवार को मुनगंटीवार ने कहा था कि राज्य राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है।

राउत ने कहा, ‘‘राज्य में सरकार के गठन में देरी हो रही है और सत्ताधारी पार्टी का एक मंत्री यह कहे कि सरकार गठित नहीं हुई तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। क्या यह चुने हुए विधायकों को धमकी है?’’

वहीं, शरद पवार से मुलाकात को लेकर राउत ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में जो स्थितियां बन रही हैं। सभी दल एक-दूसरे से बात कर रहे हैं। सिवाय शिवसेना और भाजपा के।’’ हालांकि, यह भी कहा कि शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा है और हम राजधर्म का धर्म निभाते हुए अंतिम सांस तक गठबंधन धर्म का पालन करेंगे।

‘महाराष्ट्र की राजनीति शोभायात्रा बनी’

  • शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में मुनगंटीवार के बयान को जनादेश का अपमान बताते हुए पूछा- ‘‘क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं? राष्ट्रपति की मुहर वाला रबर स्टेंप राज्य के भाजपा ऑफिस में ही रखा हुआ है? भाजपा का शासन नहीं आया तो क्या इस मुहर का प्रयोग कर राज्य में आपातकाल लागू किया जा सकता है?’’
  • ‘‘महाराष्ट्र की राजनीति फिलहाल एक मजेदार शोभायात्रा बन गई है। राज्य की सरकार तो नहीं लेकिन विदा होती सरकार के बुझे हुए जुगनू रोज नए मजाक करके महाराष्ट्र को कठिनाई में डाल रहे हैं।’’
  • ‘‘मुनगंटीवार और उनकी पार्टी के मन में कौन-सा जहर उबाल मार रहा है, ये उनके राष्ट्रपति शासन वाले वक्तव्य से समझा जा सकता है। कानून और संविधान का अभ्यास कम हो तो ये होता ही है। कानून और संविधान को दबाकर जो चाहिए, यह करने की नीति इसके पीछे हो सकती है।’’

शरद पवार ने कहा- हम विपक्ष में बैठेंगे
शुक्रवार शाम को राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि जनता ने हमें विपक्ष के लिए चुना है। हम विपक्ष में बैठेंगे। उन्होंने सीएम पद के बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच चल रहे गतिरोध को बचकाना बताया।


महाराष्ट्र में नया ट्विस्ट: कांग्रेस नेता की सोनिया से मांग, शिवसेना के साथ बनाएं सरकार

महाराष्ट्र में सरकार गठन और सरकार में भागीदारी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना के बीच खींचतान जारी है. इसी बीच महाराष्ट्र कांग्रेस के कद्दावर नेता और सांसद हुसैन दलवई ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को महराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाने पर चिट्ठी लिखी है.

हुसैन दलवई ने सोनिया गांधी से अपील की है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), कांग्रेस और शिवसेना को मिलकर सरकार गठन करना चाहिए.

कांग्रेस सांसद ने कहा कि जहां महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी में सरकार गठन पर सहमति नहीं बन पा रही है, ऐसे में कांग्रेस, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग, गठबंधन में हमारी सहयोगी एनसीपी और शिवसेना साथ मिलकर सरकार बनाएं.

कांग्रेस सासंद ने कहा कि इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी के चुनाव के दौरान भी शिवसेना ने हमारा साथ दिया था.

हालांकि, उन्होंने इसे निजी विचार बताया है. उन्होंने लिखा, ‘सब जानते हैं कि विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने हमारे कई विधायक और नेताओं को अपने खेमे में शामिल कर लिया था. अगर वे सरकार बनाने में सक्षम होते हैं, तो वे फिर से और अधिक सख्ती के साथ ऐसा करेंगे. ऐसे में अगर हम शिवसेना के साथ सरकार बनाने में सक्षम होते हैं, तो इसे रोका जा सकता है और इससे हम अपने आधार को मजबूत कर पाएंगे.’

उन्होंने कहा, विशेष रूप से, महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक समुदाय लिंचिंग पर भाजपा सरकार के एजेंडा को लेकर अतिसंवेदनशील हैं. साथ ही देश भर में एनआरसी को लागू करने की योजना और बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी चिंतित है.

वहीं, कई मुद्दों पर शिवसेना को भाजपा से अलग देखा गया है, हालांकि अतीत में उन्होंने एक साथ सत्ता साझा की है. अगर हम मिलकर सरकार बनाएं तो ऐसा होने से रोका जा सकता है.

उन्होंने लिखा, ‘हमें याद रखना चाहिए कि बीजेपी ने लगातार एक राष्ट्र, एक नेता, एक पार्टी, एक धर्म के आरएसएस के सिद्धांत का पालन किया है, लेकिन हाल के दिनों में शिवसेना का अधिक समावेशी रुख देखा गया है.

उन्होंने लिखा, मतदाताओं ने भी भाजपा को स्पष्ट बहुमत से वंचित कर दिया है, यह उनके द्वारा प्रतिपादित घृणा की राजनीति के प्रति मतदाताओं के रूख को दर्शाता है. इसलिए भाजपा को सत्ता में आने से रोकना अत्यावश्यक है. साथ ही उन्होंने कहा कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए सहयोगी एनसीपी को पूर्ण विश्वास में लेना होगा, तभी ऐसा निर्णय लिया जाना चाहिए.

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