जानिए उस चुनाव आयुक्त के बारे में, जिसकी पत्नी-बहन-बेटे को मिला आयकर का नोटिस

कुछ दिनों से प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के राडार पर कई दिग्गज हैं. पहले पी. चिंदबरम, फिर डीके शिवकुमार, शरद पवार और अजित पवार इन एजेंसियों के घेरे में हैं. अब इसमें नया नाम जुड़ा है एक चुनाव आयुक्त की पत्नी, बहन और बेटे का. आइए...जानते हैं कि वो चुनाव आयुक्त कौन हैं...जिनके परिवार पर आयकर विभाग कस रहा है अपना शिकंजा.

  • बहन और बेटे को भी आयकर विभाग का नोटिस
  • कई कंपनियों के निदेशक हैं लवासा की पत्नी-बेटे

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के राडार पर देश के कई दिग्गज हैं. पहले पी. चिंदबरम, फिर डीके शिवकुमार, शरद पवार और अजित पवार इन एजेंसियों के घेरे में हैं. अब इसमें नया नाम जुड़ा है चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की पत्नी, बहन और बेटे का. एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी है कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की पत्नी नोवेल सिंघल लवासा टैक्स चोरी के आरोप में आयकर विभाग के निशाने पर हैं. इसके अलावा अशोक लवासा की बहन डॉ. शकुंतला लवासा और बेटे अबीर लवासा को भी विभाग का नोटिस जारी किया गया है.

नोवेल सिंघल लवासा 10 कंपनियों में निदेशक हैं. इन्हीं कंपनियों की टैक्स चोरी के मामले में आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस जारी किया है. नोवेल सिंघल लवासा पूर्व बैंकर हैं. कई कंपनियों की निदेशक रह चुकी हैं. इसके साथ ही अशोक लवासा की बहन डॉ. शंकुतला लवासा को भी विभाग का नोटिस जारी किया गया है. अशोक लवासा के बेटे अबीर नॉरिश ऑर्गेनिक फूड लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक हैं. कंपनी के शेयर में उनकी हिस्सेदारी है.

कौन है अशोक लवासा?

अशोक लवासा ने 23 जनवरी 2018 को भारत के चुनाव आयुक्त का पदभार संभाला. उन्हें 21 जनवरी 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नियुक्त किया था. लवासा ने ओम प्रकाश रावत का स्थान लिया था, जो मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए गए थे. बतौर चुनाव आयुक्त लवासा का कार्यकाल अक्टूबर 2022 तक चलेगा. इसके बाद उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाएगा.

अशोक लवासा का जन्म 21 अक्टूबर 1957 को हुआ था. लवासा 1980 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस हैं. लवासा इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव थे. वे 31 अक्टूबर 2017 को पद से सेवानिवृत्त हुए. लवासा दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंग्लिश ऑनर्स और सदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी साउथ वेल्स से एमबीए हैं.

अपने 37 के सेवाकाल के दौरान प्रधान सचिव और वित्तीय आयुक्त (अक्षय ऊर्जा स्रोत, विद्युत), मुख्य समन्वयक (उद्योग), हरियाणा के रेजिडेंट आयुक्त, एचएसआईडीसी के निदेशक, केंद्रीय वित्त सचिव, केंद्रीय नागर विमानन सचिव एवं कई अन्य पदों पर रहे. यूपीए शासन में पर्यावरण मंत्रालय पर बहुत सुस्त और भ्रष्ट होने का आरोप लगा था. अशोक लवासा ने अप्रूवल्स के लिए पर्यावरण मंत्रालय में पड़े आवेदनों के अंबार को कम किया. फोटोग्राफी के शौकीन लवासा ने An Uncivil Servant नाम की किताब भी लिखी है.

अशोक लवासा लोकसभा चुनाव के दौरान रहे थे विवादों में

पीएम मोदी और अमित शाह द्वारा आचार संहिता उल्लंघन का मामला

अशोक लवासा ने लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को चिट्ठी लिख कर इस बात पर असंतोष जताया था कि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर विचार करने वाली बैठकों में उनकी असहमतियों को दर्ज नहीं किया जाता है. इस मामले में काफी विवाद भी उठा था. लवासा ने कहा था कि असहमति को दर्ज नहीं करने की वजह से वे खुद बैठकों से दूर रहने को मजबूर हैं. मामले ने तब तूल पकड़ा था- जब आचार संहिता उल्लघंन के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट मिलने पर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को निशाने पर लिया था.

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