‘आजादी मार्च’ की धमकी से डरे इमरान, बोले- मौलाना से बातचीत का रास्ता खोजो

इमरान खान ने अपने राजनीतिक सहयोगियों से जेयूआई-एफ के प्रमुख मौलाना फजलुर्रहमान के साथ बातचीत का रास्ता खोलने को कहा है. मौलाना ने संघीय राजधानी में सरकार के खिलाफ 31 अक्टूबर को बैठक बुलाई है.

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श्मीर के मुद्दे पर दुनियाभर में किरकिरी करा चुके पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अब अपने ही मुल्क में घिरते नजर आ रहे हैं. देश में उनकी सरकार के खिलाफ आवाजें बुलंद हो रही हैं जिससे निपटने के लिए इमरान हर दांव चलना चाहते हैं. कुछ रोज पहले जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के नेता मौलाना फजलुर्रहमान ने इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए इस्लामाबाद तक ‘आजादी मार्च’ निकालने का ऐलान किया था अब इमरान सरकार उनके सामने घुटने टेकने को तैयार हैं.

चेतावनी के डर गए इमरान

इमरान खान ने अपने राजनीतिक सहयोगियों से जेयूआई-एफ के प्रमुख मौलाना फजलुर्रहमान के साथ बातचीत का रास्ता खोलने को कहा है. रहमान ने संघीय राजधानी में सरकार के खिलाफ 31 अक्टूबर को बैठक बुलाई है. डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, खान ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में सरकार के प्रवक्ताओं के साथ बैठक के दौरान यह निर्देश दिए. मौलाना ने इमरान को चेतावनी दी थी अगर उनकी सरकार ने आजादी मार्च रोकने की कोशिश की तो पूरी पाकिस्तान में चक्का जाम कर दिया जाएगा.

प्रधानमंत्री के साथ शुक्रवार को हुई बैठक में शामिल एक प्रवक्ता ने कहा कि फैसला लिया गया है कि सरकार को उनकी पार्टी की मांगों का पता लगाने के लिए जेयूआई-एफ प्रमुख से पहुंच स्थापित करनी चाहिए और इस मुद्दे पर गतिरोध नहीं बढ़ाना चाहिए. प्रवक्ता ने कहा, “बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि मौलाना रहमान द्वारा 27 अक्टूबर को सिंध से आजादी मार्च के रूप में किए जाने वाले आंदोलन को रोका नहीं जाएगा. यह आंदोलन 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद पहुंचेगा.

प्रवक्ता की ओर से बताया गया कि अगर आजादी मार्च के प्रदर्शनकारी बेकाबू हो गए तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा. प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया साफ है कि किसी भी गतिरोध से बचने के लिए मौलाना से संपर्क स्थापित करने में कोई बुराई नहीं है. प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री का विचार है कि जेयूआई-एफ प्रमुख दो मुख्य विपक्षी दलों पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की कतार में हैं.

मौलाना को पीपीपी का साथ!

बैठक में कहा गया कि पीपीपी और पीएमएल-एन दोनों, जो क्रमश: दो और तीन बार सत्ता में रहे, अब एक मंच पर पहुंच गए हैं और वह देश में छोटे दलों की मदद लेने के लिए मजबूर हैं. इस बीच, धार्मिक मामलों के संघीय मंत्री नूरुल हक कादरी ने साफ किया कि उन्हें मौलाना फजलुर्रहमान के साथ बातचीत करने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है.

एक बयान में मंत्री ने कहा कि मीडिया में चल रही उन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इस मामले को देखने के लिए एक कमेटी बनाने का काम सौंपा है. मीडिया में आई खबरों ने यह भी संकेत दिया कि मौलाना को संघीय राजधानी में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जाएगी और उन्हें पंजाब या खैबर पख्तूनख्वा में गिरफ्तार किया जा सकता है. माना जा है कि सिंध सरकार, जहां पीपीपी सत्ता में है, जेयूआई-एफ प्रमुख को आजादी मार्च शुरू करने की सुविधा देगी.

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