रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन बोले- आर्थिक मंदी ने 15 साल पीछे धकेला

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने भूमि, श्रम शक्ति और लॉजिस्टिक्स के सतत सुधार पर जोर दिया और कहा कि इसे लेकर हम गंभीर नहीं रहे हैं. उन्होंने वर्तमान सरकार के अप्रोच को केंद्रीयकृत, निरंकुश बताते हुए कहा कि यह बहुसंख्यकवाद का समर्थन करता है.

0 1,000,129
  • लंदन के किंग्स कॉलेज में महात्मा गांधी पर दिया व्याख्यान
  • JNU जैसे संस्थानों को प्रोत्साहित करने को आवश्यक बताया

मुंबई। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था के सुस्त होने को लंबे समय बाद होने वाली घटना बताया है. लंदन के किंग्स कॉलेज में नेशनल स्टूडेंट्स ऐंड एल्यूमनी एसोसिएशन की ओर से आयोजित पर्सपेक्टिवः गांधी एट 150 विषय के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के कई क्षेत्रों में बेरोजगारी एक फैक्ट है.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने भूमि, श्रम शक्ति और लॉजिस्टिक्स के सतत सुधार पर जोर दिया और कहा कि इसे लेकर हम गंभीर नहीं रहे हैं. उन्होंने वर्तमान सरकार के अप्रोच को केंद्रीयकृत, निरंकुश बताते हुए आलोचना करते हुए कहा कि यह बहुसंख्यकवाद का समर्थन करता है. राजन ने शिकायती अंदाज में कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए रास्ता काम नहीं कर रहा.

नए मॉडल को बताया जरूरी

राजन ने नए मॉडल को आवश्यक बताया और कहा कि हमें नया मॉडल अपनाना होगा, जो हमारी मजबूती और हमारे लोकतंत्र में भरोसा करे. उन्होंने कहा कि आइए हम अपने लोकतंत्र को मजबूत करें. यह कुछ ऐसा है, जिस पर गांधी बहुत विश्वास करेंगे. इससे पहले टेलीकॉम एंटरप्रेन्योर सैम पित्रोदा ने सरकार की आलोचना की और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी को अधिक प्रासंगिक बताया.

बढ़ते राजकोषीय घाटे पर जताई थी चिंता

आरबीआई के गवर्नर ने कुछ दिन पहले ब्राउन यूनिवर्सिटी में बढ़ते राजकोषीय घाटे पर चिंता जताई थी. उन्होंने अर्थव्यवस्था में सुस्ती के लिए जीएसटी और नोटबंदी जैसे कदमों पर चिंता जताई थी. उन्होंने जीडीपी की विकास दर में गिरावट के लिए निवेश, खपत और निर्यात में सुस्ती के साथ ही एनबीएफसी क्षेत्र में संकट को जिम्मेदार ठहराया था.

वित्त मंत्री ने किया था पलटवार

राजन के बयान पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में दिए अपने लेक्चर में पलटवार किया था. निर्मला ने कहा था कि राजन के आरबीआई गवर्नर रहते नेताओं की एक फोन कॉल पर बैंकों ने लोन दिए, जिसकी सजा हम आज तक भुगत रहे हैं.

Leave A Reply

Your email address will not be published.