मध्य प्रदेश का हनी ट्रैप केस : वकील का दावा, केंद्र सरकार की फर्म ने 5 आरोपियों में से एक को दिया था ठेका

एसआईटी ने आरोपियों के लेनदेन का ब्योरा समझने के लिये चार बैंक खातों और दो ऑपरेटर्स के दो बैंक लॉकरों को जब्त कर लिया है.

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भोपाल: मध्य प्रदेश हनी ट्रैप मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दाखिल करने वाले एक वकील का दावा है कि 5 में से एक आरोपी की फैक्ट्री को 2018 में कथित रूप से न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से अनुबंध मिला था. इंदौर बेंच में याचिका दाखिल करने वाले वकील मनोहर दलाल ने इस अनुबंध से संबंधित दस्तावेज की प्रतियां भी जारी की हैं. उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार के तहत आने वाले एनपीसीआई ने अप्रैल में भोपाल में आरोपी की फैक्ट्री को 10.07 लाख रुपये का अनुबंध नरौरा संयंत्र में फोम टेप की आपूर्ति के लिए दिया था. उन्होंने कहा ‘न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया अंतरराष्ट्रीय स्तर की है. इसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके टेंडर होते हैं. सप्लाई स्टैंडर्ड का होता है परंतु उन्होंने जिस तरह मैनेज किया है, और जो भोपाल में इनकी कंपनी है उसके नाम पर टेंडर स्वीकृत करवाया और कार्यादेश 25 अप्रैल 2018 को प्राप्त किया है. एनडीटीवी को सूत्रों ने पहले भी बताया था कि कैसे सेक्स स्कैंडल में एक आरोपी के स्वामित्व वाली फैक्ट्री को सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रमुख उद्यमों से अनुबंध मिला था.

एसआईटी ने आरोपियों के लेनदेन का ब्योरा समझने के लिये चार बैंक खातों और दो ऑपरेटर्स के दो बैंक लॉकरों को जब्त कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक तकरीबन एक दशक तक मध्यप्रदेश में सत्ता के गलियारों में ताकतवर लोगों के संपर्क में रहने वाले इस गिरोह ने बड़े ट्रांसफर और पोस्टिंग में कमीशन से बड़ी रकम जमा की है.  भोपाल में रैकेट की दो महिला के कम से कम चार बैंक खातों और दो लॉकरों को लेन-देन का ब्योरा जानने के लिये सील कर दिया गया है. साथ ही, भोपाल की पॉश टाउनशिप में रहने वाली ये महिलाएं जिन महंगी गाड़ियों में घूमती थीं उसके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है. इस पूरे मामले की जांच से जुड़े एक सूत्र ने ये जानकारी दी.

क्या है पूरा मामला
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में हनी ट्रैप (Honey Trap Case) बिछाने और कुछ लोगों को ब्लैकमेल करने के आरोप में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. आरोपी रसूखदार हैं. सूत्रों के मुताबिक इनके चंगुल में ना सिर्फ बड़े अधिकारी बल्कि कई बड़े नेता भी थे. इनके ट्रैप में फंसे इंदौर नगर निगम के अधिकारी ने शिकायत की थी. मामले की जांच बढ़ी तो कई परतें खुलीं. इंदौर डीआईजी रुचिवर्धन मिश्रा ने कहा कि एक सरकारी अधिकारी ने शिकायत की थी कि कुछ वीडियो के संबंध में कुछ लोग उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं. तीन करोड़ मांग रहे हैं. मामले में कुछ साक्ष्य मिलने के बाद एफआईआर दर्ज की गई और गिरफ्तारी हुई. ये रैकेट नेताओं और अधिकारियों के साथ सेक्स के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करता था और फिर उनसे ठेके और अन्य तरह के फायदे उठाता था. अब इस मामले की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं  तो कई रहस्य उजागर हो रहे हैं मामले की गंभीरता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब तक तीन बार जांच प्रमुख बदले जा चुके हैं.


हनीट्रैप / हाईकोर्ट ने पूछा- हर 10 से 11 दिन में एसआईटी के प्रमुख और सदस्य क्यों बदले जा रहे हैं, गृह सचिव से लिखित जवाब मांगा

  • सीबीआई जांच को लेकर एक और आवेदन, 21 अक्टूबर को विस्तृत रिपोर्ट तलब करने के आदेश
  • गृह विभाग के सचिव को आदेश दिया कि सदस्यों को बदलने का कारण लिखित में दें

इंदौर. मध्यप्रदेश के चर्चित हनीट्रैप मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बार-बार एसआईटी (विशेष जांच दल) के प्रमुख बदलने को लेकर राज्य सरकार से सवाल किया। हाईकोर्ट ने पूछा कि मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख और सदस्यों को 10 से 11 दिन के भीतर क्यों बदला जा रहा है। इसके पीछे क्या ठोस वजह है।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के गृह विभाग के सचिव को इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट और सदस्यों को बदलने का कारण लिखित में कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट 21 अक्टूबर के पहले पेश करना है। 21 अक्टूबर को ही कोर्ट इस मामले पर फिर सुनवाई करेगी।

एडवोकेट अशोक चितले, मनोहर दलाल, लोकेंद्र जोशी ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने और जांच की निगरानी हाईकोर्ट से कराने की मांग को लेकर आवेदन दाखिल किया था। इसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिए।

आवेदन में सवाल उठाया गया है कि इतने गंभीर मामले में सरकार बार-बार एसआईटी टीम में बदलाव क्यों कर रही है। सरकार की प्रक्रिया को देखते हुए इसे बाहर की एजेंसी के हवाले कर देना चाहिए। सरकार अपनी पसंद के अधिकारी से मनमानी जांच करवाना चाहती है। हर अधिकारी अपनी तरह से जांच शुरू करता है और कुछ दिन में उसे हटा दिया जाता है।

हनीट्रैप मामले की जांच के लिए डीजीपी ने 23 सिंतबर को एसआईटी गठित की थी। इसका चीफ आईजी सीआईडीडी श्रीनिवास को बनाया गया था। लेकिन, अगले ही दिन एसआईटी का चीफ बदल दिया गया। डी श्रीनिवास की जगह संजीव शमी को चीफ बनाया था। इसके बाद संजीव शमी को हटाकर राजेंद्र कुमार को एसआईटी का प्रमुख बनाया गया।

क्या है हनीट्रैप मामला?
इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन की 3 करोड़ रुपए मांगने की शिकायत पर भोपाल और इंदौर पुलिस ने कार्रवाई कर ब्लैकमेलिंग करने वाली पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया था। ये महिलाएं अफसरों और नेताओं के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थीं। इस हाईप्रोफाइल मामले में एक पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व सांसद, भाजपा और कांग्रेस से जुड़े नेता और नौकरशाहों के फंसे होने की बात कही जा रही है। हालांकि अब तक इस मामले में किसी का नाम सामने नहीं आया है।

 

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