उपलब्धि / नौसेना के बेड़े में 28 सितंबर को शामिल होगी पनडुब्बी खंडेरी, 45 दिनों तक पानी में रहने की क्षमता
इस खंडेरी पनडुब्बी का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में 7 अप्रैल 2009 को शुरू हुआ था। 12 जनवरी 2017 क इसे लॉन्च किया गया और इसका नामकरण हुआ। 1 जून 2017 से इसका समुद्री परिक्षण शुरू हुआ। तब से सितंबर 2019 तक कड़े समुद्री परिक्षण और सभी प्रकार के हथियारों की टेस्टिंग होने के बाद 19 सितंबर को खंडेरी पनडुब्बी को नौसेना को सौंपा गया।
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मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ नेवल स्टाफ की उपस्थिति में आईएनएस खंडेरी नौसेना में शामिल होगी
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गहरे समुद्र में बिना शोर किए 12 हजार किमी तक 40 से 45 दिनों तक सफर करने की आईएनएस खंडेरी की क्षमता
मुंबई. समुद्र में एक दो दिन नहीं बल्कि पूरे 40 से 45 दिन और 12 हजार किमी तक करीब 350 मीटर की गहराई में जाकर गोता लगाने वाली पनडुब्बी खंडेरी नौसेना के बेड़े में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। भारत के हाथ लगी इस “अखंड,अभेद्य व अद्श्य” साइलेंट किलर पनडुब्बी के अत्याधुनिक तकनीक से लैस होने की वजह से दुश्मन देश की तुलना में भारत की ताकत कई गुना अधिक बढ़ गई है।
28 सितंबर को नौसेना में होगी शामिल
कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन दलबीर सिंह ने गुरुवार को बताया कि 28 सितंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ नेवल स्टाफ की उपस्थिति में आईएनएस खंडेरी नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगी। उन्होंने बताया कि चूंकि कलवरी स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी थी, लिहाजा आईएनएस खंडेरी का कंस्ट्रक्शन प्रोसेस थोड़ा अलगा था, परंतु दोनों पनडुब्बी के परफॉर्मेंस में कोई अंतर नहीं है। नौसेना पिछले दो वर्षों से आईएनएस कलवरी का इस्तेमाल कर रही है। लिहाजा उससे मिले अनुभवों के आधार पर इसे और बेहतर व अत्याधुनिक बनाया गया है।
2009 से बन रही है यह पनडुब्बी
गौरतलब है कि इस खंडेरी पनडुब्बी का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में 7 अप्रैल 2009 को शुरू हुआ था। 12 जनवरी 2017 क इसे लॉन्च किया गया और इसका नामकरण हुआ। 1 जून 2017 से इसका समुद्री परिक्षण शुरू हुआ। तब से सितंबर 2019 तक कड़े समुद्री परिक्षण और सभी प्रकार के हथियारों की टेस्टिंग होने के बाद 19 सितंबर को खंडेरी पनडुब्बी को नौसेना को सौंपा गया।
आईएनएस खंडेरी में 750 किग्रा वजनी 360 बैटरी
आईएनएस खंडेरी में तैनात इलेक्ट्रिक ऑफिसर कमांडर सुजीत कुमार यादव ने बताया कि इस पनडुब्बी में कुल 360 बैटरी हैं। इसमें से प्रत्येक बैटरी का वजन 750 किग्रा है। उन्होंने बताया कि इसमें लगे परमानेंटली मैग्नेटाइज्ड प्रोपलसन मोटर इसी कई विशेषताओं में से एक है। इसकी वजह से यह पनडुब्बी समुद्र में एकदम साइलेंट रहती है, जिससे दुश्मन देश को पता ही नहीं चलेगा कि उसके समुद्री इलाके में कोई पनडुब्बी है। इसके अलावा 1250 किलोवाट के दो डिजल इंजन भी हैं। इसमें 6 टॉरपीडो ट्यूब लगे हैं। इसमें से 2 ट्यूब से मिसाइल भी दागी जा सकती है। इसके भीतर कुल 12 टॉरपीडो रखने की व्यवस्था है।
‘देश की ताकत में इजाफा होगा’
कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन दलबीर सिंह ने कहा, “भारत की ताकत कभी कम नहीं थी। इसमें इजाफा ही हो रहा है। ये जो नए-नए प्लेटफॉर्म जैसे-जैसे आ रहे हैं। वे देश की कैपेबिलिटी बढ़ा रहे हैं। हम दुनिया के पास उपलब्ध नई-नई टेक्नोलॉजी अपने साथ रख रहे हैं क्योंकि टेक्नोलॉजी पुरानी होने पर प्रदर्शन में कमी आती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब नौसेना के बेड़े में आईएनएस खंडेरी के शामिल होने के साथ ही नई टेक्नोलॉजी भी आ रही है।”
उन्होंने कहा कि मैं बहुत ही गर्व महसूस करता हूं क्योंकि यह पनडुब्बी हमारे अपने देश में बनी है और मैंने अपनी आंखों से इसका कंस्ट्रक्शन देखा है। मुझे अपनी देश की क्षमता पर पूरा विश्वास है कि हम विश्व की आधुनिक से आधुनिक पनडुब्बी बना सकते हैं। गर्व महसूस करने की दूसरी वजह यह है कि खंडेरी पनडुब्बी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से परिपूर्ण है।
आईएनएस खंडेरी की खासियत
- इसकी लंबाई लगभग 67.5 मीटर और चौड़ाई 12.3 मीटर है।
- समुद्र में 350 मीटर की गहराई तक गोता लगाने की क्षमता।
- यह पनडुब्बी 12 हजार किमी की दूरी तक गहरे समुद्र में सफर कर सकती है। प्रोजेक्ट-75 के तहत देश के भीतर बनी स्कॉर्पीन श्रेणी की आईएनएस खंदेरी दूसरी पनडुब्बी है।
- स्कॉर्पीन श्रेणी की बनी पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी है।
- आईएनएस खंडेरी समुद्र के अंदर पानी में लगभग 20 समुद्री मील और पानी के ऊपर 11 समुद्री मील की रफ्तार से चलने में सक्षम है।