नई दिल्ली: चुनाव प्रचार समाप्त हो गया. महाराष्ट्र की 288 और हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को मतदान होना है. नतीजें 24 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे. महाराष्ट्र में 96,661 और हरियाणा में 19,578 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं. इस चुनाव में दो मुद्दों पर सबसे अधिक चर्चा हुई. अनुच्छेद 370 और विनायक दामोदर. बीजेपी सावरकर को राष्ट्रवाद का चेहरा बनाकर पेश कर रही है तो कांग्रेस के नेताओं की अलग अलग राय है.
सावरकर: कांग्रेस में कन्फ्यूजन या रणनीति?
सावरकर को लेकर कांग्रेस नेताओं के बयानों में कन्फ्यूजन दिख रहा है. यह कन्फ्यूजन रणनीतिक है या वास्तविक यह तो पार्टी के रणनीतिकार ही बताएंगे. इस मुद्दे पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि कांग्रेस वीर सावरकर के खिलाफ नहीं है. इंदिरा गांधी ने उनके नाम से पोस्टल स्टैंप लॉन्च किया था. भारत रत्न देने की मांग एक कमेटी देखती है. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने तंज भरे लहजे में कहा कि सावरकर को ही क्यों? गोडसे को भारत रत्न क्यों नहीं मिले? उन्होंने कहा, ”सावरकर ने महात्मा गांधी हत्याकांड में कोशिश की (और बाद में रिहा भी हुए). एक जांच आयोग ने पाया था कि सावरकर और उनके कुछ सहयोगियों को संभवतः इस साजिश के बारे में पहले से ही जानकारी थी.”
महाराष्ट्र के स्थानीय कांग्रेस नेताओं के बीच ऐसी चर्चा है कि भले ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने बयान से सावरकर पर हुए नुकसान को कम करने की कोशिश की हो लेकिन कांग्रेस की इस भूमिका से चुनाव में नुकसान होना स्वाभाविक है. इंदिरा गांधी ने सावरकर पर ऐसे ही स्टाम्प जारी नहीं कराया था उसके कुछ तो मायने रहे होंगे.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में बीजेपी ने सावरकर के लिए भारत रत्न दिए जाने का वादा किया है. इस मुद्दे पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि कांग्रेस वीर सावरकर के खिलाफ नहीं है. इंदिरा गांधी ने उनके नाम से पोस्टल स्टैंप लॉन्च किया था. भारत रत्न देने की मांग एक कमेटी देखती है.
विनायक दामोदर सावरकर का नाम जैसे ही चर्चा में आता है. दो बातों पर चर्चा होने लगती थी. पहली बात ये कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी. दूसरी बात ये कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे सावरकर का हाथ था. हालांकि फरवरी 1949 में सावरकर को गांधी की हत्या के केस से बाइज्जत बरी कर दिया गया था. बीजेपी अब उन्हीं सावरकर को भारत रत्न देने की बात कर रही है. महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में राष्ट्रवाद का चेहरा बनाकर पेश कर रही है.
क्यों कहा जाता है कि भारतीय सेना को मजबूती देने वाले सावरकर ही हैं?
अटल बिहारी वाजपेयी ने 19 साल पहले ही सावरकर को भारत रत्न देने की सिफारिश की थी. लेकिन तब राष्ट्रपति के आर नारायणन ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था. अब बीजेपी ने फिर ये वादा किया है तो सावरकर, सियासत के केंद्र में आ गए हैं.
1939 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इंग्लैंड घिर गया था. उन्हें भारतीय नौजवानों की जरूरत थी. ताकि वो दूसरे देशों में जाकर युद्ध कर सकें. कांग्रेस इसके खिलाफ थी. लेकिन सावरकर ने इसे एक मौके की तरह देखा कि उस वक्त भारतीय सेना में मुसलमान सैनिकों की तुलना में हिंदू सैनिकों का अनुपात कम था. सावरकर ने देशभर की यात्रा की और हिंदू और सिखों से सेना में भर्ती होने की अपील की. सावरकर का मानना था इससे उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी मिलेगी. सावरकर ने उस वक्त कहा था कि आज ब्रिटिश सरकार की मजबूरी है कि वो आपके हाथों में हथियार और गोला बारूद सौंप रही है, पहले आपको पिस्तौल रखने पर कारावास हो जाता था लेकिन आज अंग्रेज आपको रायफल, मशीनगन, तोप दे रहे हैं. आप पूर्ण प्रशिक्षित सैनिक और सेनानायक बनो. पानी के जहाज और लड़ाकू वायुयान भी हमारे हाथों में होंगे. आपको कागज़ से स्वराज नहीं मिलेगा, स्वराज तब मिलेगा जब आपके कंधों पर रायफल होगी.
सावकर की अपील काम आयी. 1946 तक भारतीय सेना में हिंदुओं और सिखों का अनुपात बढ़ गया. इसका सबसे बड़ा फायदा तब हुआ जब भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद ज्यादातर मुस्लिम सैनिक पाकिस्तान चले गये और भारतीय सेना में बचे वो हिंदू सैनिक जिन्होंने 1948 की लड़ाई में पाकिस्तानी कबायलियों और घुसपैठियों को धूल चटाई.