नोबेल / अभिजीत ने कहा- यह अवॉर्ड 10 साल बाद मिलने की आस थी, नाम का ऐलान हुआ तो 40 मिनट की नींद ली

अर्थशास्त्र का नोबेल जीतने पर अभिजीत बनर्जी बोले- मुझे पता था कि बहुत सारे कॉल अटेंड करने हैं, इसलिए पहले नींद लेना बेहतर समझा 'गरीबी मिटाने के मुद्दे पर 20 साल से काम कर रहे, कोलकाता में बिताए दिनों में इसके कई पहलू समझे'

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मैसाचुसेट्स (यूएस). अर्थशास्त्र में नोबेल जीतने वाले अभिजीत बनर्जी (58) ने कहा- मैंने कभी नहीं सोचा था कि करियर में इतनी जल्दी नोबेल मिल जाएगा। मेरे नाम का ऐलान हुआ तो चौंक गया था। मैं 10 साल बाद ये अवॉर्ड मिलने की उम्मीद कर रहा था।

अभिजीत से पूछा गया कि इस कामयाबी की जानकारी मिलने के बाद पहली प्रतिक्रिया क्या थी, तो उन्होंने बताया कि- मैं 40 मिनट के लिए सो गया था, क्योंकि मुझे पता था कि जागने के बाद बहुत सारे कॉल अटेंड करने हैं। अभिजीत ने बताया कि वे अपनी मां से भी बात नहीं कर पाए।

दुनिया से गरीबी मिटाने के प्रयासों के लिए नोबेल पाने वाले अभिजीत ने कहा- मैं, पत्नी एस्थर डुफ्लो और अन्य साथी पिछले 20 साल से इस विषय पर काम कर रहे हैं। हमने गरीबी खत्म करने के समाधान देने की कोशिश की। कोलकाता में बिताए दिनों में इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिली।

नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद मुखर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बयान दिया है। सोमवार को अमेरिका से एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बनर्जी ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार अस्थिर है। वर्तमान विकास के आंकड़ों के आधार पर निकट भविष्य में अर्थव्यस्था में सुधार आने विश्वास नहीं किया जा सकता। पिछले 5-6 साल में कम से कम इसमें कुछ बढ़त दिखाई दे रही थी, लेकिन अब ये भरोसा भी चला गया।”

भारत में जन्मे और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी को 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया है। उनके साथ एमआईटी में ही प्रोफेसर उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो (47) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर माइकल क्रेमर (54) को भी इस सम्मान के लिए चुना गया है। 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया। अभिजीत से पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को 1998 में यह सम्मान दिया गया था।

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