स्वामी बोले- अयोध्या की 11 मस्जिदों में नमाज पढ़ने की दे सकते हैं रियायत
अयोध्या केस में फैसला आने से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ा बयान दिया है. स्वामी ने कहा है कि मुस्लिमों को 11 मस्जिदों में नमाज पढ़ने की छूट दी जा सकती है.
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11 मस्जिदों में नमाज पढ़ने की दे सकते हैं रियायत: स्वामी
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अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी
नई दिल्ली। अयोध्या केस में फैसला आने से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ा बयान दिया है. स्वामी ने कहा है कि मुस्लिमों को 11 मस्जिदों में नमाज पढ़ने की छूट दी जा सकती है.
स्वामी ने कहा कि विराट हिंदू केवल मुस्लिमों को अयोध्या की सीमा में मौजूद 11 मस्जिदों की मरम्मत और नमाज पढ़ने की रियायत दे सकते हैं. अभी इन मस्जिदों में गाय-बकरियां चर रही हैं. मुस्लिमों को याद रखना चाहिए कि अधिकतर इस्लामिक देशों में मंदिर की इजाजत नहीं है.
The only concession Virat Hindus can make for Muslims is permit existing 11 mosques in Ayodhya city limits, which presently have goats and bovine feeding there, to be renovated and namaz allowed. Muslims remember that no temples are allowed in most Islamic countries
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 17, 2019
वहीं एक दिन पहले ही अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुनावाई के आखिरी दिन सुब्रमण्यम स्वामी को झटका लगा था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को सुनने से इनकार कर दिया था. वहीं अब इस मामले में 40 दिन तक चली लंबी सुनवाई पूरी होने के बाद अयोध्या जमीन विवाद पर फैसले का इंतजार है. 17 नवंबर से पहले कभी भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दिन सुनवाई के दौरान तमाम पक्षकारों के वकीलों ने अपनी-अपनी राय दी. कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया है. बता दें कि अयोध्या में विवादित जमीन पर मालिकाना हक की कानूनी लड़ाई साल 1885 से चल रही है. आजादी के बाद भी ये मामला कानून के गलियारों में चक्कर काटता रहा.
Ayodhya Case: जानें कौन हैं SC के वे 5 जज, जो सुनाएंगे अयोध्या केस पर ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई खत्म हो गई है. बरसों से चले आ रहे इस मामले की अंतिम सुनवाई पिछले चालीस दिनों में पूरी हुई है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की ओर से तीखी बहस की गई. 40 दिन की बहस के बाद सुनवाई पूरी हो गई है और अब पूरा देश फैसले पर नज़रें गढ़ाए हुए है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले को सुना और अब यही पीठ ऐतिहासिक फैसला लिखने के करीब है.
अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाले जज कौन हैं, आप उनके बारे में पढ़िए… (सभी जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से ली गई है)
1. जस्टिस रंजन गोगोई, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस पीठ की अगुवाई कर रहे हैं. उन्होंने 3 अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायधीश पदभार ग्रहण किया था. 18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी. उन्होंने शुरुआत गुवाहाटी हाईकोर्ट से की, 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट में जज भी बने.
इसके बाद वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में बतौर जज 2010 में नियुक्त हुए, 2011 में वह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 23 अप्रैल, 2012 को जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज बने. बतौर चीफ जस्टिस अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलों को सुना है, जिसमें अयोध्या केस, NRC, जम्मू-कश्मीर पर याचिकाएं शामिल हैं.
2. जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (एस.ए. बोबड़े)
इस पीठ में दूसरे जज जस्टिस एस. ए. बोबड़े हैं, 1978 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था. इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की, 1998 में वरिष्ठ वकील भी बने. साल 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया. इसके बाद वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली. जस्टिस एस. ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे.
3. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था. उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट में भी वह बतौर जज रह चुके हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दुनिया की कई बड़ी यूनिवर्सिटियों में लेक्चर दे चुके हैं. बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं. वह सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता समेत कई बड़े मामलों में पीठ का हिस्सा रह चुके हैं.
4. जस्टिस अशोक भूषण
उत्तर प्रदेश से आने वाले जस्टिस अशोक भूषण का जन्म जौनपुर में हुआ था. वह साल 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने, जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की. इसके अलावा उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई पदों पर काम किया और 2001 में बतौर जज नियुक्त हुए. 2014 में वह केरल हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए और 2015 में चीफ जस्टिस बने. 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला.
5. जस्टिस अब्दुल नज़ीर
अयोध्या मामले की बेंच में शामिल जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत की. उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की, बाद में वहां बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज कार्य किया. 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला.बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस ऐतिहासिक मामले में पहले मध्यस्थता का रास्ता अपनाने को कहा गया था, लेकिन ये सफल नहीं हो सका था. इसी के बाद 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की रोजाना सुनवाई चल रही है, अदालत ने हफ्ते में पांच दिन इस मामले को सुना. आखिरी कुछ दिनों में सुनवाई का वक्त एक घंटे के लिए बढ़ा दिया गया था.
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