अयोध्या मामला: SC के फैसले से पहले पीएम मोदी ने देश को याद दिलाई 9 साल पहले की कड़वाहट, संयम बरतने की दी सलाह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस का जिक्र किया. उन्होंने इशारों में लोगों से संयम बरतने की अपील की.

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नई दिल्ली: अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर अगले महीने आने वाले फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारों-इशारों में लोगों से संयम बरतने की अपील की है. उन्होंने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के दौरान देश में बने माहौल का जिक्र करते हुए कहा कि तब न्यायपालिका की गरिमा का सम्मान किया. पीएम मोदी ने कहा कि सभी वर्गों ने तनाव कम करने की कोशिश की. ये बातें हमेशा याद रखनी चाहिए. ये हमें बहुत ताकत देती है.

 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मुझे याद है कि सितंबर 2010 में जब राम-जन्मभूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया, जरा उन दिनों को याद कीजिए कैसा माहौल था? भांति-भांति के कितने लोग मैदान में आ गए थे. उस परिस्थिति का अपने-अपने तरीकों से फायदा उठाने के लिए लोग खेल खेल रहे थे. माहौल में गर्माहट पैदा करने के लिए किस-किस प्रकार की भाषा बोली जाती थी. कुछ बयानबाजों और बड़बोलों ने सिर्फ और सिर्फ खुद को चमकाने के इरादे से न जाने क्या-क्या बोल दिया था. कैसी-कैसी गैर जिम्मेवार बातें की थी. हमें सब याद है.

 

उन्होंने आगे कहा, ”ये सब पांच दिन, सात दिन, 10 दिन तक चलता रहा. लेकिन जैसे ही फैसला आया, एक आनंददायक, आश्चर्यजनक बदलाव देश ने महसूस किया. एक तरफ दो हफ्तों की गर्माहट के लिए सबकुछ हुआ था. लेकिन जब राम जन्मभूमि पर फैसला आया तो सरकार ने, राजनीतिक दलों ने, सामाजिक संगठनों ने, सिविल सोसाइटी ने, सभी सांप्रदायों के प्रतिनिधियों ने, साधु-संतों ने बहुत ही संतुलित और संयमित बयान दिए. माहौल से तनाव को कम करने का प्रयास किया गया. मैं जब भी उस दिन को याद करता हूं मन को खुशी होती है.”

 

पीएम मोदी ने कहा, ”न्यायपालिका की गरिमा को सम्मान दिया गया और कहीं पर भी गर्माहट और तनाव का माहौल नहीं बनने दिया. ये बातें हमेशा याद रखनी चाहिए. ये हमें बहुत ताकत देती है. वो दिन, वो पल हम सभी के लिए एक कर्तव्य बोध है. एकता का स्वर देश को कितनी बड़ी ताकत देता है उसका ये उदाहरण है.”

क्या था इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला?
साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों (सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान) में बांटने का आदेश दिया था. इसी फैसले के खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए. सुप्रीम कोर्ट में इसी मसले पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की. शीर्ष अदालत में 40 दिनों तक सभी पक्षों ने अपनी दलीलें रखी. अब सभी को फैसले का इंतजार है.

 

15 नवंबर तक आएगा फैसला
अयोध्या मसले की सुनवाई करने वाली बेंच (पीठ) के अध्यक्ष चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. 16 नवंबर को शनिवार है और 17 नवंबर को रविवार है. ऐसे में फैसला इन दो तारीखों से पहले आ सकता है.

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