नई दिल्ली. इसरो प्रमुख के.सिवन ने शनिवार को बताया कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अच्छा काम कर रहा है। ऑर्बिटर में 8 इंस्ट्रूमेंट्स हैं। हर इंस्ट्रूमेंट वही काम कर रहा है, जो उसे करना चाहिए। जहां तक लैंडर विक्रम का सवाल है तो हम उससे अब तक संपर्क नहीं कर पाए हैं। हमारी अगली प्राथमिकता गगनयान मिशन है।
2.1 किमी पहले विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया
इससे पहले इसरो ने 7 सितंबर को बताया था कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से 2.1 किमी पहले विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया। विक्रम 2 सितंबर को चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से अलग हुआ था। इस मिशन को 22 जुलाई को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
नासा ने चंद्रयान-2 को लेकर ट्वीट किया था, “अंतरिक्ष कठिन है। हम इसरो के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 को उतारने के प्रयास की सराहना करते हैं। आपने हमें प्रेरित किया है और भविष्य में हम सौर मंडल का पता लगाने के लिए साथ काम करेंगे।”
चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो था
चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया गया था। इसमें तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) थे। इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारने की योजना थी। इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो था। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा था।
क्या था चंद्रयान-2 मिशन?
चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण था। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे। चंद्रयान-1 में चांद की कक्षा में सिर्फ ऑर्बिटर भेजा गया था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारने की कोशिश में था।