भारत रत्न विवाद / रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद के वंशज बोले- शहादत हमारे पूर्वजों ने दी, उन्हें सम्मान दें

रानी लक्ष्मीबाई, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और अशफाक उल्ला खान के परिजन से दैनिक भास्कर APP ने की बात सभी ने कहा- हमारे पूर्वजों को भले ही राजनीतिक दलों ने मान नहीं दिया, लेकिन भारत की अवाम ने सम्मान दिया

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नागपुर/मोहाली/लखनऊ/शाहजहांपुर. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भाजपा ने विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न देने की सिफारिश करने का वादा किया है। इस पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। दैनिक भास्कर APP ने इस मुद्दे पर रानी लक्ष्मीबाई, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और अशफाक उल्ला खान के परिजन से बात की। इन सभी का कहना था कि उनके पूर्वजों को राजनीतिक दल भले ही मान न दें, भारत की अवाम ने हमेशा उन्हें प्रेम और सम्मान दिया है।

‘भगत सिंह को शहीद का दर्जा भी नहीं दे सकी सरकार’

भगत सिंह की भांजी गुरजीत कौर भाजपा से काफी नाराज हैं। उनका कहना है, ‘‘प्रधानमंत्री तो बहुत अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन उनकी पार्टी उसी ढर्रे पर चल रही है, जिस पर पुरानी सरकारें चल रही थीं। देश की जनता भगत सिंह को शहीद-ए-आजम कहकर गौरवान्वित महसूस करती है, लेकिन सरकार अब तक उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दे पाई। पाकिस्तान में भगत सिंह को निशान-ए-पाकिस्तान देने की मांग चल रही है, लेकिन भारत में यहां की राजनीति भगत सिंह को भारत रत्न देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।’’

कौर यह भी कहती हैं, ‘‘भगत सिंह ने देश के लिए अपनी जान दे दी थी। हर साल भगत सिंह के शहीदी दिवस और जन्मदिवस पर सरकारें उन्हें याद करके भूल जाती हैं, क्योंकि वे जानती हैं कि भगत सिंह को याद नहीं किया तो जनता नाराज हो जाएगी।”

‘सावरकर के साथ आजाद को भी मिले सम्मान’

चंद्रशेखर आजाद के चचेरे भाई रामभरोसे तिवारी के वंशज अमित तिवारी की लखनऊ के कृष्णानगर में इलेक्ट्रॉनिक की दुकान है। अमित वायरिंग का काम करते हैं। अमित कहते हैं कि सावरकर ने कई साल अंग्रेजों की यातनाएं सही थीं। वे शहीद नहीं हुए, इसलिए हम उन्हें स्वतंत्रता सेनानी न मानें, यह ठीक नहीं हैं। उन्हें भारत रत्न देने में बुराई नहीं है, लेकिन सरकार को उन क्रांतिकारियों को भी सम्मान देना चाहिए, जिन्होंने हंसते-हंसते अपने वतन के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए थे। हम चंद्रशेखर आजाद की 150 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं। इसके लिए पूरे देश से सीमेंट और अन्य सामान एकत्र करेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें मूर्ति स्थापित करने के लिए जमीन दान करने का वादा किया है। उम्मीद है कि सरकार चंद्रशेखर आजाद को भी भारत रत्न देगी।

‘रानी लक्ष्मी बाई को भारत रत्न मिलने से इस सम्मान का मान बढ़ेगा’

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र दामोदर राव के वंशजयोगेश राव नागपुर में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर हैं। उनका कहना है, ‘‘रानी लक्ष्मीबाई का नाम ही अपने आप में बहुत बड़ा सम्मान है। लेकिन देश का सर्वोच्च सम्मान उन्हें अभी तक नहीं दिया गया। सावरकर का नाम महाराष्ट्र चुनाव में खूब गूंज रहा है, उन्हें सम्मान मिले, इससे मुझे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सरकार अगर रानी को भी यह सम्मान देती है तो इससे भारत रत्न का मान बढ़ जाएगा। रानी किसी जाति, धर्म, राज्य की नहीं थी, वे महिला सशक्तिकरण की प्रतीक थीं।’’

अश्फाक आजादी के साथ सामाजिक सद्भाव बनाने में भी जुटे थे

शाहजहांपुर में रहने वाले शादाबउल्लाह खान के दादा रियासतउल्लाह शहीद अशफाकउल्लाह खान के सगे भाई थे। शादाब शाहजहांपुर में अशफाकउल्लाह खान की मजार के पास एक स्कूल चलाते हैं। शादाब कहते हैं कि उनके दादा अशफाकउल्लाह खान ने देश की आजादी के साथ हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए भी काम किया था। अशफाक और रामप्रसाद बिस्मिल की जोड़ी समाज को जोड़ने का काम कर रही थी। शादाब आरोप लगाते हैं, ‘‘वर्तमान सरकार आजाद, भगत सिंह, बिस्मिल, अशफाक जैसे अमर शहीदों को नजरअंदाज करके धर्म विशेष की राजनीति करने वाले सावरकर को भारत रत्न देने की वकालत की जा रही है। मुझे तो डर है कि यह लोग कहीं गोडसे को भी कोई सम्मान न दे दें।’’

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