‘खटारा’ प्लेन ने इमरान को दिया धोखा, आम मुसाफिर की तरह अमेरिका से रवाना होना पड़ा
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वापसी में इमरान खान के प्लेन ने दिया धोखा
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जेट विमान में आई तकनीकी खामी
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कमर्शियल फ्लाइट से लौटे इमरान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को आखिरकार कमर्शियल फ्लाइट से एक आम पैसेंजर की तरह अमेरिका से अपने वतन रवाना होना पड़ा. शनिवार शाम इमरान खान को सऊदी अरब से उधारी में मिले जेट से वापस आना था. इमरान खान शनिवार शाम को न्यूयॉर्क के कैनेडी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचे, वे विमान में सवार हुए, विमान ने उड़ान भी भर ली, लेकिन तत्काल इंजीनियरों को विमान में खराबी का पता चला. इसके बाद फ्लाइट को वापस ले आया गया.
तकनीशियन विमान की खामी को दूर करने का प्रयास करते रहे और इस दौरान इमरान खान को एयरपोर्ट पर इंतजार भी करना पड़ा, लेकिन बाद में पता चला कि यह खामी शनिवार सुबह तक दूर हो सकेगी. एयरपोर्ट पर घंटों इंतजार करने के बाद पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी इमरान को वापस रूसवेल्ट होटल ले गईं, जहां वह अपनी सात दिवसीय यात्रा के दौरान ठहरे हुए थे.
सऊदी जेट ने भी इमरान को दिया धोखा
दोस्ती में मिला इमरान का खटारा प्लेन जब धोखा दे गया तो वे अपनी पूरी टीम के साथ एक कमर्शियल प्लेन से स्थानीय समय के मुताबिक दोपहर 2 बजे वहां से रवाना हुए. सऊदी अरब के जेद्दा में इमरान के प्लेन का हॉल्ट होगा. इसके बाद वे फिर से वहां से पाकिस्तान के लिए रवाना होंगे. जेद्दा में विश्राम के बाद इमरान का प्लेन रविवार शाम तक पाकिस्तान पहुंच सकता है.
बता दें कि इमरान को जब अमेरिका जाना था तो उन्हें सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपना जेट विमान इस्तेमाल करने के लिए दिया था. इसी विमान से इमरान अमेरिका पहुंचे, लेकिन वापसी के दौरान इस विमान में भी गड़बड़ी आ गई और उन्हें ये विमान भी अमेरिका में छोड़ना पड़ा और कमर्शियल फ्लाइट से टिकट खरीदकर वापस आना पड़ा.
शुक्रवार को इमरान ने UNGA किया था संबोधित
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को शुक्रवार शाम को संबोधित किया था. अपने भाषण में इमरान ने कश्मीर मुद्दे पर अपना पुराना राग अलापा. कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए इमरान खान पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों का जिक्र बड़ी चालाकी से छोड़ गए, लेकिन भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान को फटकार लगाई और याद दिलाया कि जिस पाकिस्तान में आजादी के समय अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत थी वो अब घटकर 3 फीसदी रह गई है.