चुनाव से ठीक पहले सेना प्रमुख के ‘बालाकोट में आतंकी’ वाले बयान पर शिवसेना ने जताई चिंता
सामना में लिखा है कि पुलवामा और बालाकोट बीजेपी के प्रचार के मुद्दे बन गए. पुलवामा की घटना नहीं हुई होती तो बीजेपी ‘तीन सौ पार’ पहुंचती क्या? ये सवाल तो है ही. अब आर्टिकल 370 को ही महाराष्ट्र में प्रचार का मुख्य मुद्दा बनाएंगे, ऐसा बीजेपी हाईकमान ने घोषित किया है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने चुनावों से ठीक पहले सेना प्रमुख बिपिन रावत के ‘बालाकोट में आतंकी’ वाले बयान पर चिंता जताई है. सामना के संपादकीय में कहा गया है कि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे ठीक पहले बीजेपी और सेना प्रमुख ने एक बार फिर बालाकोट में आतंकी होने पर बयानबाजी शुरू कर दी है. ये चिंता का कारण है.
हमारे सेनाप्रमुख ने क्या हासिल किया?- शिवसेना
सामना में कहा गया है, ‘’सेनाप्रमुख को बोलना नहीं चाहिए, बल्कि करके दिखाना चाहिए. सेना की ऐसी परंपरा रही है. देश के सेनाप्रमुख बिपिन रावत ने चेन्नई में कहा कि भारतीय वायुसेना की तरफ से नेस्तनाबूद किए गए बालाकोट में आतंकवादियों की गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं. पाकिस्तान की अगुवाई में लगभग 500 आतंकवादी हिंदुस्थान की सीमा में घुसने की फिराक में हैं. ऐसी जानकारी घोषित करके हमारे सेनाप्रमुख ने क्या हासिल किया?’’
आगे कहा गया है, ‘’कश्मीर में क्या चल रहा है, इसकी जानकारी फिलहाल बाहर नहीं दी जाती. लेकिन बालाकोट की हलचल सेनाप्रमुख सामने लाए, ये महत्वपूर्ण है. चार दिन पहले ही शरद पवार ने कटाक्ष किया था, ‘पुलवामा जैसी एकाध घटना नहीं घटी तो महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन अटल है.’ पवार के इस बयान को आश्चर्यजनक और धक्कादायक कहना होगा. इस पर बीजेपी ने खूब हो-हल्ला मचाया. पवार द्वारा ऐसा कहने के बाद सेनाप्रमुख ने बालाकोट में आतंकवादी गतिविधियों की जानकारी दी.’’
आतंकवादी’ वाले दावे पर राजनीतिक वातावरण प्रभावित होता है- शिवसेना
सामना में लिखा है, ‘’विरोधी दलों का कहना है कि चुनाव आते ही बालाकोट जैसे मुद्दे क्यों चर्चा में लाए जाते हैं और सेनाप्रमुख को किसी के राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे बयानों से बचना चाहिए. सेनाप्रमुख ने किसी के राजनीतिक लाभ के लिए ये कहा होगा, ऐसा हमें नहीं लगता लेकिन राजनीतिक वातावरण प्रभावित होता रहता है. फिलहाल ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि हर कोई एक ही प्रवाह में, एक ही दिशा में सुर साध रहा है.’’
संपादकीय में यह भी कहा गया है, ‘’लोकसभा चुनाव के पहले पुलवामा की घटना हुई और उसके बाद हमारी वायुसेना ने बालाकोट पर हमला किया. उस हमले में लगभग साढ़े तीन सौ आतंकवादी मारे गए और उनके आतंकी ठिकाने नेस्तनाबूद हो गए. विरोधियों ने मारे गए आतंकवादियों के सबूत मांगने तक की हद पार कर दी. साढ़े तीन सौ आतंकवादी मारे गए, ये गिना किसने? ऐसा पूछा गया.’’
पुलवामा की घटना नहीं हुई होती तो बीजेपी ‘तीन सौ पार’ पहुंचती क्या? ये सवाल तो है ही- शिवसेना
सामना में आगे कहा, ‘’पुलवामा और बालाकोट बीजेपी के प्रचार के मुद्दे बन गए. पुलवामा की घटना नहीं हुई होती तो बीजेपी ‘तीन सौ पार’ पहुंचती क्या? ये सवाल तो है ही. अब आर्टिकल 370 को ही महाराष्ट्र में प्रचार का मुख्य मुद्दा बनाएंगे, ऐसा बीजेपी हाईकमान ने घोषित किया है. पाकिस्तान को सब कुछ पता होने के बावजूद ‘जैश’ के 500 आतंकवादी घुसने की तैयारी में हैं, ये लक्षण ठीक नहीं है. माना कि जो बोया जाता है, वही काटा जाता है लेकिन पाकिस्तान में हमने जिसे ध्वस्त कर दिया, उस राख से बार-बार आतंकवादी क्यों जन्म लेते हैं? महाराष्ट्र में चुनाव होने के कारण चिंता होती है. हमारी चिंता का यही कारण है.’’