इमरान खान के UN कैम्पेन का सच- फर्जी NGO, PR फर्म और एड सपोर्ट

अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 74वें सत्र के दौरान इमरान के कैम्पेन को लेकर जो शोरगुल खड़ा किया गया उससे पाकिस्तानी पीएम को कम से कम अपने देश की अंदरूनी राजनीति में कुछ राहत की सांस लेने का मौका मिला है.

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  • आखिर इमरान खान के UN कैम्पेन का सच क्या है?
  • इंडिया टुडे ओपन सोर्स इंटेलीजेंस ने इसकी पड़ताल की

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के हालिया अमेरिकी दौरे को उनके समर्थक किसी भी पाकिस्तानी पीएम का सबसे सफल विदेशी कैम्पेन बता रहे हैं. भारत सरकार की ओर से जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने पर इमरान को कुछ ना कर पाने के लिए अपने देश में काफी आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है. ऐसे में अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 74वें सत्र के दौरान इमरान के कैम्पेन को लेकर जो शोरगुल खड़ा किया गया उससे पाकिस्तानी पीएम को कम से कम अपने देश की अंदरूनी राजनीति में कुछ राहत की सांस लेने का मौका मिला है.

खान के संयुक्त राष्ट्र कैम्पेन को लेकर प्रचारित किए गए पहलुओं में एक ये भी रहा कि उनके कैम्पेन को लेकर अमेरिका और ग्लोबल प्रेस में ‘पाकिस्तान फ्रेंडली’ कवरेज हुई. इंडिया टुडे ओपन सोर्स इंटेलीजेंस (OSINT) जांच से सामने आया है कि इस कैम्पेन के दौरान पाकिस्तान की ओर से क्या तौर-तरीके और हथकंडे अपनाए गए.

फर्जी एनजीओ

पाकिस्तानी कैम्पेन की ओर से फ्रंटफुट पर ‘इंटरनेशनल ह्यूमेनटेरियन फाउंडेशन इंक’ (IHF)  नाम का संगठन दिखा जिसके बारे में पहले ज्यादा नहीं सुना गया था. इसका नाम पहली बार सुर्खियों में तब आया जब 22 सितंबर को ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम के बाहर भारत-विरोधी प्रदर्शन के मुख्य आयोजक के तौर पर ये दिखा.

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27 सितंबर को IHF ने न्यूयॉर्क टाइम्स में पूरे पेज का विज्ञापन दिया

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न्यूयॉर्क टाइम्स के विज्ञापन रेट्स के मुताबिक इस एक विज्ञापन के लिए IHF को एक लाख डॉलर खर्च करने पड़े होंगे.

 

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IHF का नाम ऐसा है जिससे इसके गैर मुनाफ़े वाला अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता ग्रुप का भ्रम होता है, लेकिन IHF का कोई मानवीय सहायता वाला काम अतीत में नहीं दिखा. इंडिया टुडे की ओर से जो टैक्स कलेक्शन की जानकारी जुटाई गई, उसके मुताबिक IHF का गठन पीएम मोदी के ह्यूस्टन दौरे से एक महीने पहले ही हुआ.

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इसके अलावा IHF की वेबसाइट को लेकर WHOIS डोमेन के जरिए खंगाला गया तो पता चला कि ये वेबसाइट सिर्फ 36 दिन पुरानी (30 सितंबर तक) ही निकली.

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फाउंडेशन की ओर से सतर्कता बरती गई कि उसका पाकिस्तान सरकार से किसी भी तरह का जुड़ाव ना दिखे. यही दिखाया गया कि वो गैर मुनाफाकारी ग्लोबल ह्यूमेनटेरियन संगठन है.

द पीआर फर्म

अमेरिका स्थित प्लेटफॉर्म O’Dwyer PR की रिपोर्ट के मुताबिक IHF ने अमेरिकी पीआर कंपनी फेंटॉन कम्युनिकेशन्स के साथ 50,000 डॉलर में कॉन्ट्रेक्ट किया. O’Dwyer PR प्लेटफॉर्म अमेरिका में पीआर कंपनियों की रैंकिंग प्रकाशित करता है.

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पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इमरान ख़ान ने न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान फेंटॉन कम्युनिकेशन्स के संस्थापक डेविड फेंटॉन के साथ बैठक भी की.

इमरान के करीबी थे पर्दे के पीछे

O’Dwyer की रिपोर्ट में ये दावा भी किया गया कि IHF को इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के नुमाइंदे ही संचालित कर रहे हैं. ओपन सोर्स डेटा को जब इंडिया टुडे OSINT ने और खंगाला तो आतिफ़ इक़बाल ख़ान का नाम सामने आया. इक़बाल पर पीटीआई के ह्यूस्टन चैप्टर के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी है. 8_100119022244.jpg

इक़बाल ने अपने सोशल मीडिया पेज पर एक संदेश भी पोस्ट किया जिसमें उस डिजाइनर का शुक्रिया अदा किया गया जिसने शॉर्ट नोटिस पर न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित विज्ञापन का डिजाइन तैयार किया

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पाकिस्तानी सेना से जुड़ाव

हालांकि इमरान की राजनीतिक पार्टी से जुड़े कई लोगों का कैम्पेन से हर जगह जुड़ाव दिखा लेकिन एक शख्स की भूमिका अहम दिखी और वो है पाकिस्तान एसोसिएशन ऑफ ग्रेटर ह्यूस्टन (PAGH) के प्रेसिडेंट मियां नज़ीर की. ह्यूस्टन मे पाकिस्तान हाउस भी मियां नज़ीर की ओर से ही चलाया जाता है.  मियां नज़ीर का पीटीआई से सीधे तौर पर कोई नाता नहीं है लेकिन IHF की आधिकारिक वेबसाइट पर बिना किसी नाम के एक फोन नंबर दिया गया है जो मियां नज़ीर का ही निकला. मियां नज़ीर ने न्यूयॉर्क टाइम्स में विज्ञापन प्रकाशित होने की तारीख से एक दिन पहले ही उस विज्ञापन के ड्राफ्ट को पोस्ट किया.

मियां नज़ीर को एनआरजी स्टेडियम के बाहर भारत विरोधी प्रदर्शन के दौरान भी देखा गया. ह्यूस्टन के स्थायी निवासी मियां नज़ीर को पाकिस्तान में सेना के एक्सक्लूसिव क्लबों  मे पाक सेना के अधिकारियों के साथ डिनर में भी हिस्सा लेते देखा गया.

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IHF की ओर से 12 दिन के दौरान विज्ञापन और पीआर (पब्लिक रिलेशंस) पर ही डेढ़ लाख डॉलर से अधिक खर्च किए गए. इसके अलावा ह्यूस्टन और न्यूयॉर्क में ‘फ्री पार्क एंड राइड’ जैसी अन्य चीजों पर हुए खर्च को भी जोड़ा जाए तो तथाकथित मानवीय सहायता संगठन IHF का खर्च दुगना बैठ जाता है. पाकिस्तान स्थित सरकारी ढांचे की ओर इस कैम्पेन की फंडिंग में ये ध्यान रखा गया कि उसके ज्ञात जुड़ाव वाले किसी लोकल चैप्टर या बिजनेस फोरम का नाम सामने ना आए. ऐसा ये दिखाने के लिए किया गया कि कश्मीर का मुद्दा वैश्विक मानवीय चिंता के तौर पर दिखे और UNGA कैम्पेन के दौरान कुख्यात पाकिस्तानी टैग कहीं उससे जुड़ा ना दिखे.

सौजन्य-इंडिया टुड़े ग्रुप

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