PoK से आए 5300 कश्मीरी परिवारों के लिए मोदी सरकार का ऐलान, मिलेंगे 5.5 लाख

केंद्र सरकार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से विस्थापित होकर भारत के कई राज्यों में आ बसे 5300 परिवारों को दिवाली का तोहफा दिया है. अब इन परिवारों को केंद्र की ओर से साढ़े 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जिसकी मांग काफी लंबे समय से उठ रही थी.

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  • विस्थापित कश्मीरियों के लिए मोदी सरकार का ऐलान
  • केंद्रीय कैबिनेट में पुर्नवास के लिए भत्ता देने की घोषणा
  • 5300 परिवारों को लिस्ट में शामिल भी किया जाएगा

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई बड़े फैसले लिए. केंद्र सरकार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से विस्थापित होकर भारत के कई राज्यों में आ बसे 5300 कश्मीरी परिवारों को दिवाली का तोहफा दिया है. अब इन परिवारों को केंद्र की ओर से साढ़े 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, ताकि ये कश्मीर में बस सकें. जिसकी मांग काफी लंबे समय से उठ रही थी.

इन 5300 परिवारों का नाम शुरुआत में विस्थापितों की लिस्ट में शामिल नहीं था, लेकिन अब सरकार ने फैसला लिया है कि इनका नाम लिस्ट में भी शामिल किया जाएगा और आर्थिक सहायता दी जाएगी.

मोदी के मंत्री ने समझाया किन्हें मिलेगी ये राशि…

बता दें कि इन 5300 परिवारों में तीन तरह के परिवार शामिल हैं, इनमें कुछ परिवार 1947 में बंटवारे के वक्त आए, कुछ कश्मीर के विलय के बाद और कुछ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से भारत में आए थे. ये परिवार कश्मीर से अलग राज्य में भी बस गए थे.

2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने PoK से आए इन लोगों के लिए 5.5 लाख रुपये देने का ऐलान किया था, लेकिन तब इन 5300 परिवारों को लाभ नहीं मिल पाया था. जो अब केंद्रीय कैबिनेट ने इन परिवारों को भी ये सहायता राशि देनी की मंजूरी दे दी है. सरकार की ओर से ये राशि इन परिवारों को अपने घर बसाने के लिए दी जा रही है.

कौन हैं ये परिवार?

ये 5300 परिवार वो हैं जो बंटवारे के बाद या कश्मीर के विलय के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को छोड़कर हिंदुस्तान आ गए थे. लेकिन तब ये कश्मीर में ना रुककर देश के अन्य हिस्सों में बस गए थे, हालांकि बाद में ये दोबारा जम्मू-कश्मीर में जा बसे. यही कारण रहा था कि इनके पास कोई अधिकार नहीं था और कोई सरकारी लाभ इन्हें नहीं मिल सका.

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पहले वही नागरिक वोट दे सकते थे या फिर चुनाव लड़ सकते थे, जो वहां के मूल नागरिक थे. यानी बंटवारे के बाद जो लोग जम्मू-कश्मीर में आकर बसे थे उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं था, इसके अलावा कुछ जाति के लोगों को भी ये अधिकार नहीं थे.

हालांकि, केंद्र सरकार के द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने के बाद ये नियम निष्प्रभावी हो गए थे. अब इन 5300 परिवारों को भी ये लाभ मिलने जा रहा है, जिसकी शुरुआत पुर्ननिवास भत्ते के साथ हुई है.

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