अयोध्या मामले पर 17 नवंबर से पहले फैसला तय, SC ने कहा- 18 अक्टूबर तक ही होगी सुनवाई

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. रंजन गोगोई इस केस की सुनवाई वाली 5 जजों की बैंच की अध्यक्षता कर रहे हैं. ऐसे में अगर सीजेआई फैसले से पहले रिटायर हो जाते हैं तो ये मामला फिर लटक सकता है.

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नई दिल्ली: अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर आई है. अयोध्या जमीन विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर से पहले फैसला सुना सकता है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि सभी पक्ष अपनी-अपनी दलीलें 18 अक्टूबर से पहले पूरे कर लें. इसके बाद इस मामले पर सुनवाई नहीं होगी. याद रहे कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं.

 

4 हफ्ते में फैसला लिखना मुश्किल होगा- रंजन गोगोई

आज इस मामले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि दलीलें पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट को 4 हफ्ते का वक्त चाहिए. सीजेआई ने कहा है कि 4 हफ्ते में फैसला लिखना मुश्किल होगा. रंजन गोगोई इस केस की सुनवाई वाली 5 जजों की बैंच की अध्यक्षता कर रहे हैं.  ऐसे में अगर सीजेआई फैसले से पहले रिटायर हो जाते हैं तो ये मामला फिर लटक सकता है.

 

सुनवाई का आज बत्तीसवां दिन

 

गौरलतब है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में अयोध्या मामले पर चल रही सुनवाई का आज बत्तीसवां दिन है. कल मुस्लिम पक्ष ने विवादित ज़मीन पर एएसआई की खुदाई की रिपोर्ट को अविश्वदनीय बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा था कि जब उन्होंने यह आपत्ति हाई कोर्ट में मुकदमे के दौरान नहीं की तो अब अपील पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार क्यों करे.

 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली मध्यस्थता समिति के किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मामले पर रोजाना सुनवाई कर रही है.

 

इलाहबाद हाई कोर्ट ने का क्या फैसला था?

इलाहबाद हाई कोर्ट ने 2010 के अपने आदेश में 2.77 एकड़ के इस विवादास्पद भूमि को राम लला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर-बराबर बांट दिया था.

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